फ़िरोज़ खान
मुंबई: महाराष्ट्र का सबसे बडा सरकारी जे.जे.अस्पताल इन दिनों बहुत ही बुरी हालत से गुजर रहा है।सरकार की लापरवाही का हाल ये है कि मौत से जूझ रहे मरीजों को अस्पताल में भर्ती नहीं कराया जा सकता क्योकि यहां वेंटिलेटर मशीन की सुविधा नहीं के बराबर है। नतीजतन जो मरीज डेंगू या अन्य किसी बीमारी की वजह से ज्यादा तबीयत खराब होने पर अगर उन्हें वेंटिलेटर मशीन पर रखना हो तो समझ लिजीए की वह बेमौत ही मर जाएगा क्योंकि इतने बडे अस्पताल में चंद ही वेंटिलेटर मशीन है।जिसकी वजह से गरीब मरीज आखरी सांसे गिनते हुए अस्पताल के बाहर ही तड़पता रहता है.गरीब मरीज की इतनी हैसियत नहीं होती है कि वह नीजी अस्पताल में इलाज करवा सके। 75 साल के ग्यानी तिवारी नाम का मरीज को वेंटिलेटर मशीन पर रखना था लेकिन अस्पताल में वेंटिलेटर मशीन उपलब्ध नहीं होने के कारण तीन दिनों तक इंतेजार करना पड़ा।एक पत्रकार ने जब अस्पताल के डीन मुकुंद तायडे को बताया तो वे फौरन हरकत में आए और आनन-फानन में तीन घंटे के भीतर वेंटिलेटर मशीन उपलब्ध करवाई .डीन तायडे के सहयोग से एक मरीज की जान बच गयी.लेकिन सवाल ये है कि राज्य सरकार वेंटिलेटर मशीनों की संख्या बढाने के लिए संजिदा क्यों नहीं है।जबकि पूरे महाराष्ट्र से गरीब मरीज यहीं इलाज करवाने आते हैं.बहुत ही सख्त जरूरत है कि सरकार इसपर गंभीरता से विचार करे और वेंटिलेटर मशीन बड़ी संख्या में उपलब्ध करवाने की पहल करें।
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