मुंबई : चुवान का बिगुल बजते ही सारी चुनावी पार्टियां आचार सहिंता के डर से अपने नाम की तख्तीपोशी करनी शुरु कर दी लेकिन ऐसे में मुंबई उर्दू न्युज़ नामक अखबार जिसे कांग्रेसी अखबार और उस्का मुखपत्र भी कहा जाता है उसने पेड न्युज़ का कारोबार धड़ल्ले से करना शुरु कर दिया है ऐसे में चुनाव आयोग के बनाए गए नियम का धडल्ले से न केवल उल्लघन किया जा रहा है बल्कि उन उम्मीदवारों की ऐसे तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं।
ऐसा लगता है अब यह अखबार ने केवल पेड न्युज़ का ठेका ले रखा हो बल्कि उसे जिताने का भी ठेका ले लिया हो वह अलग बात है कि इनके लिखने पर अवाम कितना भरोसा करती है क्योंकि अवाम अगर इनके लिखने पर भरोसा करती तो 2014 में कांग्रेस को बुरी तरह से शिकस्त का सामना नहीं करना होता।
3 अक्तूबर को कांग्रेसी अखबार उर्दू न्युज़ ने वर्षा गायकवाड़ के बारे मे ऐसी तारीफ की कोई भी पढ़ कर शर्म से पानी पानी हो जाए हैरानीकी बात यह है कि इस अखबार ने तो घोषणा भी कर दी कि लाखों लोग उसके नामांकन भरने के समय मौजूद रहेंगे लेकिन यह तब झूटे साबित हुए जब उनके नामांकन में 3000 लोग भी वहां मौजूद नही थे यह चुनाव आयोग की ओर से की गई रिकार्डिंग से साफ़ पता चलता है।
वहीं दूसरी तरफ़ पेड न्युज़ का सिलसिला यहीं नहीं थमा इसमें अमीन पटेल , बाबा सिद्दीकी, बशीर मूसा पटेल जितेंद्र अव्हाड के तारीफ़ों के पुल बाँधने वाली पेड न्युज़ धड़्ल्ले से प्रकाशित की जा रही है जबकि इस लाइन में बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी भी कतार में शामिल हैं।
हैरानी की बात यह है कि कभी पत्रकारिता का प भी न जानने वाला झंडूबाम पेड न्युज़ के सीज़न में जितेंद्र अव्हाड की चाटुकारिता करने में बिल्कुल भी नहीं थक रहा है हालांकि पूरे साल लापता रहता है।
हालांकि इतनी सारी पेड न्युज़ के बाद भी अब तक इस अखबार के कर्मचारियों को बीते 7 महीने से वेतन नहीं दिया जा रहा है हालांकि पेड न्युज़ के स व्यवसाय में दोनों भतीजे चतुर इम्तियाज़ और खालिद जमकर मलाई खा रहे हैं लेकिन उसके एक भी छीटे कर्मचारियों पर नहीं पड़ने दे रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ़ चुनाव आयोग इस बार खा तौर पर इन उर्द अखबारों के ट्रांस्लेशन कर के उन सारी खबरों पर पैनी निगाहें जमा रखी हैं जो पेड न्युज़ के दलदल में गोता खा रहे हैं।
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