शाहिद अंसारी
मुंबई: मुंबई के मजगांव इलाके में स्तिथ कोकन मर्कनटाइल बैंक से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 14 करोड 90 लाख रूपए का लोन लेने का मामला सामने आया।बिल्डर सिंकदर सुलेमान लोलादिया उर्फ राजू पुलिस उर्फ नट बोल्ट और अलताफ लकडावाला के जरिए नागपाडा स्तिथ सुलेमान टावर में मौजूद 11 फ्लेट के बदले बैंक से 14 करोड 90 लाख रूपए का लोन लेने का मामला सामाने आया है।खास बात तो यह है कि बिल्डर ने इन घरों को लोन लेने से पहले ही बेच दिया है।और बेचने के बाद इन घरों का मालिक खुद को बताते हुए कोकन मर्कनटाइल बैंक से लोन भी ले लिया है वह भी एक घर के बदले में एक बार नहीं बल्कि कई बार उसी बैंक से लोन लिया।इस वारदात के भनक लगते ही मुंबई ऐंटी करप्शन ब्युरो नें अपने कान खडे करलिए और मामले की छानबीन कररहे हैं।
दर असल मुंबई के नागपाडा स्तिथ वासिल खान मार्ग पर हाजी सुलेमान टावर के बिल्डर सिंकदर सुलेमान लोलादिया उर्फ राजू पुलिस उर्फ नट बोल्ट और अलताफ लकडावाला ने मकान नंबर 101,301,401,501,1101,1301 श्री नामिनाथ टावर भूलेश्नर में 502(दो बार),503,702,1103 इन घरों को काफी पहले बेच दिया और इनका रजिस्ट्रेशन भी कराया गया।लेकिन बिल्डर ने बेचने के बाद भी इन सारे घरों का मालिक खुद को बता कर करोडों रूपए का लोन ले लिया।इन घरों को बिल्डर नें साल 2013 और 2012 में ही बेच दिया और इनका रजिस्ट्रेशन भी कराया लेकिन बेचने के साल भर बाद ही दोनों बिल्डरों नें इन्ही घरों को गिरवी रखकर मजगांव इलाके में स्तिथ कोकन मर्कनटाइल बैंक मे खुद को मालिक बताते हुए करोडों का लोन ले लिया।जबकि इस घर को जिन लोगों को बेचा गया है वह इन घरों मे रह रहे हैं लेकिन उनको पता ही नहीं कि जिस घर मे वह रह रहे उनका घर बैंक में गिरवी रखकर उसी बिल्डर ने बैंक से करोडों का लोन लिया।सिर्फ यही नहीं बल्कि बिल्डिंग में मौजूद सोसाएटी के लिए बनाया गया फ्लैट नंबर 101 को भी गिरवी रखकर लोन लिया गया है।
BOMBAY LEAKS के हाथ लगे दस्तावेजों की छान बीन करने के बाद पता चला की जिन लोगों के घर को गिरवी रखकर करोडों के लोन लिए गए हैं उनके नाम फिज्जा कपाडिया, अतीका कपाडिया, नाजनीन वडगामा,इक्बाल खान,राजेश गोहिल,पारसमल पिचा,इमतियाज कलाडिया,महमूद अब्दुल अजील,मुहम्मद खालिद अंसारी हैं।इन लोगों नें घर खरीदने के बाद उसे रजिस्ट्रेशन भी कराया बावजूद इसके इनके घरों पर बिल्डर ने खुद का मालिकाना हक बताते हुए बैंक में इनके घर को गिरवी रखकर लोन लिया।अब ऐसे मे अगर बैंक लोन की भरपाई के लिए नोटिस देती है तो जो घर के असल खरीदार या जिनका घर पर मालिकाना हक है उनके लिए मुश्किल होजाएगा।क्योंकि जो लोग घरों को खरीद कर रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं उनको इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं कि जिस घर के वह मालिक हैं उसको बिल्डर नें खुद का बताकर बैंक से लोन लेकर उनकी जगह को गिरवी रखा है।
सीनियर बैंक मनेजर मुहम्मद इक्बाल आदम जलगांकर जिनके जरिए यह लोन जारी किया गया उनके मुताबिक उन्होंने और उनकी टीम ने लोन देने के पहले जांच की थी लेकिन उन्हें इस बात का पता नहीं चल सका कि जिस घर को गिरवी रखकर उन्होंने करोडों का लोन दिया है वह घर पहले ही बिल्डर ने बेच दिए हैं।लोन देने के बाद जब उन्हें इस बात की जानाकारी मिली तो उन्होंने जिन घरों के कागजात गिरवी रखे थे उसके बदले में दूसरे कागजात को गिरवी रख लिया लेकिन जिन फर्जी कागजात के आधार पर करोडों का लोन सीनियर बैंक मनेजर मुहम्मद इक्बाल आदम जलगांकर ने बिल्डर को दिए इस धोखाधडी को लेकर ना तो बिल्डर और ना ही बैंक के वेरिफ्केशन विभाग के खिलाफ किसी भी तरह की कोई कार्रवाई या पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई।इससे साफ जाहिर होता है कि कोकन बैंक सीनियर बैंक मनेजर मुहम्मद इक्बाल आदम जलगांकर की मिली भगत के बिना यह मुमकिन नहीं की कोई भी शख्स दूसरे के घरों पर अपना मालिकाना हक बता कर कोरोडों का लोन ले और बैंक को इस बारे मे कुछ पता ही ना चले।अगर बैंक गिरवी रखे गए कागजात के बदले दूसरे कागजात गिरवी रखे तो भी लोन लेने वाले बिल्डर के खिलाफ और कोकन बैंक सीनियर बैंक मनेजर मुहम्मद इक्बाल आदम जलगांकर के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई होगी जिसको लेकर मुबंई ऐंटी करप्शन ब्युरो नें जांच शुरू करदी है और जांच के बाद करोडों के इस फर्जी लोन देने वाले कोकन बैंक के सीनियर बैंक मनेजर मुहम्मद इक्बाल आदम जलगांकर और लोन लेने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी।
इस बारे में पूर्व आईपीएस अधिकारी और सीनियर वकील वाई.पी सिंह ने कहा कि जिन लोगों नें घर खरीद कर रजिस्ट्रेशन कराया है उनके खरीदारी करने के बाद अगर बिल्डर नें इस तरह की हरकत की है तो उनकी कोई गलती नहीं जिन लोगों ने घर खरीदा है।गलती उस बैंक की है जिसनें बिना जांच के लोन दिया है।इस मामले में बैंक के मैनेजर और बिल्डर रजिस्ट्रेशन आफिस के अधिकारियों के खिलाफ जांच होनी चाहिए क्योंकि इस तरह से बैंक के जरिए किसी को भी आंख बंद कर के लोन देने के मतलब है कि यह काम बिना बैंक के मिलीभगत के नहीं हो सकता।इस लिए उन सब पर कार्रवाई होना जरूरी है जो इसके दाएरे में आते हैं।और अगर फर्जी कागजात को वापस कर दूसरे कागजात गिरवी रखे गए तो भी सबके खिलाफ कार्रावाई होनी चाहिए क्योंकि फर्जी कागजात को लोन के लिए इस्तेमाल किया जाचुका है।
इस मामले को लेकर जब मुंबई ऐंटी करप्शन ब्युरो के एडिशनल सीपी किशोर जाधव से बात चीत की गई तो उन्होंने कहा कि प्राथमिक जानकारी में हमें इस बात का पता चला है कि दो लोगों के जरिए 14 करोड 90 लाख का जो लोन लिया गया है।उसमें जिन घरों को गिरवी रखा गया गया है वह घर लोन लेने से पहले ही बेचे जा चुके हैं।यहां बैंक मैनेजर,बिल्डर सिंकदर सुलेमान लोलादिया,और अलताफ लकडावाला के साथ साथ रजिस्ट्रेशन आफिस के उन अधिकारियों की भूमिका की हम जांच कर रहे हैं जांच पूरी होने के बाद जो लोग भी इस भ्रष्टाचार में शामिल पाए जाऐंगे उनके खिलाफ ऐंटी करप्शन ब्युरो की तरफ से कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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