मुंबई : मुंबई के अरब सागर में अवैध रुप से तेल चोरी कर के उसे मुंबई की फिशिंग बोट को बेचने वाले ऑयल माफिया खुले आम घूम रहे हैं इनके नाम हैं इश्तियाक , मंगेश ठाकुर,अय्युब , कुंदन म्हात्रे हैं। अय्यूब इनमे चंदन अरब सागर में चंदन तस्करी के मामले में गिरफ्तार हो चुका है जबकि मंगेश ठाकुर मुबंई पुलिस के सहयोग से आज के समय का गोदी का सब से बड़ा तेल तस्कर है जिसे मौजूदा दौर का हाजी मस्तान कहा जाता है।
मंगेश ठाकुर के खिलाफ़ जिस पर हाल ही में यलो गेट पुलिस थाने मं तेल तस्करी का मामला दर्ज किया गया है उसे गिरफ्तार करने के लिए यलो गेट पुलिस थाने के अफसर गिरफ्तार करने गए थे लेकिन सही समय पर तेल माफिया मंगेश ठाकुर की पत्नी ने यलोगेट डिवीज़न की एसीपी लता दोंडे से संपर्क किया जिसके बाद लता दोंडे ने पुलिस वालों से टेक्निकल सवाल पूछने के लिए कहा और पुलिस वालों ने देखा कि जब आला अफसर का साथ आयल माफिया को है तो उनके हाथ पांव फूल गए उन्हें मंगेश ठाकुर को गिरफ्तार किए बिना वापस लौटना पड़ा।
इस कार्रवाई के बाद मंगेश ठाकुर गिरफ्तारी से बचने के लिए गिरफ्तारी पूर्व ज़मानत की अर्ज़ी कोर्ट में दाखिल की ताकि इस गिरफ्तारी से वह बच जाए। जानकारी में पता चला है कि मंगेश ठाकुर को गिरफ्तारी पुर्व जमानत का मशविरा भी मुंबई पुलिस के ही एक अफसर ने दिया है।बॉम्बेलीक्स के हाथ कुछ ऐसी ऑडियो क्लिप है जिसमें कुछ ऐसे ही वर्दीधारी अफसरों को लेकर मंगेश ठाकुर ने तेल के अवैध कारोबार के लिए पैसे की मांग की है जिसे जल्द ही प्रकाशित किया जाएगा।
कैसे चोरी करते हैं समुंद्र से तेल
विदेशी वेसल ( बड़े शिप ) में इनके एजेंट हैं जिनके नाम सुनील रॉय और विवेक रॉय और निज़ाम है यह लोग विदेशों से जो भी वेसल ( बड़े शिप ) जैसे ही मुंबई समुंद्र की सीमा ( बीएफएल एंक्रेज एल्फा एंक्रेज ) में प्रवेश करते हैं वैसे ही सेटेलाइट फोन से एजेंट ऑयल माफियाओँ को फोन करते हैं और वह मछुवारों की बोट 50000 से लेकर 100000 तक भाड़े पर लेते हैं और फिर उस बोट के ज़रिए विदेशी वेसल के पास पहुंचते हैं वेसल तक पहुंचने के लिए वेसल के कैप्टन एजेंट को जीपीएस लोकेशन देते हैं मछुवारों की बोट में इस लोकेशन ट्रैक करने के लिए जीपीएस डिवाइस लगा होता है। मछुवारों की इस बोट के नाम काशी विश्वनाथ , मावली कृपा, ज्ञानेश्वर मावली , साई कृपा है मावली कृपा पर हाल ही में कस्टम विभाग ने कार्रवाई की थी।
जैसे ही जीपीएस लोकेशन एजेंट तेल तस्करों को देते हैं वैसे ही तेल तस्कर अपने लाव लश्कर के साथ पहुंच जाते हैं और विदेशी वेसल से पाइप के माध्यम से तेल चोरी कर लेते हैं यह सारी प्रक्रिया मे एख घंटे का समय लगता है विदेशी वैसल अधिकतर इंडोनेशियन क्रु होते हैं इसी लिए इस सौदेबाज़ी के लिए डॉलर का इस्तेमाल होता है और यह क्रंसी संभालने में भी आसानी होती है।
वेसल पर मौजूद डीज़ल 250 डॉसर में 1 टन खरीदा जाता है चूंकि यह डीज़ल वेसल के उपयोग के लिए होती है जिसे कैप्टन की मिलीभगत की वजह से चोरी से बेच दिया जाता है जिसे मुंबई में आसानी से खरीदा जा सकता है। इसे भारती मछुवरों को 50 रुपए लीटर बेचा जाता है जो कि मार्केट से मात्र 10 रुपए ही कम है। इस चोरी में हर साल देश को करोड़ो अरबों रुपए का चूना आयल माफिया लगाते हैं।इस गोरख धंधे का आधा हिस्सा मंगेश ठाकुर उर्फ़ हाजी मस्तान को जाता है जबकि आधे हिस्से में बाकी के तीन तेल तस्कर बांटते हैं।
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