Bombay Leaks desk
मुंबई : हाल ही में आज़द मैदान दंगे और हत्या के आरोपी तोड़ु-ए-नागपाड़ा तथाकथित धर्म धुरंधर श्री मुईन अशरफ़ उर्फ़ बाबा बंगाली भ्रष्टाचार के आरोप में जेल की हवा खाने वाले छगन भुजबल से मिलने गए और इस दौरन उन्हें पुष्पगुच्छ पेश कर के शाल उढ़ाई ऐसा लगता है कि भुजबल बहुत ही बड़ा कारनामा अंजाम दे कर घर लौट कर आए हों। ध्यान रहे कि भुजबल पर करप्शन का बड़े आरोपों के तहेत मुकदमा चल रहा है। मुंबई ऐंटी करप्शन ब्युरो के साथ साथ ई-डी ने भी इसमें दखल दी है। बाबा बंगाली पर भी अंजुमन इस्लाम की हजारों करोड़ की जगह हथियाने के आरोप लगे हैं वह अलग बात है कि अब तक बाबा बंगाली के विरुद्ध ठोस कार्रवाई नहीं हुई लेकिन इस मामले में वक्फ़ के कई अधिकारी नप चुके हैं और खुद बंगाली बाबा द्वारा फर्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार बनाई गई कमेटी पर कार्रवाई हो चुकी है जिसके बाद से वह बिन पानी की मच्छली के जैसे छटपटा रहे हैं। इस मामले में जल्द ही बाबा बंगाली के विरुद्ध सख्त कार्रवाई हो सकती है हालांकि अब तक आजाद मैदान दंगे के आरोप में उनकी भूमिका किसी से छुपी नहीं है। अब ऐसे में यही कहा जा सकता है कि घपले बाज़ घोटाले बाज़ से मिलने पहुंचे और इस कारनामे को अंजाम दिया है कांग्रेस की उपज सड़े निज़ाम ने शायद वह इसी तरह से भ्रष्टाचारियों के सामने माथा टेक कर अपनी ताकत मनवाने की फिराक में हैं। हालांकि क़यास यह भी लगाया जा रहा है कि बंगाली भुजबल की तर्ज़ पर राज्य में और कहां कहां वक्फ़ के नाम पर जमीनें हड़पी जा सकती है या वह जेल जाने से पहले के कुछ खास टिप्स लेने पहुंचे थे।
बाबा बंगाली जिन्हें उनके गुर्गे पीर- ए- तरीकत लिखा करते हैं और उर्दू अख़बारों में उनके नाम के साथ साथ लंबा चौड़ा उपनाम भी लिखा जाता है उनका फंडा यह है कि किसी भी आला पुलिस अफसर या आला सियासत दां की नियुक्ति पर वह तुरंत मर्सडीज़ से मिलने और चरण स्पर्ष करने पहुंचे जाते हैं और वहां फुल पोज़ के साथ फोटो खिचवाते हैं और उर्दू अख़बार के खरीदे हुए 500 के मुहताज पत्रकार उन फोटो को लंबी चौड़ी मनघड़त और झूटी बातों के साथ प्रकाशित करते हैं और फिर यहीं से शुरु होता है बाबा बंगाली का फोटो बाज़ी कार्यक्रम और इसे दिखा कर अपनी ठाटबाट दिखाते हैं।
पत्रकार शाहिद अंसारी के विरुद्ध मामला दर्ज करवाने तक बाबा बंगाली इसी फोटो की कटिंग के माध्यम से पुलिस अफसरों और नेताओं को इमोशनल ब्लैकमेल कर के अपने विरोधयों को दबाने की कोशिश करते थे लेकिन बंगाली को पत्रकार शाहिद अंसारी के विरुद्ध मामला दर्ज कराना भारी पड़ा क्योंकि वह झोला छाप उर्दू पत्रकारों के जैसे नहीं थे। जिस दिन बंगाली बाबा ने अपना मांसिक स्तर दिखाया और मामला दर्ज कराया उसके बाद ही दूसरे दिन राज्य भर के पत्रकारों ने राज्य के मुख्यमंत्री से मिल कर बंगाली बाबा की असलियत बता दी और उसके बाद से बंगाली का गोरख धंधा मंदा पड़ा गया और यह उस समय स्पष्ट भी हो गया जब उर्दू मुखपत्र के एक कार्यक्रम में बंगाली को स्टेज शेयर करने से दूर रखा गया वह भी आम लोगों के साथ बैठने के लिए कहा गया और बंगाली नीचे बैठ कर अपने स्तर का अंदाज़ा लगा रहे थे।
भारत एक लोकतांत्रिक देश है यहां हर एक को अपनी इच्छा के अनुसार जीने का पूरा अधिकार है और इसकी अनुमति देश के संविधान ने दी है इसलिए हम बाबा बंगाली को लेकर किसी तरह की टिप्पणी नहीं करेंगे वह चाहे भुजबल के साथ फोटो खिंचवाऐं चाहे अंडरवर्ल्ड के साथ उठे बैठें हमारा इस पर किसी प्रकार का कोई जोर नहीं है लेकिन हम इस ढोंग के खुले विरोधी हैं जो धर्म के नाम पर और धर्म का चोला पहेन कर वह करते हैं जिससे मुसलमानों की छवी खराब होती है। वह भक्त यह भी नहीं जानते जिसे वह धर्म का ठेकेदार समझ रहे हैं असल में वह उनका फाएदा उठाता है क्योंकि बंगाली की हरकत से सब कुछ जाहिर हो जाता है इसी लिए वह इन सब की आड़ लेकर सियासी गलियारों में अपने पहचान बनाना चाहते हैं यही वजह है कि पहले लोग उनके आश्रम में आते थे और अब आलम यह है कि वह लोगों के पास कभी भी फोटो बाज़ी के लिए पहुंच जाते हैं।
वैसे बाबा बंगाली अपने आप को बहुत बड़े धर्मधुरंधर घोषित कर चुके हैं और उनके चमचे उनकी सच्चाई लिखने वालों को बजरंग दल आरएसएस के जैसे धमकाते फिरते हैं लेकिन सवाल यही उठता है कि क्या एक धर्मधुरंधर ऐसा ही होता है ? जो दुनिया की लविश स्टाइल और करोड़ों की जायदाद हड़प कर खुद मालिक बन बैठने का सपना देखता हो ? तो हम समाज और धर्म के नाम पर ऐसा पाखंड करने वालों के सख्त खिलाफ़ हैं। इसलिए हम पाखंडी और ढोंगी बाबओं के विरुद्ध समाज को जागरुक करते रहेंगे चाहे वह किसी भी धर्म के पाखंडी बाबा हों। हालांकि सरकार ने इन बाबाओं और पाखंडियो को लेकर नया कानून पारित किया है बावजूद इसके पाखंडी बाबा आम और भोली भाली जनता को पाखंड के जाल में फंसाने में कामयाब हो जाते हैं। मुस्लिम धर्म में पाखंडी बाबाओं की कोई कल्पना ही नहीं है लेकिन बंगाली जैसे बाबाओं ने अपने आपको धर्मधुरंधर और पीर कहलवाने में अपनी शान समझते हैं और इसी की आड़ से अंध भक्तों की भीड़ इकट्ठा कर ली है जिसकी वजह से बाबागिरी का यह गोरख धंधा अपनी चरम सीमा पर है इस हरकत से मुस्लिम धर्म की छवी खराब होती है। Bombay Leaks जल्द ही उन लोगों की सच्चाई और वजह प्रकाशित करेगा जो बंगाली को प्रमोट करते हैं।
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