शाहिद अंसारी
मुंबई : एक समय था जब मुंबई पुलिस के अफसर के ज़रिए अगर किसी तरह की गलती होती थी तो उसे तुरंत मुंबई सीपी सस्पेंड कर के उसके खिलाफ़ कार्रवाई करते थे। लेकिन पिछले 2 सालों में इस कार्रवाई को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों में इतनी दहशत है कि जिसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है। अब कार्रवाई के नाम पर जांच का लॉलीपॉप दिया जाता है इसलिए उस भ्रष्ट और ढीट अफसर पर कुछ असर ही नहीं होता।
ताज़ा मिसाल है मुंबई के ताड़देव सीनियर पीआई संजय सुर्वे की जिन्हें रात के दौरान अपनी केबिन में 2 पुलिस वालो के साथ शराब पीते पकड़ा गया लेकिन मजाल है कि सुर्वे के खिलाफ़ आज तक कोई कार्रवाई हुई हो। इससे पहले सुर्वे को ड्रमबीट बार में सुपरकॉप शिवदीप लांडे के ज़रिए हुई कार्रवाई के बाद सज़ा के तौर पर कुछ दिनों तक कंट्रोल अटैच करने का नाटक किया गया और फिर सुर्वे को उसी पुलिस थाने ताड़देव में दुबारा नियुक्त किया गया। ताड़देव में दुबारा नियुक्त किए जाने के बाद पिछला मामला ठंडा नहीं हुआ था कि अपनी ही लविश केबिन में बैठ कर शराब पीने के मामले में वह फिर एक बार चर्चा में आ गए लेकिन इस बार पिछली बार की तरह वरिष्ठ अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं कि। हैरानी इस बात की इस मामले में एक वरिष्ठ अधिकारी को इस पियक्कड़ की जांच जब सौंपी गई तो वह इतना काबिल अधिकारी है की वह इस मामले में सीनियर पीआई का समर्थन करते हुए ख़बर कैसे लिखी गई और ख़बर का सूत्र क्या है वह जानने में ज्यादा उत्सुक है। ध्यान रहे यही अधिकारी अपने आप को ईमानदार की फहरिस्त में अपा नाम पहले नंबर पर दर्ज कराने की कोशिश करते हैं जो एक सीनियर पीआई के विरुद्ध कार्रवाई करने के बजाए उसे अब तक उसी पुलिस थाने में तैनात के हुए हैं जहां वह बैठ कर शराब की महफिलें जमाए हुए थे। इससे जाहिर होता है कि भ्रष्टाचार के इस दलदल में जहां जिस्म फरोशी और डांस बार की काली कमाई खाने में अदना से आला सब शामिल हैं इसी लिए ड्रमबीट बार के रखवाले के खिलाफ़ किसी तरह की कार्रवाई करने के बजाए उसे बचाने की जी तोड़ कोशिश की जा रही है।
वैसे भी पिछले 2 सालों से डांस बार के खिलाफ़ हो रही कार्रवाई पर तकरीबन तकरीबन रोक लगी हुई है इससे साबित होता है कि मुंबई में डांस बार अब अवैध रूप से नहीं चलाए जा रहे हैं बल्कि मुंबई की एस एस ब्रांच डांस बार के विरुद्ध कार्रवाई न करते हुए इस बात का संदेश देती है की मुंबई के डांस बार पूरी तरह से नियम और कायदे के अधीन चलाए जाते हैं तो ऐसे में ऐंटी करप्शन ब्युरो के ज़रिए बिल्कुल वही संदेश याद आता है जैसे प्रवीण दिक्षित के दौरान जो कार्रवाई हुआ करती थी और अब उसी विभाग में तैनात विवेक फंसालकर के आने के बाद समाप्त हो गई है अब खानापुरी करने के लिए कभी कभी छोटा मोटा ट्रैप लगाया जाता है और उससे ही खूब वाहवाही लूटी जाती है।
लेकिन कभी कभार मजबूरी में या गलती से जब सुपरकॉप शिवदीप लांडे या एसीपी त्रिवेदी जैसे अफसरों को नाइट ड्युटी दी जाती है तो डांस बार के खिलाफ़ और पुलिस थाने में बैठ कर शराब पीने वालों पर कार्रवाई का डंडा पड़ता है। लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह है कि इस कार्रवाई के बाद भी इस तरह के लोगों के खिलाफ़ मुंबई पुलिस कमिश्नर किसी तरह की कार्रवाई करने के बजाए जांच का लॉलीपॉप देते हैं और वह लॉलीपॉप इतना बड़ा होता है कि कभी समाप्त ही नहीं होता। इस तरह से न केवल इस तरह के अफसरों के ज़रिए हुई कार्रवाई का मज़ाक उड़ाया जाता है बल्कि डांस बार में अवैध रूप से गैर कानूनी गतिविधियों को अंजाम देने वालों के और उनकी काली कमाई खाने वाले पुलिस वालों हौसले बढ़ते हैं और ईमानदार अफसरों का मनोबल टूट जाता है जो गैर कानूनी गतिविधियों को बर्दाश्त न करते हुए उनके खिलाफ़ कार्रवाई करने की डेरिंग करते हैं। हालांकि पूर्व मुंबई सीपी अरुप पटनाएक के समय में जिस डांस बार पर कार्रवाई होती थी उसके लिए उस इलाके के जोनल डीसीपी को उसके लिए जवाबदेह होना पड़ता था लेकिन मौजूदा सीपी ने उन सब सख्तियों पर न केवल पाबंदी लगा दी है जिसकी वजह से आज उन भ्रष्ट पुलिस वालों के अंदर विभागी कार्रवाई का डर ही समाप्त हो गया है। इसलिए शायद अब वह दिन दूर नहीं जब पुलिस थाने को ही डांसबार में तब्दील कर दिया जाएगा क्योंकि शराब का दौर तो शुरु हो चुका है याबी शबाब बाकी है।
इस तरह की कार्रवाई के बाद मुंबई पुलिस की जम कर थू थू तो हुई है अब ऐसा भी कयास लगाया रहा है कि इन दोनों अफसरों को मुंबई के ईमानदार पुलिस वाले अब नाइट राउंड देने की गलती नहीं करेंगे क्योंकि अगर नाइट राउंड इन्हें दी गई तो ईमानदार पुलिस वालों की पोलपट्टी खुल जाए गी यही वजह है कि ऐसे अफसरों को साइड फोस्टिंग दे कर इनके हाथ पैर बांध दिए गए हैं ताकि यह किसी तरह की कार्रवाई न कर सकें।
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