मुंबई : चमकने और मीडिया पब्लिसिटी के लिए और बहती गंगा में हाथ धोने का ताज़ा मामला साने आया है जब 1997 बैच के आईपीएस अफसर अब्दुर्रहमान ने नागरिक संशोधन बिल पास होने को लेकर अपना विरोध जताते हुए सरकार को अपना इस्तीफ़ा सौंप कर कर अपनी बात ट्वीटर चचा पर पोस्ट कर के जम कर सुर्खियां बटोरी हालांकि इससे पहले वह वीआरएस के लिए आवेदन कर चुके हैं लेकिन उनका वीआरएस किसी वजह से स्वीकार नहीं किया गया हैरानी की बात यह कि चमकने के लिए ट्वीटर चचा का सहारा लेने वाले आईपीएस अब्दुर्रहमान को कई पत्रकारों ने मुसलमानों के लिए बहाने वाले इस घड़ियाली आंसू और नाटक को लेकर काल किया लेकिन वह दिन भर भागते नजर आए।
लेकिन उससे भी हैरानी की बात यह है कि सरकार का विरोध करने वाले अब्दुर्रहमान ने जिस नाटकी अंदाज़ में अपना विरोध जताया उससे तो यह लगा कि वह अब तक सरकारी दफ्तर और सरकारी गाड़ी और सराकारी आवास छोड़ चुके होंगे और कट्टर विरोधियों की तरह सड़कों पर उतर कर विरोध जता रहे होंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ वह अभी भी सरकारी आवास में सरकारी दफ्तर में और सारी सरकारी सहुलतों से लेस सरकार के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं शायद यह भारत में ही संभव है अगर सऊदी अरबिया में अब्दुर्रहमान इस तरह का नाटकी विरोध जताते तो शायद उन्हें मुलक -ए- बदर कर दिया जाता।
हालांकि नाटकी विरोध के बाद उनका मकसद पूरा होते नज़र आरहा है क्योंकि मीडिया मीडिया पबल्सिटी पब्लिसिटी हो चुकी है अब सरकार उनका इस्तीफा कुबूल करे या ना करे मगर मुसलमानों का मसीहा के रुप में वह अपना नाम दर्ज करा चुके हैं।
Post View : 198696