शाहिद अंसारी
मुंबई : मुंबई हाईकोर्ट के आदेश के बाद कल भिंडी बाज़ार में स्थित मस्तानी मां दरगाह की जांच के लिए बीएमसी , महाडा , एसबीयूटी ( सैफी बुरहानी अपलिफ्टमेंट ट्रस्ट ) याचिकाकर्ता 11 बजे पहुंच गए। जांच के दौरान अंदर के हिस्से में देखा गया तकरीबन 50 से ज़्यादा पाइप के सहारे से दरगाह की छत को रोका गया है जो कि कभी भी गिर सकती है और वहां मौजूद मज़ारों को नुकसान पहुंच सकता है। याचिकाकर्ता ने अधिकारियों की मौजूदगी में वहां की फोटो ग्राफी भी कराई। हालांकि अधिकारियों ने मात्र हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करने के लिए अंदर से ही जांच कर के खानापुरी की जबकि बाहर के हिस्से में जांच नही की।
दरगाह से ही सट कर एसबीयूटी ( सैफी बुरहानी अपलिफ्टमेंट ट्रस्ट ) का काम चालू है और बड़ी मशीनों के ज़रिए मस्तानी मां दरगाह का स्ट्रक्चर पूरी तरह से कमज़ोर हो चुका है जो कि कभी भी गिर सकत है। ऐसा क़यास लगाया जा रहा है कि इसी तरह से एसबीयूटी दरगाह को खतम करने की कोशिश कर रही है। हालांकि इसके रखरखाव और सुरक्षा की ज़िम्मेदारी एसबीयूटी की है।
मस्तानी मां दरगाह को लेकर मुंबई हाईकोर्ट ने यह आदेश जारी किया था कि याचिकाकर्ता दरगाह को एसबीयूटी के हवाले करें जिसके बाद उन्होंने उसे उनके हवाले कर दिया। लेकिन एसबीयूटी के ज़रिए किए जा रहे डेव्लपमेंट के काम से मज़ारों को बेहद नुकसान पहुंचा है। याचिकाकर्ता ने ऐसी जर्जर हालत देख फिर एक बार मुंबई हाईकोर्ट से गुहार लगाई की इस तरह से मस्तानी मां दरगाह पूरी तरह से तहेस नहेस हो जाएगी। जिसके बाद मुंबई हाईकोर्ट ने फिर से मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच का दिन और समय निर्धारित किया।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद महाडा और और बीएमसी के अधिकारियों की लापरवाही को देख याचिकाकर्ता ने कोर्ट से समय और तारीख के साथ जांच की गुहार लगाई थी बावजूद इसके अधिकारी वहां 1 घंटे देर से पहुंचे। अब जल्द ही इस मामले में महाडा और बीएमसी अपनी रिपोर्ट कोर्ट में जमां करेगी। याचिकाकर्ता के वकील भावेस परमार कहा कि हम देखक रहे हैं कि महाडा और बीएमसी की रिपोर्ट में क्या यह अधिकारी सच्चाई का उल्लेख करते हैं या या एसबीयूटी की कमियों को छुपाते हैं। इस रिपोर्ट के बाद ही हम इस पर हाईकोर्ट से कार्रवाई की मांग करेंगे।
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