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मुंबई : फर्ज़ी और झूटी शिकायों के लिए लोग अपना नाम और पता गलत लिखते हैं यह आपने सुना होगा लेकिन फर्ज़ी शिकायतों के लिए मुंबई यूनिवर्सिटी के स्टैंप और सरकारी टिकट का उपयोग होने लगा यह सुन कर आपको ताज्जुब ज़रूर होगा।
Bombay Leaks के हाथ लगा एक ऐसा पत्र है जिसमें उर्दू के प्रसिद्ध पत्रकार लेखक शमीम तारिक के विरुद्ध की गई एक झूटा शिकायत है जिसमें अंसारी महमूद नाम के एक व्यक्ति द्वारा शमीम तारिक द्वारा प्रकाशित किसी पुस्तक को लेकर आपत्ती जताते हुए कार्रवाई करने की मांग की गई।
इस पत्र पर मुंबई के मदनपूरा का आधा अधूरा झूटा पता लिखा है लेकिन हैरानी इस बात की पत्र भेजने वाले लिफाफे पर मुंबई विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग की विभागध्यक्ष का नाम और विभाग का स्टैंप लगा हुआ है।
अंजुमन ने इस पत्र को जब पड़ताल के लिए देखा तो इन सब फर्ज़ी और झूटे पते को लेकर पत्र आगे बढ़ा दिया लेकिन इस मामले में शमीम तारिक जो कि अंजुमन इस्लाम मे ही कार्यरत हैं उन्होंने पत्र का जवाब देते हुए अंजुमन इस्लाम से उन लोगों के विरुद्ध कार्रवाई करने की अनुमति मांगी जिन लोगों ने मुंबई विश्वविद्यालय के नाम पर इस प्रकार की झूटी शिकायत की है।
वह लिफाफा जिस पर मुंबई विश्वद्यालय के उर्दू विभागाध्यक्ष मुईज़ा काज़ी का नाम और स्टैंप लगा हुआ है साथ में सरकारी टिकट
इस मामले को लेकर जब Bomaby Leaks ने पड़ताल की तो पता चला की इस पत्र को भेजने वाले लिफाफे पर जिनका नाम लिखा हुआ है वह नाम है मुज़ना काज़ी जो कि मुंबई विश्वविद्यालय की विभागध्यक्ष हैं। मुज़ना काज़ी अब्दुलसत्तार दलवी की बेटी हैं दलवी खुद को उर्दू जगत और उर्दू अदब के लेखक के रुप में प्रचार करते हैं।इससे साफ़ पता चलता है कि आखिर शमीम तारिक क विरुद्ध इस प्रकार की झूटी शिकायत करने के पीछे का लक्ष क्या हो सकता है।
जानकारी में यह पता चला कि शमीम तारिक और उर्दू के नाम पर अपनी रोटी सेकने वाले अबब्दुलसत्तार दलवी के बीच अनबन चल रही है और शमीम तारिक की विचार धाराऐं और उर्दू को लेकर उनके सहयोग से अब्दुलसत्तार दलवी को एक नज़र नहीं भाता जिसको लेकर दलवी ने यह पूरा प्लान बनाया है कि अंजुमन में इस प्रकार की झूटी शिकायत कर के वह शमीम तारिक को मांसिक रुप से परेशान करेंगे। लेकिन इस दौरान उनकी ओर से जो गलती की गई है वह उनके लिए कभी भी गले का फांस बन सकती है। क्योंकि झूटी शिकायत या किसी भी शिकायत के लिए मुंबई विश्वविद्यालय का स्टैंप और सरकारी टिकट का उपयोग नहीं करना ऐसा ही है जैसे अपने पद का दुरपयोग।
इस मामले को कर वरिष्ठ वकील रामेश्वर गिते का कहना है कि इस प्रकार से कोई मुबंई विश्वविद्यालय का स्टैंप और सरकारी टिकट मात्र कार्यलय के काम के लिए ही उपयोग किया जा सकता है अगर झूटी शिकायत या शिकायत या व्यक्तिगत कोई इसका उपयोग करता है तो यह गैरा कानूनी और अनुशासनहीनता है इसके विरुद्ध मुंबई विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार या वाइस चांसलर को उसके विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए जिसने इसका दुरपयोग किया है।
जबकि इस मामले लेकर सोशल एक्टिविस्ट शौकत अली बेडगिरी ने कहा कि अगर इस मामले में इस तरह की हरकतें करने वालों के खिलाफ़ अगर मुंबई विश्वविद्यालय ने कार्रवाई नही की तो वह उन लोगों के खिलाफ़ खिलाफ़ एफआईआर दर्ज करने के लिए आवेदन करेंगे ताकि दुबारा कोई मुंबई विश्वविद्यालय के दस्तावेज़ों का गलत इस्तेमाल न कर सके।
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