शाहिद अंसारी, स्पेशल रिपोर्ट
मुंबई : ऐंटी क्रप्शन ब्युरो महारष्ट्र जब भी किसी मामले मे किसी भी रिश्वत खोर को गिरफ्तार करती हैं तो उसके बाद कानूनी प्रक्रिया पूरी करती है | मामले को कोर्ट में चलाने के लिए ACB सम्बंधित विभाग को लेटर लिखकर आरोपी अधिकारी के खिलाफ केस चलाने की इजाजत मांगती है | लेकिन सम्बंधित विभाग केस चलाने के लिए सेंक्शन रिपोर्ट नहीं देता | ACB अपने स्तर पर एक बार दो बार नहीं चार चार बार उन विभागों को रिमाइंडर देती है लेकिन संबंधित विभाग के सर पर जूं तक नहीं रेंगती | चूंकि ACB आरोपी के ही विभाग से उसके वरिष्ठ अधिकारियों से आरोपी का केस चलाने के लिए सेंक्शन रिपोर्ट चाहती है जिसके बाद अपने भ्रष्ट कर्मचारियों को बचाने के लिए विभाग चुप्पी साध लेता है इस तरह से मामला कोर्ट में नहीं चल पाता और रिश्वत खोर सरकारी कर्मचारी फिर से रिश्वतखोरी का बाजार चलाना शूरु करदेता हैं | सेंक्शन रिपोर्ट ना मिलने की वजह से उस भ्रष्ट अधिकारी की फाइल धूल चाटती रहती है |
इस लापरवाही में और ACB तरफ से भेजे गए पत्र के बाद सेंक्शन रिपोर्ट ना भेजने में गृह विभाग सब से आगे हैं | साल 2015 की रिपोर्ट में ACB ने जो जानकारियां दी वह चौंका देने वाली हैं इसमे गृह विभाग लापरवाही में सबसे आगे है उसके बाद महसूल विभाग और फिर इसी तरह से हर विभाग में ACB के लेटर के बाद भी सेंक्शन रिपोर्ट नहीं भेजी जाती इससे ACB की कार्रवाई में जानबूझ कर रुकावट पैदा की जाती हैं |
जानकारों की मानें तो रिश्ववत खोरों की तरह यह भी क बहुत बडा रैकेट हैं जिसके तार रिश्वत खोर आरोपी और उसके विगाभ के उस अधिकारी से जुडे होते हैं जो मामले को कोर्ट मे चलाने की इजाजत देता हैं | इस तरह से आरोपी कोर्ट से बचने के लिए और वकील के खर्च से बचने के लिए उस विभाग के ही उस अधिकारी के साथ साठगांठ करलेता है जो ACB के लेटर जाने के बाद भी वह सेंक्शन ही नहीं करता | इस तरह से आरोपी जिसे कडी मेहनत करके ACB कानून के शिकंजे में कैद करती है वही आरोपी सरे आम अपने विभाग की मेहरबानी की वजह से बेफिकर होकर घूमता है क्योंकि उसकी सेंक्शन रिपोर्ट ही नहीं भेजी जाती और वह कार्रवाई से बच जाता है |
साल 2015 की ACB की कार्रवाई में गृह विभाग से संबधिंत रिश्वत खोरों के 70 मामलों की फाइल धूल चाट रही हैं हालाकिं ACB ने इनपर केस चलाने के लिए गृह विभाग को कई बार पत्र लिखकर इनके खिलाफ सेंक्शन रिपोर्ट मांगी लेकिन रिश्वतखोर अधिकारियों और कर्मचारियों को बचाने के लिए ACB का पत्र गृह विभाग की रद्दी की टोकरी में फेक दिया जाता हैं | कुछ यही हाल महसूल विभाग का है साल 2015 में महसूल विभाग के 48 मामलों में ACB ने महसूल विभाग को सेंक्शन रिपोर्ट के लिए लेटर लिखा लेकिन यहां भी यह विभाग अपने भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को बचाने में लगा हुआ हैं | इस तरह से 26 जूलाई 2015 तक ACB ने हर विभाग की जिनकी सेंक्शन रिपोर्ट की मांग की इनमें 27 विभाग के 291 मामले हैं जो कि विभाग की तरफ से लगातार लापरवाही की वजह से सेंक्शन रिपोर्ट ना देने या देर लगाने की वजह से ACB की कार्रवाई पर बट्टा लगा रहे हैं |
कई बार अपने अधिकारियों को बचाने के लिए संबंधित विभाग कोई ना कोई बहाना कर सेंक्शन रिपोर्ट भेजते ही नहीं जिसके बाद ACB की फहरिस्त में जो अधिकारी रंगे हाथों गिरफ्तार किया जाता है वही सेंक्शन रिपोर्ट ना दिए जाने पर फिर से उसी विभाग मे नौकरी करने लगता है और रिपोर्ट भेजने और ना भेजने को लेकर उस अधिकारी से कोई भी कमेटी सवाल भी नहीं कर सकती | क्योंकि हर राज्य की तरह महाराष्ट्र में विजलेंस की टीम नहीं है जो इन रिश्वतखोरों को बचाने वाले उनके आकाओं से सेंक्शन रिपोर्ट ना भेजने को लेकर सवाल कर सके इसी लिए इनको किसी के सामने जवाबदेह नही होना पडता और यह खुद ही जज बन कर फैसला करलेते हैं |
इस बारे में ऐंटी क्रप्शन ब्युरो महाराष्ट्र के डीजी प्रवीन दिक्षित नें कहा कि किसी भी आरोपी को रंगे हाथों गिरफ्तार करने में काफी मेहनत लगती है और संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी की तरफ से आरोपी की सेंक्शन रिपोर्ट ना भेजने पर हम उसे एक बार नहीं बल्कि कई बार पत्र लिखकर आगाह करते हैं | उसके बाद भी सम्बंधित विभाग आरोपियों के खिलाफ केस चलाने की इजाजत ही नहीं देता और अगर देते भी हैं तो काफी लंबा समय लग जाता है | जिससे ACB की जांच प्रभावित होती है और इसका फायदा आरोपी को सीधे सीधे मिलता है |
पूर्व आईपीएस अधिकारी और वरिष्ठ वकील वाईपी सिंह ने कहा कि सरकार का जीआर और सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि 90 दिनों के भीतर सेंक्शन रिपोर्ट भेजना जरूरी है अगर नहीं भेजी जाती तो इसका मतलब है कि उस विभाग का जो अधिकारी है वह खुद इस रिश्वतखोरी के बाजार में शामिल होकर चोर चोर मौसेरे भाई की कहावत क सच साबित करता है | उसके खिलाफ कडी सी कडी कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि उनकी लापरवाही से ही आरोपी का मनोबल बढता है और ACB जिसने कडी मेहनत कर आरोपी को इस अंजाम तक पहुंचाया उनकी मेहनत मिट्टी में मिल जाती है |
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