मुंबई : मुंबई के अरब सागर में विदेशी और बड़े भारती जहाज़ों से निकले तेल को लेकर चार कंपनियों को बीपीटी ने टेंडर का माध्यम से 4 कंपनियों को नियुक्त किया है लेकिन हैरानी की बात यह है कि इनकी नियुक्ति के बाद यह लोग अपनी लिमिट से अधिक (जहाज़ का जला तेल ) काला तेल जहाज़ों से धड़ल्ले से ले कर भारती बाजारों में बेचते हैं और इस काम में इनके साथ बीपीटी के कई अफसर शामिल हैं इनमे एक बड़े अफसर का भाई इन लोगों के इस अवैध काम में उनका साथ देता है।
बीपीटी के टेंडर के अनुसार 4 कंपनियों को ही जहाज़ों से निकले तेल को हासिल करने का अधिकार दा गया है इन चार कंपनियों में श्रीपुष्प हंस कैमिकल्स, म्हेर पेट्रोकैम , प्लस लुब्रीकेंट, ढाया लुब्रीकेंट शामिल हैं इन कंपनियो के लेकर बीपीटी के नियम के अनुसार 2 कंपनियों को एच 1 श्रेणी में रखा गया है जबकि 2 कंपनियों को एच 3 एच 4 श्रेणी में रखा गया है।
इस श्रेणी में इन कंपनियों के रखने का उद्देश्य ही यही होता है कि उन्हें इस श्रेणी के माध्यम से एक लिमिट दी जाती है अगर वह इस लिमिट तक ही काला तेल खरीद सकते हैं अगर लिमिट से अधिक तेल की खरीदारी करते हैं तो उनकी यह श्रेणी बीपीटी से एक्टिव हो जाती है और वह इस श्रेणी से बाह हो जाते हैं और फिर लंबे समय तक वह काला तेल नहीं खरीद सकते।
उनकी श्रेणी एक्टिव न हो इसके लिए मुंबई पोर्ट ट्रस्ट के अफसरों की मिली भगत रहती है जिसकी वजह से वह धड़ल्ले से काला तेल कारोबार करते हैं और वह इस लिमिट से भी कई गुना ज्यादा तेल खरीदते हैं और बीपीटी के अफसर उनको निर्धारित की गई श्रेणी को एक्टिवेट नहीं करते और इसके बदले में वह जम कर मलाई खाते हैं।
दरअसल जले हुए इन तेलो को इन कंपनियों के ज़रिए रिसाइकल किया जाता है और उसे भारतीय बाजार में 70 से 80 रुपए लीटर के हिसाब से बेचा जाता है इससे उनकी भारी कमाई होती है इस कमाई का हिस्सा बीपीटी के अफसर और बीपीटी के एक बड़े अधिकारी के भाई को जाता है।
यह कंपनिया मुंबई से सटे तलोजा , वाडा, मनोर जैसी जगहों पर स्थित हैं जो कि धड़ल्ले से हर महीने लाखों , करोड़ों लीटर काला तेल अवैध तरीके से बुहत ही कम दामों पर खरीद कर उसे रिसाइकल कर के भारती बाजारों में अच्छी कीमत पर बेचते है।
हमने इस मामले को लेकर बीपीटी के वरिष्ठ अधिकारी यशोधन वांगे से बात की लेकिन उन्होंने इस पर किसी प्रकार कीकोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
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