मुंबई: कांग्रेस ने चुप्पी साधने वाले 3 कार्पोरेटर को वजह बताओ नोटिस जारी की है लेकिन स्क्वैरफिट कार्पोरेटर जावेद जुनेजा पहले की तरह अब भी चुप्पी साधे हुए हैं यहां तक कि वह वजह बताओ नोटिस के बारे में भी इंकार करते नज़र आरहे हैं।
मनपा क्षेत्र में विभिन्न सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए आरक्षित भूखंडों के अधिग्रहण मामले में कांग्रेस नगरसेवकों की दोहरी भूमिका सामने आयी है अधिग्रहण के प्रस्तावों को मंजूरी के समय मौन सहमति रहती है लेकिन फैसले के बाद भूमिका बदल जाती है।
ताजा मामला पोयसर इलाके में आरक्षित 6 भूखंडों के अधिग्रहण का है.इस संदर्भ में मुंबई कांग्रेस ने पार्टी के तीन नगरसेवकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
पिछले दिनों मनपा की सुधार समिति की बैठक में प्रशासन की तरफ से विभिन्न सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए आरक्षित भूखंडों के अधिग्रहण के कई प्रस्ताव पेश किये गए थे,जिसमें पोयसर के 6 भूखंडों का समावेश था।
इन भूखंडों के प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया गया.बताया गया मनपा जिन भूखंडों को खरीदना चाहती है वे पूरी तरह से अतिक्रमण ग्रस्त हैं.प्रस्ताव पर निर्णय के समय शिवसेना -भाजपा के नगरसेवकों की तरह कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्य मौन थे।
प्रस्ताव ख़ारिज करने के बाद मनपा में विपक्ष के नेता रवि राजा एवं अन्य ने शिवसेना को घेरना शुरू कर दिया.कांग्रेस की तरफ से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया. शिवसेना ने इसके लिए कांग्रेस को भी कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया है.शिवसेना की तरफ से कहा गया कि कांग्रेस दो तरह की भूमिका निभाती है सवाल किया गया कि सुधार समिति की बैठक में सदस्य चुप क्यों थे।
मुंबई कांग्रेस महासचिव एवं मनपा में पार्टी प्रभारी भूषण पाटिल ने बताया कि नगरसेवकों की भूमिका को मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम ने संज्ञान में लिया है.बैठक की मिनिट्स के आधार पर सुधार समिति के सदस्य अशरफ आजमी,विट्ठल लोकरे एवं जावेद जुनेजा को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.आजमी खुद को निरुपम का करीबी बता कर सुधार समिति में पार्टी का नेतृत्व करते हैं।
निरुपम ने उन्हें उप नेता की भी जिम्मेदारी दी है जिसकी वजह से दूसरे नगरसेवक आजमी के निर्देशों का पालन करते हैं.सूत्रों का मानना है कि अजमी सभी एजेंडे पर निरुपम से चर्चा भी करते हैं.भूखंड अधिग्रहण मामले में वे चुप क्यों थे इसको लेकर पार्टी नगरसेवकों में भी चर्चा है।
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