शाहिद अंसारी
मुंबई : देश भर में हर विभाग के साथ साथ पुलिस को भी हर साल सराहनीय कार्य करने के लिए राष्ट्रपति पदक से नवाज़ा जाता है लेकिन अब आपको सराहनीय कार्य करने की और मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है इसके लिए जुगाड़ और चाटुकारिता और वरिष्ठ अधिकारियों की चप्पल उठाकर उनकी चापलूसी कर के भी आप इस पदक को हासिल कर सकते हैं।
ऐसा हम नहीं बल्कि मुंबई पुलिस के पुलिस पत्रक विभाग में 10 साल से एक ही जगह पर चिपक कर रहने वाले इंस्पेक्टर सुभाष दगड़खेर ने यह साबित कर दिया है कि राष्ट्रपति पदक पाने के लिए किसी तरह के सराहनीय कार्य की कोई जरूरत नही होती। बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों की चापलूसी और उनके चप्पल उठाने का तरीका ढंग से आना चाहिए तो ऐसे अवार्ड तो चल कर कदमों में आ गिरते हैं। हालांकि इसको लेकर डिपार्टमेंट मे कई अधिकारियों ने विरोध भी किया लेकिन चापलूसी और वरिष्ठ अधिकारियों की चप्पल उठाने जैसे सराहनीय कार्य के कारण इस विरोध का कोई असर नहीं हुआ।
दगड़खेर पुलिस पत्रक विभाग में पिछले 10 सालों से चिपके हुए हैं यह भी उसी जुगाड़ और चापलूसी का एक हिस्सा है जिसकी वजह से इस विभाग में जहां मात्र एक कांस्टेबल की ज़रूरत होती है वहां यह महाशय पिछले 10 सालों से चिपके हुए हैं और इसके साथा इन्हें हर वह लविश स्टाइल मिली है जो इस स्तर के दूसरे अधिकारियों को नहीं मिली या नही मिलती। 10 साल से एक ही जगह चिपकने वाले दगड़खेर का जुगाड़ इतना मज़बूत है कि हर साल होने वाली पुलिस बदली के नियम कायदे से ही मुबंई पुलिस ने उन्हें अलग कर दिया है ताकि वह रिटाएरमेंट तक वहीं जम कर बैठें और वरिष्ठ अधिकारियों की चापलूसी कर के उनकी चप्पल उठाने जैसे सराहनीय कार्य कर के वह चापलूसी की दुनिया के बेताज बादशाह बन कर अपना नाम चापलूसों की फहरिस्त मे दर्ज करा चुके हैं। हालांकि हमने इस चापूलसी और जुगाड़ी कला के लिए सुभाष दगड़खेर से संपर्क किया और यह जानने की कोशिश की कि राष्ट्रपति पदक पाने के लिए मेहनत ईमानदारी के अलावा और कौन कौन सी कला या जुगाड़ से लिया जा सकता है लेकिन उन्होंने इस बारे मे कोई जवाब नहीं दिया।दगड़खेर के अलावा एक और चापलूस उसी मुंबई पुलिस मुख्यालय में पिछले 15 साल से तैनात है।
पुलिस विभग में खुद को जादू टोना का माहिर कहने वाले दगड़खेर ने यहां किस तरह का जादू किया इस पर जानकारी नहीं मिल सकी लेकिन किस तरह की चापलूसी कर के राष्ट्रपति पदक हासिल किया है यह पता चला है।
इस बारे मे पूर्व आईपीएस अधिकारी वाई.पी. सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति पदक पाने के लिए करप्ट आफीसर करप्ट बॉस को मैनेज करता है और करप्ट बॉस इसके लिए उसे कागज़ पर बहुत ही बढिया कर्तव्य का पालन करने वाला और उसके गुण गान करता है जो अवार्ड की श्रेणी में फिट बैठ जाता है यह सारी बातें कागज़ पर होती है और अवार्ड तो चापलूसों और करप्ट निकम्में अफसरों को ही मिलता है असल हकदार को इससे वंचित रखा जाता है इसी लिए इस अवार्ड की अब वह अहमियत नहीं रह गई जो कभी हुआ करती थी। हालांकि आफीसरों का चयन करने से पहले उसका वेरिफिकेशन होता है यह आईबी और सीबीआई की तरफ़ से किया जाता है लेकिन वरिफिकेशन भी उन्हें कागज़ों पर होता है जो करप्ट अफसर उस करप्ट और चापलूस अफसर का रिकार्ड बनाता है।
Post View : 512