शाहिद अंसारी
मुंबई : कहते हैं मुंबई पुलिस के कुछ पुलिस वाले अगर अपने कमीनेपन और हरामखोरी पर उतर आऐं तो वह आप के साथ कुछ भी कर सकते हैं क्योंकि आईपीसी की कलम को वह खुद की जागीर समझते हैं। लेकिन कभी कभी यही शानपटी भारी पड़ जाती है ऐसा ही एक मामला मुंबई के मुलुंड पुलिस थाने का जहां फर्ज़ी रेप केस दर्ज कराने वालों के पीछे पुलिस की पूरी गैंग शामिल है जिसके सर पर अब महाराष्ट्र ह्युमन राइट्स कमीशन का डंडा पड़ा है।
महाराष्ट्र ह्युमन राइट्स कमीशन ने मुंबई पुलिस कमिश्नर को यह आदेश दिया है कि वह मुलुंड थाने के ज़रिए मुलुंड के रहिवासी डाक्टर जयेश कतीरा को रेप के झूटे मामले में फंसा कर उनसे वसूली करने वालों के खिलाफ़ और मामले को लेकर पुलिस की जो भूमिका रही उसके लिए ईमानदार अधिकारियों को नियुक्त कर के मामले की पूरी ईमानदारी से जांच करें। आयोग ने यह भी आदेश दिया कि ज़ोन 7 के डीसीपी अखिलेश सिंह मामले से जुड़े दस्तावेज़ों को लेकर मुंबई पुलिस कमिश्नर से मिलें।
साल 2014 में डॉ. जयेश कतीरा के खिलाफ़ मुलुंड पुलिस थाने में उनके हॉस्पिटल में काम करने वाली एक महिला को काम से निकाला तो उसने रेप के झूटे मामले दर्ज कराने वाली प्रोफेशनल महिला के ज़रिए डाक्टर पर रेप का झूटा मामला दर्ज कराया। इससे पहले इसी महिला द्वारा 3 और लोगों के खिलाफ़ रेप के झूटे मामले दर्ज कराए गए थे।
मामला दर्ज कराने के बाद मुलुंड पुलिस थाने ने डाक्टर को गिरफ्तार कर लिया। डाक्टर की गिरफ्तारी के बाद झूटा मामला दर्ज करने वाली गैंग ने डाक्टर की पत्नी सोनल कतीरा से पैसों की मांग करने लगे। सोनल कतीरा ने इस मामेल में उनकी 24 आडियो वीडियो रिकार्ड कर के पुलिस थाने में शिकायत की लेकिन मुलुंड पुलिस ने उनके खिलाफ़ किसी तरह का मामला नही दर्ज किया।
हिरासत में मुलुंड पुलिस थाने के पुलिस अफसर राव साहेब जाधव ने डॉक्टर को वियाग्रा की गोली खिला कर डाक्टर का स्पर्म निकाला और डॉक्टर की पत्नी सोनल कतीका से 70000 हजार रुपए की वसूली की पैसे न देने पर उन्होंने कहा कि यह स्पर्म शिकायतकर्ता के कपड़े पर डाल देंगे जिससे रेप का केस मजबूत हो जाएगा और डॉक्टर हमेशा के लिए जेल में रहेंगे।
इन सारे मामले को लेकर डॉक्टर ने मौजूदा डीसीपी अखिलेश सिंह से भी शिकायत की लेकिन हर जगह की तरह यहां भी अपनी आदत से मजबूर अखिलेश सिंह ने कार्रवाई करने के बजाए हात खड़े किए।
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