मुंबई : मुंबई के ताड़देव इलाके में स्थित एस.आर.सी.सी चिलड्रेन हॉस्पिटल में एलाज के नाम पर खून चूसने का मामला सामने आया है जहां 25 दिन की नन्ही बच्ची को एलाज के नाम पर परिवार वालों से जम कर वसूली की आखिर में बच्ची की मौत हो जाने के बाद जब 13 लाख का बिल थमाया तो परिवार वालों ने ताड़देव पुलिस थाने का रुख किया।
जिसके बाद ताड़देव पुलिस थाने के सीनियर पीआई फिरोज़ बागवान और इंस्पेकटर बालासाहेब थोरात की टीम ने आनन फानन एस.आर.सी.सी चिलड्रेन हॉस्पिटल के खिलाफ़ कार्रवाई का बिगुल बजा दया पुलिस कार्रवाई से डरे हॉस्पिटल वालों ने बकाया बिल माफ कर दिया जबकि हास्पिटल ने पीड़ित परिवार से बच्चे के ऑपरेश के नाम पर पहले ही 6 लाख रुपए ऐंठे लिए मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने बच्ची का पोस्टमार्टम नेर अस्पताल में करा कर बच्ची को उसके परिवार को सौंप दी। ताड़देव सीनियर पीआ फिरोज़ बागवान ने बताया कि हमने पीड़ित परिवार की शिकायत पर मामले को गंभीरता से लिया है कानूनी प्रक्रिया करते हुए हमने बच्ची का पोस्ट मार्टम करा कर उन्हें परिवार को अंतिम संस्कार के लिए सौंप दिया पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट के आधार पर आगे की तफ्तीश की जाएगी।
शिकायत दर्ज कराने वाले ब्च्ची के पिता रेहान इरफान पटेल ने अपनी शिकायत में हॉस्पिटल द्वारा किए गए उत्पीड़न का उल्लेख करते हुए हॉस्पिटल पर आरोप लगाया है कि 20 सितंबर 2019 को हॉस्पिटल में डाक्टर निहाल शाह से उनसे मुलाकात हुई और उन्होंने बच्ची को चेक करने के लिए 8 से 10 हजार का खर्च बताया चेक करने के बाद डा. अमीश वोरा ने बताया कि बच्ची के पेट में इनफेक्शन है और 7 दिन में इसका एलाज कर के ठिक कर दिया जाएगा इसके लिए उन्होंने 299300 रुपए का खर्च बताया।
परिवार ने 150000 रुपए एडवांस में जमां कर दिए और बच्ची का एलाज शुरु हो गया 21 सितंबर को बच्ची का आपरेशन हुआ और बताया कि आपरेशन कामयाब रहा लेकिन उसके बाद भी बच्ची की तबियात में कोई सुधार नहीं आया चूंकि आपरेशन कामयाब नहीं था इसलिए डां. अमीश वोरा ने उन्हें दूसरा आपरेशन करने के लिए कहा और उसका भी खर्च 70000 अलग से बताया जिस पर पीड़ित परिवार ने खर्च को लेकर लाचारी जाहिर की जिस पर उन्होंने बच्ची को आपरेशन थेटर से बाहर निकाला उसके बाद परिवार के लोगों ने डा. अमीश वोरा और डा. रसिकलाल शाह से बात की जिस पर उन्होंने कहा कि बच्ची की तबियत ठीक नहीं हो सकती डां. अमीश वोरा ने कहा कि आपके पास बेबी की दवा के लिए पैसे नहीं हैं इसलिए हम एलाज बंद करते हैं जिससे 4 दिन के अंदर बच्ची की मौत हो जाएगी और अगर वेंटिलेटर से हटा देंगे तो 2 घंटे में उसकी मौत हो जाएगी।
पीड़ित परिवार ने हॉस्पिटल की रिपोर्ट लेकर बाहर के कई हॉस्पिटल के चक्कर काटे ताकि बच्ची का एलाज कहीं और कराया जा सके लेकिन दूसरे हॉस्पिटल ने जब यहां की रिपोर्ट देखी तो बताया की बच्ची का ऑपरेशन नाकाम हुआ है और इनफेक्शन भी कम नहीं हुआ परिवार के लोगों ने हॉस्पिटल से कई बार बात की लेकिन बच्ची के फिर आपरेशन करने के नाम पर लाखों के बिल बना बैठे आखिर में बच्ची की हालत गंभीर का हवाला दे रहे थे तब पीड़ित परिवार को शक हुआ कि बच्ची की मौत हो चुकी है जब उन्होंने पुलिस थाने का रुख किया तब अस्पताल वालों की हालत खराब हुई और उन्होंने बकाया बिल न देने की बात कह कर मामला रफा दफा करने की बात कही।
अस्पताल की इस वसूली के चरक्कर में मासूम पीजडिता जिंदगी और मौत से लड़ते लड़ते मौत के मुंह में चली गई हैरानी इस बात की 6 लाख रुपए वसूलने के बाद भी अस्पताल वालों के पेट नहीं भरा अब पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट के बाद ही पता चल पाएगा की असल में बच्ची की मौत हुई कब है और कारण क्या था।
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