शाहिद अंसारी
मुबंई:मुंबई के पायधूनी पुलिस थाने ने एक 75 साल के शातिर ठग को गिरफ़्तार किया है एक सीनियर सिटीज़न ने पायधूनी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि पायधूनी इलाके में एक 75 साल के बुज़ुर्ग ने उसे डरवा धमका कर उनके हाथ की सोने की अंगूठी और गले में मौजूद सोने की चैन उतरवा ली।पुलिस ने पूरे मामले की छान बीन की तो पता चला कि सीनियर सिटीज़न को चूना लगाने वाला आरोपी भी एक ज़माने का नामी ठग है और इस वक्त इसकी उम्र 75 साल है इस ठग को टिटवाला से गिरफ़्तार किया गया है।पुलिस ने पीड़ित के बताए हुए घटना स्थल का जब जायज़ा लिया तो आरोपी उस सीसीटीवी मे दिखाई दिया आखिर एक हवलदार ने इस आरोपी को पहचान लिया।क्योंकि यह ठग 25 साल पहले मुबंई पुलिस की नाक मे दम करचुका था और हवलदार ने इसे 25 साल पहले सी तरह के मामले में गिरफ़्तार किया था।जिसकी कहानी बडी ही दिलचस्प है।
कैसे करता था ठगी
दर असल ठग विजय अधिकारी उर्फ़ प्रभू उर्फ़ हारून ऊर्फ़ जोशी जिसकी उम्र फिलहाल 75 साल है लेकिन यह एक जमाने से इस तरह की घटी करता चला आरहा है।ट्रेन में ऐसे लोगों से बातचीत करता था जो सरकारी नौकरी से रिटाएर हो चुके हों यह ठग उनके पास आता था और चिकनी चुपड़ी बातों में फंसाकर पार्ट टाइम काम करने की बात कर उसे मुंबई के मदनपूरा इलाके मे गोश्त बाज़ार लेकर आता था और जैसे ही गोश्त बाज़ार में सीनियर सिटीज़न को लेकर आता उसके बाद उसे जान से मारने की धमकी देकर उसके पास मौजूद सोने की चैन और अंगूठी सोने के आभूषण छीन लेता था अपनी जान बचाने के लिए कोई भी पीडित इसे अपनी अंगूठी या सोने की चैन दे देता था।
हवलदार ने इस ठग को पहचाना
दर असल इस ठग की ठगी की कहानी साल 1991 की थी उस दौरान इसने मुंबई पुलिस की नाक मे दम कर रखा था इसके ख़िलाफ़ मुंबई के नागपाडा,डोंगरी,धरावी,बांद्रा जैसे पुलिस थाने में कुल 19 मामले दर्ज हैं।पायधूनी पुलिस थाने में काम करने वाले हवलदार गौतम सालवे ने उस दौरान नागपाड़ा पुलिस थाने में काम किया था और नागपाडा में इसके खिलाफ़ तकरीबन 13 मामले दर्ज हैं।लेकिन एक पीड़ित के साथ पुलिस ने साल 1991 में ही मेहनत की जिसके बाद यह ठग उसी समय मुंबई के दादर स्टेशन से गिरफ़्तार हो गया था बाद में ज़मानत पर बाहर था।हवलदार सालवे इसे अच्छी तरह पहचानते थे।जैसे ही पायधूनी में यह शिकायत दर्ज हुई और सीनियर सिटीज़न ठग का नाम सामने आया उनका माथा चकरा गया और सीधे 25 साल पहले की ठगी की वारदात उन्हें याद आने लगी।पायधूनी पुलिस थाने की हद में इस ठग ने ठगी की वारदात को अंजाम दिया घटना स्थल पर लगे सीसीटीवी को सालवे ने देखते ही और पहचान लिया कि यह तो वही ठग है जिसनें मुबंई पुलिस को परेशान कर रखा था।जानकारी मिलने के बाद पायधूनी पुलिस थाने ने इसका पाता निकाला इसका पता टिटवाला का था।पुलिस की टीम टिटवाला गई तो यह घर पर ही मौजूद था।हवलदार गौतम सालवे ने देखा तो यह वही ठग निकला जिसे 1991 में उन्होंने गिरफ्तार किया था।
घोड़े की रेस और जुए की लत ने बरबाद किया
75 साल के इस ठग की जिंदगी की कहानी भी बडी ही दिलचस्प है दर असल यह आज से 30 साल पहले बहुत ही अमीर हुआ करता था।मुबंई के दादर इलाके में इसके चार फ़्लैट हा करते थे लेकिन इसे जुए और घोडे की रेस का बहुत शौक था।इस रेस ने इसे जिंदगी की रेस में तो आगे कर दिया लेकिन कंगाल बना दिया जिसके बाद से यह सीनियर सिटीज़न को अपना निशाना बनाना शुरू किया साल 1991 से इसने ठगी की वारदात को अंजाम देना शूरू किया और आज 75 साल का होने के बाद भी अपनी आदत से बाज़ नहीं आया।
अपनी बहेन को भी बेवकूफ बनाता था
घोड़े की रेस और जुए की लत में यह घर से नोटों की गड्डी लेकर जाता था और घर वालों को पता ना चले इसलिए नोटों के बंडल के बीच में काग़ज भर देता था।ऊपर असली नोट और नीचे असली नोट और उनके बीच मे नोटों की जगह काग़ज़ भर देता था।लेकिन एक दिन इसकी चोरी इसके घर वालों ने आखिर पकड ही ली।जिसके बाद यह लोगों को ठगने का काम करने लगा। पायधूनी पुलिस को मिली शिकायत के बाद पुलिस नें इसके खिलाफ धारा 420 और 506 के तहत मामला दर्ज कर कोर्ट मे पेश किया जहां कोर्ट ने इसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया पुलिस को अबतक इसके पास से पीडित की सोने की अंगूठी और चैन नहीं मिल सकी।पायधूनी पुलसि थाने के सीनियर पीआई सुनील कवलेकर ने कहा कि फिलहाल पुलिस इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर इसने उसे कहां बेचा।पुलिस की मानें तो इसके इस गोरख धंधे में सोने के व्यापारी भी शामिल होसकते हैं जो इसके जरिए धोकाधड़ी के सोने को खरीद लेते हैं।
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