मुंबई : धार्मिक भावना स्पेशलिस्ट और आईपीसी , सीआरपीसी के दम पर उछल कूद कर के झूटे मामले दर्ज करने वाले काला चौकी के पूर्व सीनियर पीआई संजय बस्वत का तबादला फिर एक बार एल.ए (लोकल आर्म्स विभाग) में कर दिया गया है बस्वत इस से पहले नागपाड़ा पुलिस थाने में थे जहां वह बाबा बंगाली की जी हुजूरी में कई झूटे मामले दर्ज किए थे हालांकि मामला दर्ज करने के बाद वर्दीधारी यह गुंडा कभी भी कोर्ट में हाजिर नहीं हुए बल्कि दूसरे अफसरों को भेज कर खुद छुट्टी ले कर गुल हो जाते थे यही नहीं उन्होंने पाखंड और झूट के खिलाफ़ खबर लिखने वाले एक अखबार के का लाएसेंस रद्द करने का आवेदन भी दिया था जिसके बाद कोर्ट ने बस्वत ऐंड कंपनी को आड़े हाथों ले कर जमकर चढाई की और कोर्ट की फटकार खाने के बाद मुंह चुराते फिर रहे थे ।
मुंबई के नए पुलिस कमिशनर परंबीर सिंह के आने के बाद पूर्व कमिश्नर संजय बर्वे ने जिन जिन लोगों का तबादला किया था उनके तबादले पर रोक लगाते हुए उन्होंने उसे बरकरार रखा इसलिए जिन जिन लोगों का तबादला संजय बर्वे ने किया था वह सब वापस अपने उसे ओहदे पर नियुक्त हो गए इनमें संजय बस्वत का भी नाम था। बस्वत काला चौकी में तैनात थे मिली जानकारी के मुताबिक बस्वत के के खिलाफ़ एक महिला पुलिस अधिकारी ने शिकायत की थी अधिकारी ने अपने शिकायत में बस्वत के खिलाफ़ उनके आचरण को लेकर विनयभंग की शिकायत की थी वारदात उस समय की थी जब बस्वत नागपाड़ा में तैनात थे और तब उनकी गुंडई , वसूली और महिला अफसर के साथ खराब बरताव अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया था। इसी शिकायत पर बस्वत को एक महीने पहले ही तत्कालीन पुलिस कमिश्नर संजय बर्वे ने बाहर का रास्ता दिखाते हुए एल.ए में भेज दिया जहां मौजूदा पुलिस कमिश्नर ने उन्हें वापस से भेज दिया।
महिला अधिकारी की शिकायत के बाद बस्वत के खिलाफ़ यह जांच वर्ली डिवीज़न के एसीपी सानभोर को सौंपी गई थी लेकिन बजाए जांच करने के एसीपी शशांक सानभोर बस्वत को बचाने की कोशिश की सानभोर के बाद इस मामले की जांच माटुंगा डिवीज़न की एसीपी इंदलकर के हवाले की गई लेकिन उन्होंने भी बस्वत को बचाने की बर संभव कोशिश की जिसके बाद पीड़ित महिला अधिकारी ने इसकी शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों से की और मामले की जांच डीसीपी ज़ोन 5 नियती ठाकरे दवे को सौंपी गई जिनकी रिपोर्ट के बाद बस्वत को एल.ए का रास्ता दिखया गया।
कौन है बस्वत
बस्वत का शुमार मुंबई के फर्ज़ी और झूटी एफआईआर दर्ज करने और वर्दी की आड़ में गुंडई करने और बिल्डरों को सपोर्ट करने वसूली का लेखा जोखा रखने वाले अफसरों में होता है साल 2009 में बस्वत मुंबई के वर्ली पुलिस थाने में तैनात थे जब एक सीनियर सिटीजन याचिकाकर्ता को बस्वत ने घर में घुस कर याचिका वापस करने के लिए धमकाते हुए इनकाउंटर की धमकी दी थी। बस्वत के खिलाफ़ कई मामलों की जांच चल रही है बावजूद इसके बस्वत को थाने का सीनियर पीआई नियुक्त किया गया लेकिन यहां बस्वत के रोजाना के नए नए कांड के चलते बाहर का रास्ता दिखाते हुए उन्हें एल.ए भेज दिया गया था। आईपीसी सीआरपीसी को खुद की जागीर समझने वाले बस्वत ने शायद कभी सोचा नहीं होगा की उनके कुकर्मों का सज़ा पुलिस विभाग ही उन्हें देगा।
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