शाहिद अंसारी
मुंबई : त्रिपल तलाक को लेकर मोदी सरकार के विरुद्ध मुंबई की महिलाओं समेत देश के उलमा ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेकर अपना विरोध जताया वहीं नागपाड़ा के मुसलमानों के ठेकेदार और आज़ाद मैदान दंगे और हत्या का आरोपी नंबर 7 भूमाफिया तोड़ु-नागपाड़ा तथाकथित धर्म धुरंधर श्री मुईन अशरफ़ उर्फ़ बाबा बंगाली का दूर दूर तक कोई अता पता नहीं था क्योंकि बंगाली की वहां नो एंट्री थी।
आज़ाद मैदान में त्रिपल तलाक को लेकर हुए प्रदर्शन में भारी संख्या में मुस्लिम महिलाऐं और मुस्लिम युवक थे और बंगाली को इसलिए भी दूर रखा गया था कि कहीं आजाद मैदान के दंगे के जैसे बंगाली इस भीड़ का भी फाएदा सैकड़ों मुसलमानों को बरमा के नाम पर भड़का कर दंगे न करवा दे। जिसकी वजह से सैकड़ों मुसलमान जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए थे जबकि बंगाली बाबा अपने आश्रम में लंबे समय तक गिरफ्तारी के डर से छुपा बैठा था।
बंगाली को आज़ाद मैदान में नो एंट्री के साथ साथ बंगाली बाबा का आज़ाद मैदान में खुद सरकार के विरुद्ध मुलमानों के लिए खड़े न होने के पीछे यह कहा जा रहा है कि पिछली कांग्रेस सरकार के समय बंगाली बाबा राज्य सभा सदस्य बनने का सपना देख रहा था लेकिन आज़ाद मैदान दंगे में इसके कारनामे जग जाहिर होने के बाद बंगाली का सपना साकार होने से पहले ही टूट गया और सरकार ही बदल गई। अब बंगाली इस सरकार के समय वही सपने देख रहा है जो कांग्रेस के समय में देख रहा था जिसके पूरा न होने से वह बिन पानी की मछली के जैसे छटपटा रहा है। हालांकि उसने काफी दिनों से अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष हैदर आज़म के कंधे का इस्तेमाल करना चाहा लेकिन वहां दाल नहीं गली जिसके बाद से बंगाली अब किसी ऐसे कंधे की तलाश में है जो उसे सुबह शाम राज्य के मुख्यमंत्री के पास शाल उढ़ाने और उसके छवी बेहतर बनाने के लिए भाग दौड़ कर सके। यही वजह है कि उसे प्रदर्शन से दूर रखा गया था क्योंकि वह इसका फाएदा उठा सकता था।
इस से पहले बंगाली ने मुसलमानों से 15 अगस्त को आज़ान के बाद राष्ट्रीगान गाने का फरमान सुनाने का पैतरा अपनाया था लेकिन यह पैतरा उसे भारी पड़ गया जिसकी वजह से बंगाली की जम कर थू थू हुई थी क्योंकि लोगों में बंगाली को लेकर इस लिए विरोध के स्वर गूंजने लगे थे कि एक मुसलमान को खुद की देश भक्ति साबित करने के लिए राष्ट्रीगान गा कर यह साबित करने का फरमान सुनाने वाला बंगाली होता कौन है यह एलान वही करता है जिसे खुद के देशभक्त होने पर शक हो।
बंगाली ने यह फरमान इसलिए करवाया था कि हो सकता है कि उसकी इस चाटुकारिता से मौजूदा सरकार खुश हो जाए लेकिन मौजूदा सरकार के सामने बंगाली की कुंडली पहुंच चुकी है और यह पता चल चुका है कि वोट बैंक की लालच देने वाला बंगाली वास्तव में 20 लोगों की गैंग चलाता है इसलिए अब वह सरकार के विरुद्ध किसी भी धरना मोर्चा में भाग नहीं लेता। क्योंकि वह इस उम्मीद से बैठा है कि धर्म का चोला पहेन कर वह मौजूदा सरकार की आँखों में धूल झोक कर कहीं न कहीं जुगाड़ बना लेगा।
आजाद मैदान में हुए प्रदर्शन में त्रिपल तलाक को लेकर कई राजनीतिक पार्टियों ने अपनी अपनी रोटी भी सेकनी शुरु की लेकिन किसी की दाल नहीं गली। इस मामले को लेकर जो बिल पास हुआ उसको लेकर बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष हैदर आजम ने उस समय कई महिलाओं के साथ खुशी जाहिर की थी लेकिन हजारों की संख्या में मुस्लिम महिलाओं के जरिए आजाद मैदान में धरना प्रदर्शन करने के मामले में जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि अपनी बात रखने का अधिकार तो सब को है बिल जो भी पास हुआ उसमें कई कमियां है जिन्हें दूर करना जरूरी है और लोगों को चाहिए कि वह इसके लिए उसमें जो भी दबलाव करने हैं अपना सुझाव दें। लेकिन धरना प्रदर्शन कर के किसी भी पार्टी के लिए बली का बकरा न बनें।
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