मुंबई : मुंबई पुलिस ने पुलिस वालों को कोरोना ग्रसित होने के कारण 55 साल के ऊपर पुलिस वालों को घर पर रहने की हिदायत दी थी जबकि 52 साल तक के लोगों के लिए कहा था कि वह उनके पिछली मेडिकल कंडीशन को देखते हुए उन्हें भी घर पर रहने के लिए कहें।
लेकिन ग्राउंड पर जो हालात हैं वह अलग हैं या ऐसा हो सकता है कि कहने के लिए कुछ है और उस पर अमल करने के लिए कुछ है क्योंकि ऐसा ही मामला शिवाजी पार्क पुलिस थाने में देखने को मिला है जब ऐसे पुलसिकर्मियों को जिन्हें मुंबई पुलिस या सरकार की ओर से घर पर रहने के लिए कहा गया हो तो उन्हे तुरंत पुलिस थाने से आए संदेश में यह कहा गया है कि उनके घर पर रहने की वजह से मुख्यमंत्री और दूसरे वीआईपी के लिए बंदोबस्त के लिए हवलदार नहीं मिलते मैसेज में चेतावनी भी दी गई कि अगर वह नहीं आए तो उन्हें गैर हाजिर कर दिया जाएगा।
यह संदेश सीनियपर पीआई की ओर से उन हवलदारों को भेजा गया जिन्हें मुंबई पुलिस या सरकार की ओर से घर मे रहने के लिए कहा गया इस प्रकार के मैसेज के बाद हवलदारों ने कोरोना महामारी को भूल पर पुलिस थाने का रुक किया और उन्होंने अपनी हाजिरी की डायरी बनाई। लेकिन हवलदारों मे कोरोना को लेकर जर और थाने के इस फरमान को लेकर गुस्सा दोनो पायाजा रहा है क्योंकि शाहु नगर पुलिस थाने में 32 वर्षी अफसर कुलकर्णी की मौत कोरोना की वजह से हुई और कुलकर्णी को उपचार तक नहीं मिल सका।
इसके अलावा मुंबई के कई पुलिस थानों मे पुलिस अफसरों को कोरा ग्रस्त पाया गया अब ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि इन्हें अगर कुछ हो गया तोइसका जिम्मेदार कौन होगा ? क्या क्या थाने के वह सीनियर पीआई होंगे जो इन्हें मैसेज कर के बुलाते हैं और न आने पर गैर हाजिर की धमकी देते हैं। कोरोना की की चपेट में आने का ऐसे लोगों का या इस उम्र के लोगों का ज्यादा खतरा होता है इसी लिए सरकार ने यह अहम कदम उठाया है तो आखिर पुलिस थाने के सीनियर पीआई इस पर अमल क्यों नहीं करते क्या वह हवलदारों को मरता हुआ देखना चाहते हैं।
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