मुंबई : मुंबई हाईकोर्ट एक याचिका की सुनवाई के दौरान नवी मुंबई मुनिस्पल कार्पोरेशन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आप हलफनामा दाखिल करें और उसमें इस बात का उल्लेख करें कि उनके पास लाकडाउन से पहले कितने फेसमास्क, कितने हैंड ग्लव्स, और कितने हैंड सेनेंटाइज़र थे और उसकी एक तफ्सीली रिपोर्ट भी हालफनामे में जोड़ें जिसमें यह उल्लेख होना चाहिए कि उन्होंने कहां कहां और किसे दिया है।कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस हलफनामे में उन कंपनियों के नाम और पते होने चाहिए जहां से उन्होंने यह सारी वस्तुऐं खरीदी हैं और उनका खरीदने का मुल्य क्या था। उन्हें कोर्ट में यह बताना है कि उन्होंने अपने जिन कर्मचारियों को यह सारी सुविधाऐँ दी हैं उन्हें कब कब रिप्लेस की गई हैं या कब बदली गई हैं। कोर्ट के सामने उन्हें यह सारी रिपोर्ट, मीटिंग की तफ्सील उस पर चर्चा उसके निष्कर्षण जो कंपनी ने बनाई हैं। हजारी शेट में जब बीएमसी के अफसर ने विजिट किया तो इस दौरान कंपनी ने इससे जुड़ी क्या क्या तफ्सीलात मुहय्या की हैं इसके बारे में बताऐं।
मामला क्या है
नवी मुंबई मुनिस्पल कार्पोरेशन में समाज समता कामगार संघ यूनियन के 6000 कर्मचारी ऐसे हैं जो यहां कार्यरत हैं कर्मचारियों ने कार्पोरेशन से वह सारी सुविधाओं की मांग की है जो वह अपने परमानेंट कर्मचारियों को कोरोना से बचने के लिए और एहतियायत बरतने के लिए देते हैं क्योंकि सारे कर्मचारी जमीनी सतह पर काम करते हैं इनमें झाडू , गटर साफ करने, से लेकर हर वह काम जहां कोरोना संक्रमण का ज्यादा खतरा रहता है शामिल है। कर्मचारियों की मांग पर कार्पोरेशन ने कोरोना से बचने के लिए किस भी प्रकार की सुविधा देने से इंकार कर दिया और कहा कि वह ठेके पर काम करने वाले मजूदर हैं अपने ठेकेदार से मांगे।याचिकाकर्ता की ओर से एडोकेट भावेश परमार और एडोकेट राहुल गायक्वाड़ ने इन सारे मामलों के लेकर उनके अधिकारों की मांग करते हुए कोर्ट से गुहार लगाई थी।
इन कर्मचारियों को उस इशुरेंस स्कीम से भी वंचित रखा गया है जो थाने मुनिस्पल कार्पोरेशन और पनवेल मुनिस्पल कार्पोरेशन के बीएमसी कर्मचारियों कोरोना के चलते होने वाली बीमारी और मौत होने की वजह से दी गई है जबकि कोविड 19 की नियमानुसार यह इंशूरेंस स्कीम उन सारे कर्मचारियों पर लागू होती है जो कोरोना लाकडाउन के समय अपनी जान जोखम में डाल कर काम करते हैं। कार्पोरेशन लाकडाउन में काम करने वाले अपने कर्मचारियों को रोजाना 300 रु देते ही इन कर्मचारियों को उससे भी वंचित रखा गया है। इसके साथ साथ उन्हें खाने पीने, और आने जाने या दूसरी बुनियादी जरुरुतों से वंचित रखा गया है यूनियन की ओर से तकरीबन 6000 कर्मचारियों की इस मांग पर कोर्ट ने कड़ी रुख इख्तियार किया है।
परमार का कहना है कि आखिर इन कर्मचारियों को लेकर बीएमसी का दोहरा रवय्या क्यों है जो कि इस मुसीबत की घड़ी में अनी जान की बाजी लगा कर काम करते हैं।कोर्ट ने नवी मुंबई मुनिस्पल कार्पोरेशन को इन सारे मामलों को लेकर अपना जवाब 14 मई तक कोर्ट में हलफनामे के साथ दाखिल करने के लिए कहा है।
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