शाहिद अंसारी
मुंबई : विश्व के सबसे बड़ा नेटवर्क भारतीय रेलवे के पास रेलवे से घायल होने वाले और रेलवे दुर्घटना से होने वाली मौत के शव को उठाने वाले कर्मचारियों को लेकर कोई ठोस व्यवस्था नहीं है ऐसी जानकारी आरटीआई से प्राप्त हुई है।
गौरतलब हो की मुंबई उपनगरीय रेलवे में २०१७ में ट्रेन से गिरकर/कटकर ३०१४ यात्रियों की मौत हुई है जबकि ट्रेन से गिरकर घायलों की संख्या ३३४५ है। मध्य रेलवे के उपनगरीय रेलवे में कुल १५३४ यात्रियों की मौत हुयी है और घायलों की संख्या १४३५ है। वहीं पश्चिम उपनगरीय रेलवे में कुल १०८६ यात्रियों की मौत हुयी है और घायलों की संख्या १५४० है। हार्बर उपनगरीय रेलवे में ३९४ यात्रियों की मौत हुयी है जबकि घायलों की संख्या ३७० है।
भारतीय रेल को मुंबई से सबसे ज्यादा फाएदा हासिल होता है हैरान कर देने वाली बात है कि भारतीय रेल मुंबईकरों के साथ सोतेला व्यव्हार करती है। पिछले साल एलेफिस्टन रोड स्टेशन पर भगदड़ मचने के कारण २३ लोगो मौत के मुंह मे चले गए जबकि घायलों की संख्या भी काफी ज्यादा थी।
मुंबई की लोकल ट्रेन को मुंबई की लाइफ लाइन कहा जाता है हर रोज एक करोड़ से ज्यादा यात्री इससे यात्रा करते है जिसकी वजह से भीड़ होना लाज़मी है। इस भीड़ मे ही लोग अपनी जान जोखिम में डाल कर अपना सफ़र करते हैं लेकिन रोज़ी रोटी का सफ़र जिंदगी का आखिरी सफर कब बन जाए इस बारे मे कुछ नहीं कहा जा सकता। क्योंकि भीड़ के चलते यात्री दरवाजे पर लटककर और खड़े होकर यात्रा करते है जिसके कारण हर रोज औसतन 10 से 12 यात्रियों की ट्रेन से गिरकर/कटकर मौत हो जाती है। कई यात्री रेल की पटरियों पर अपना दम तोड़ देते है क्योंकि उन जख्मी यात्रियों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता है। इसका मुख्य कारण है समय पर घायल यात्रियों को नहीं उठाना और न ही उन्हें समय रहते उपचार केंद्र तक पहुंचाना। वजह यह है कि उन्हें उठा कर उपचार केंद्र तक पहुंचाएगा कौन क्योंकि रेलवे ने इसके लिए किसी भी कर्मचारी को आज तक नियुक्त ही नही किया।
आरटीआई कार्यकर्ता शकील अहमद शेख ने मध्य रेल और पश्चिम रेल से उपनगरीय रेलवे स्टेशनों पर ट्रेन से गिरकर घायल होने वाले अथवा मरने वाले यात्रियों को उठाने के लिए किस-किस रेलवे स्टेशन पर कितने कर्मचारी/हमाल की नियुक्ती की है इसकी जानकारी मांगी थी। इस सन्दर्भ में रेलवे प्रशासन के सुचना अधिकारी नर्मदेश्वर झा ने सुचना उपलब्ध कराई है। मिली सुचना के अनुसार उपनगरीय स्टेशन पर दुर्घटना में जख्मी तथा मृत व्यक्ति को पटरी से उठाने के लिए कोई विशेष रूप से कर्मचारी नियुक्त नहीं किये गए है। ऐसी दुर्घटना होने पर सम्बंधित स्टेशन मास्टर स्थानी हमाल व स्वैछिक सेवकों की मदद लेते है।
आरटीआई कार्यकर्ता शकील शेख के अनुसार दुर्घटना होने पर सम्बंधित स्टेशन मास्टर नशेडी और गर्दुल्लो की मदत लेते हैं सवाल ये है की नशेडी और गर्दुल्लों खुद नशे में रहते है क्या नशेडी और गर्दुल्लो के सहारे घायल यात्रियों को सही समय पर इलाज मिल सकता है क्योंकि इन नशेडी और गर्दुल्लो का कोई ठिकाना नहीं होता है उन्हें ढूढने में काफी समय चला जाता है नतीजा घायल यात्री को समय पर अस्पताल नहीं पहुँचाने की वजह से उसकी मौत हो जाती है। इस सन्दर्भ में शकील अहमद शेख ने रेल मंत्री पियूष गोयल एवं रेलवे बोर्ड चेयरमैन अश्वनी लोहानी को पत्र लिखकर जल्द से जल्द सभी रेलवे स्टेशन पर दुर्घटना में जख्मी तथा मृत व्यकित को पटरी से उठाने के लिए विशेष कर्मचारी अथवा लाएसेन्स धारक हमाल नियुक्त करने की मांग की है।
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