शाहिद अंसारी
गुजरात : इन दिनों एससीएसटी ऐक्ट को लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं और कोई ऐसा मौका हाथ से जाने नहीं दे रहे जिससे मौजूदा सरकार को घेरा जा सके तो वहीं खुद मोदी सरकार के मंत्री भी एससीएसटी ऐक्ट को लेकर मोदी सरकार पर दबाव बना कर दलितों के हित के बहाने खुद के विभाग को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिलवाने की हौड़ में लगे हुए हैं।
ताज़ा मामला है मोदी सरकार के समाजिक न्याय राज्य मंत्री राम दास आठवले का जब आठवले ने गुजरात में प्रेस कांफ्रेंस के बहाने गुजरात की मीडियो को एक जगह एकट्ठा किया और वहां कुछ अज्ञात व्यक्तियों को भेज कर मोदी सरकार के खिलाफ़ न केवल नारे लगाए गए बल्कि राम दास आठवले को भी काला झंडा लपेट दिया गया और यह सब पूरी मीडिया के सामने हुआ। हैरानी की बात यह है कि मंत्री जी ने उस काले झंडे को इस तरह से पहना जैसे कोई शाल उढ़ा कर उनका स्वागत कर रहा है। उससे भी हैरानी की बात तो यह कि इस के विरुद्ध मामला दर्ज कराने के बजाए इसकी वीडियो को उनके कार्यकर्ता चारो तरफ़ फैला रहे हैं और इसके लिए बाकायदा एक यूनिक (ऐंटिक) पीआर एजेंसी भी हाएर कराई गई जो सोशल साइट और मीडिया के ख़बरों के सोशल साइट ग्रुप में धड़ा धड़ पोस्ट कर रही है और उस पर सफाई भी दे रही है। यानी जिसको न पता हो उसको भी मंत्री जी की करतूत पता चल जाए।
अब ऐसे में आरपीआई कार्यकर्ताओं की निगाहें मोदी सरकार पर टिकी हुई हैं और यह देखने की कोशिश कर रही हैं कि अठवले ने जो फार्मूला तय्यार किया है उससे क्या मोदी सरकार उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा देती है या बाहर का रास्ता दिखाती है।
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सोशल साइट पर सर्कुलेट की गई वीडियो
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