मुंबई : पलवामा आतंकी हमलों को लेकर बाबा बंगाली गैंग ने कहा है कि अगर सरकार ने पाकिस्तान को नेस्त नाबूद नहीं करेगी तो बाबा बंगाली खुद यह कुरबानी देने को तय्यार हैं और वह अपने शरीर में बम बाँध कर कर बम बम बोल कर पाकिस्तान में घुस जाऐंगे तभी उनके कलेजे को ठंडक मिलेगी।
पलवामा में हुए आत्मघाती हमलें में शहीद परिवार के लिए देश के हर नागरिक के अंदर गम और गुस्सा दोनों पाया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि इस आतंकी हमले की वह लोग भी निंदा कर रहे हैं जिनके दामन खुद आतंक से दाग़दार हैं जिनकी गर्दन पर हत्या, दंगा , देशद्रोह ,हमले की साज़िश समेत संगीन अपराध दर्ज हैं।
आज़ाद मैदान दंगे और हत्या का मुख्य आरोपी रज़ा अकैडमी और तथाकथित धर्मधुरंधर श्री मुईन अशरफ़ उर्फ़ बाबा बंगाली आज़ाद मैदान दंगे के समय मीडिया, पुलिस , महिला पुलिस इन सब के साथ इसके पंटरों ने जो कुकर्म किया है उस दाग को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
पलवामा में हुए आतंकी हमलों की ख़बर जंगल की आग की तरफ़ पूरे देश मे फैल गई ऐसे में कई लोगों नें इसे भी कैश करने से नहीं चूके उनमें एक नाम है मुईन अशरफ़ उर्फ़ बाब बंगाली का उसके साथ साथ रज़ा अकैडमी जिसने दंगों को अंजाम दिया था उसने आज तक सरकारी सम्पत्ति के नुकसान की भरपाई नहीं की।
आतंकी हमलों को लेकर बाबा बंगाली और उसके पंटरों ने भिंडी बाज़ार में इस हमले की निंदा की लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह है कि न तो रज़ा अकैडमी और न ही बाबा बंगाली और न ही उसके पंटर किसी भी शहीद जवान के घर जाकर या उनके अंतिम संस्कार में शामि नहीं हुए न ही उनके घर वालों को इस गैंग की ओर से किसी प्रकार की आर्थिक सहायता की गई।
चूंकि बंगाली को इस बात का अंदाज़ा कायदे से है कि इस हमले की निंनदा चारों ओर हो रही है क्यों न बहती गंगा मे हाथ धो कर जम कर पब्लसिटी की जाए। इसलिए बंगाली गैंग और उसके पंटरों ने लोगों की जबरन दुकानें बंद करवाई और फिर जम कर फोटो बाज़ी हुई और यह ढकोसला कर के आतंक को या उन शहीदों की शहादत को भुला दिया गया है।
चूंकि उस दिन जुमा का दिन था और मुस्लिम ज़्यादा तर उस दिन कुर्ता पाजामा और टोपी पहनते हैं इस बात का फायदा उठाने के लिए बंगाली बाबा ने अपने मुठ्ठी भर पंटरों के साथ इसका राजनीतिक फायदा उठाने के लिए यह हरकत की है।
इससे अहम यह है कि आज़ाद मैदान दंगे मे रज़ा अकैडमी या बाबा बंगाली के पंटरों ने जिस प्रकार से शहीद स्मारक को नुकसान पहुंचाया तब देशभक्ति कहां चली गई थी ? वह स्मारक भी देश के शहीदों की याद में बनवाई गई थी तब बंगाली और उसके पंटरों को शर्म नहीं आई कि आखिर वह क्या कर रहे हैं ? मीडिया और पुलिस कर्मी महिला पुलिस कर्मी के साथ क्या किया तब इस बंगाली की देशभक्ति कहां घास चरने गई थी ? कहां थे रज़ा अकैडमी और कहां थे वह मुख्य आरोपी ?
अगर वाकई रज़ा अकैडमी और बाबा बंगाली गैंग को उन शहीदों की शहादत का जर्रा बराबर भी मलाल है तो वह उनके घर वालों क्या आर्थिक सहायता करेंगे ? क्या बंगाली गैंग या रज़ा अकैडमी उनके परिवार की उस प्रकार की जिम्मेदारी निभाए गी जिस प्रकार से देश के दूसरे लोगों ने निभाई है ?
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