शाहिद अंसारी
मुंबई : अगर आप यह सोच कर अपने आप को तसल्ली दे रहे हैं कि निरव मोदी,विजय माल्या जैसे लोगों ने ही भारत को चूना लगा कर भगोड़ों की फहरिस्त में अपना नाम दर्ज कराया है तो यह आपकी गलत फहमी होगी क्योंकि आरटीआई से एक सनसनीखेज़ खुलासा हुआ है जिसमें यह पता चला है कि इनके अलावा 184 लोग ऐसे हैं जो हज़ारों करोड़ों के घपले कर के फ़रार हो गए हैं और मुंबई Economic Offences Wing की पहुंच से बाहर हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता जितेंद्र घाडगे ने जो जानकारी हासिल की है उससे यह भी पता चला है कि साल 2015 में EOW ने 5560 करोड़ रूपए, साल 2016 में 4273 करोड़ रूपए और साल 2017 में 9835 करोड़ रूपए की धोखाधड़ी का मामला मुंबई Eow ने दर्ज किया है लेकिन चौंका देने वाली बात यह है कि हज़ारों लाखों निवेशकों के हज़ारों करोड़ों की धोखाधड़ी के मामले दर्ज करने वाली मुंबई EOW ने अब तक मात्र 74 निवशकों के ढाई करोड़ रूपए ही वापस करने में कामयाबी हासिल की है जबकि अधिकतर मामलों की जांच चल रही है।
साल 2015 से लेकर अब तक केस रजिस्टर करने का एवरेज हर साल 110 का है जबकि मुंबई EOW 50 लाख रुपए से ज्यादा की हुई धोखाधड़ी की वारदात में मामला दर्ज करती है। वहीं पिछले 3 सालों में आरोपियों को सज़ा दिलाने के बारे में जो जानकारी मिली है वह ऐसी है कि 20 मामलों में कोर्ट ने आरोपियों को दोषी करार दिया है जबकि 60 मामलों में आरोपियों को बरी कर दिया है।
जितेंद्र घाडगे का कहना है कि हम इन मामलों को लेकर जितना इस विभाग को या सीबीआई को कोसते हैं उससे ज्यादा हमें यह ध्यान देने की ज़रूरत है इन विभागों में स्टाफ़ की बड़ी कमी है जिसकी वजह से मामले ज्यादा दर्ज होते हैं लेकिन स्टाफ़ कम होने की वजह से जांच कछुए की रफ्तार से लंबे समय तक चलती रहती है इसलिए सरकार को चाहिए कि इन सब विभागों में स्टाफ़ को बढाए क्योंकि मुंबई EOW में स्टाफ़ की काफी कमी की वजह से जो लोग इस विभाग से कार्रवाई की उम्मीद लगाए बैठे हैं उनकी उम्मीद पर पानी न फिरे।
RTI से मिली जानकारी
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