शाहिद अंसारी
मुंबई : उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग फतवों में उलझा हुआ है और योगी पुलिस ने पिछले एक महीने में अल्पसंख्यों की बस्ती को खत्म करने की साजिश रचते हुए 71 लोगों के खिलाफ़ संगीन धाराओं के तहेत एकतरफा मामला दर्ज किया है। अब तक 14 लोगों को योगी पुलिस ने गिरफ्तार किया है जबकि बाकी लोग पुलिस दहशत से गांव छोड़ कर भाग चुके हैं फिलहाल योगी पुलिस महिलाओं और बच्चों पर जुल्म ढा रही है। पुलिस की इस एकतरफा कार्रवाई से बीजेपी समर्थकों में जम कर वाहवाही हो रही है सराय आकिल थानाध्यक्ष हेमंत मिश्रा की बीजेपी समर्थक जम कर तारीफों के पुल बांध रहे हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन तनवीर हैदर उस्मानी ने कहा कि उन्हें इस बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं है वह बरेली के फतवे में उलझे हुए हैं। और अब जानकारी मिल गई है तो एकतरफा हुई कार्रवाई को लेकर मामले की जांच करेंगे और लोगों से अपील की है कि वह उन्हें सुरक्षा मुहय्या कराऐंगे।
मामला क्या है
पिछले महीने 24 जून को उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले के सराय आकिल थाना क्षेत्र के अंतर्गत सुर्सेना गांव में बालू के कारोबारी निसार अहमद के तीन ट्रैक्टर अवैध रूप से बालू ले जारहे थे जिसे पुलिस ने कार्रवाई के लिए रोका उस दौरान इलाके के ही राजेंद्र द्वीदी जो कि पेशे से वकील हैं उन्होंने उसकी वीडियो रिकार्डिंग करनी शुरु कर दी जिसके बाद दोनों पक्षों में जम कर झगड़ा हुआ पुलिस ने बीच बचाव कर मामला शांत किया लेकिन यह विवाद फिर बढ़ गया। दोनों पक्षों के कई लोगों को चोटें आई जिसके बाद राजेंद्र द्वीदी ने अपने कई साथियों के साथ पुलिस थाने का घिराव किया और फिर पुलिस ने दबाव मे कर 11 नामज़द और 60 नामालूम लोगों के खिलाफ़ दंगा करने , माहौल खराब करने, जान से मारने की कोशिश सहित कई संगीन धाराओं के तहेत मामला दर्ज कर लिया। योगी पुलिस ने अबतक 14 लोगों को गिरफ्तार किया है जबकि बाकी लोग अपना घर बार छोड़ कर भाग चुके हैं। गिरफ्तार लोगों में से कुछ के यह नाम निसार अहमद, मु.अनस,फय्याज़ हैं।
मामला के पीछे कौन है
गांव में मौजूदा प्रधान बीना शुक्ला का कहना है कि उनके पहले के प्रधान मनोज द्वीदी के भाई राजंद्रे द्वीदी है जिनकी शिकायत पर ही पुलिस ने दबाव में आकर मामला दर्ज किया है तब से पुलिस गांव में आकर औरतें और बच्चों को परेशान कर रही है इसलिए लोग गांव छोड़ कर जा रहे हैं।
क्या कहती है योगी पुलिस
सराय आकिल था के इंचार्ज योगी पुलिस हेमंत मिश्रा ने वारदात के दिन ही हमसे बात करते हुए कहा था कि दो पक्षों में झगड़ा हुआ है माहौल खराब न हो इसलिए हमने दोनों पक्षों को हिरासत में लिया है मामला शांत होने के बाद छोड़ दिया जाएगा। लेकिन पुलिस ने बाद में अपना योगी रंग दिखाया और एकतरफ़ा कार्रवाई करते हुए 71 लोगो के खिलाफ़ न केवल मामला दर्ज किय बल्कि उनके खिलाफ़ संगीन धाराओं के तहेत मामला दर्ज किया है ताकि उन्हें जमानत न मिल सके। मामला दर्ज करने के बाद पुलिस ने दहशत का ऐसा माहौल पैदा कर दिया है कि लोग गांव छोड़ कर दूसरी जगह जाने पर मजबूर हो गए हैं। 71 लोगों मे कई लोगों ने कार्रवाई करने के लिए पुलिस थाने में आवेदन दिया जिस पर योगी पुलिस ने आवेदन फाड़ कर उनको भी गिरफ्तार कर लिया। संजीदा और शहनाज़ का कहना है कि पुलिस का जुल्म बहुत ज्यादा हो गाया है रात में किसी भी समय कार्रवाई के नाम पर घर मे घुस जाते हैं और बहुत ज्यादा परेशान करते हैं हमारे पास मदद के लिए कई लोग आए लेकिन पुलिस का जुल्म कम नही ह रहा है।
झगड़े की असल वजह
मौजूदा सुर्सेना गांव की प्रधान बीना शुक्ला का चयन गांव के लोगों ने किया जबकि पूर्व प्रधान मनोज द्वीदी की हार हुई थी। जिन 71 लोगों के खिलाफ़ योगी पुलिस ने मामला दर्ज किया है वह मौजूदा प्रधान के समर्थक हैं इसीलिए पूर्व प्रधान ने अपने भाई को मोहरा बना कर मामले को लेकर पुरानी रंजिश और हार का बदला लिया है और इसमें योगी पुलिस बराबर की हिस्सेदार है।
समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद शैलेंद्र कुमार का कहना है कि वारदात होती रहती है लोग आपस में बैठ कर हल भी कर लेते हैं लेकिन जिस प्रकार से पूर्व प्रधान का रवय्या इस मामले को लेकर है वह बहुत ही घटिया और गिरी हुई हरकत है। उन्होंने इस मामले में जो भूमिका निभाई है उस से मुसलमानों में खौफ़ का माहौल पैदा हो गया है। पुलिस ने धारा 307 इसलिए लगाई है कि इनकी जमानत किसी भी तरह से न हो हम जब भी जमानत के लिए अर्ज़ी करते हैं शिकायतकर्ता वकील अपने साथियों के साथ तांडव करते हैं जिससे कोर्ट की कार्रवाई में बाधा पड़ती है। अब तक 12 परिवार घर छोड़ कर जा चुके हैं। पुलिस का जुल्म का यह हाल है कि रात के समय में घरों मे औरतों और बच्चों को परेशान करती है और नाबालिग स्कूल के बच्चों चक तक को गिरफ्तार कर के उनका चालान कर दिया है।
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