मुबंई:NCP नेता छगन भुजबल के खिलाफ जांच को लेकर लंबे समय से तत्तकालीन डीजी ऐंटी करप्शन ब्युरो प्रवीण दिक्षित ने राज्य सरकार से अपील की थी कि वह भुजबल के खिलाफ मामले की जांच करने के लिए ACB को इजाजत दें।चूंकि राज्य मे सत्ता कांग्रेस एनसीपी गठबंधन की थी इसलिए ACB की अपील पर सरकार ने जांच के आदेश देना मुनासिब नहीं समझा।इस बात को लेकर उस समय विपक्षी दल बीजेपी ने पूरी कोशिश की और सत्ताधारी पक्ष से लगातार इस मुद्दे को लेकर मांग की कि भुजबल के खिलाफ जांच की मांग की।लंबे समय बाद साल 2012 मे सितंबर के महीने में राज्य के गृह मंत्री नें आखिरकार भुजबल के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए।
शूरू हुई महाराष्ट्र ACB की जांच
गृह मंत्रालय से जांच के लिए हरी झंडी मिलने के बाद तत्कालीन डीजी ऐंटी करप्शन ब्युरो प्रवीण दिक्षित ने इस मामले मे अपनी जांच आगे बढाई मामला हाई प्रोफाइल और एक बडे नेता के खिलाफ होते देख इस जांच में प्रवीण दिक्षित ने खुद दिलचस्पी ली और जून 2015 में ही छगन भुजबल के खिलाफ दो मामलों में FIR दर्ज की गई एक मामला उस वक्त का जब भुजबल महाराष्ट्र की पिछली कांग्रेस-एनसीपी सरकार में लोक निर्माण मंत्री थ।FIR में उनका, उनके बेटे पंकज, भतीजे समीर और 14 आरोपियों के नाम हैं।मामला नयी दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के नये भवन के निर्माण के लिए ठेका देने से जुडा था और उसी तरह से कलीना मे लाएब्रेरी को लेकर जिन इमारतों का निर्माण हुआ था उसमे भी भुजबल की मिलीभगत थी।एफआईआर में अन्य आरोपियों में अरण देवधर, देवदत्त मराठे, बिपिन सांखे, कृष्णा चमनकर, प्रणीता चमनकर, तनवीर शेख, संजय जोशी, मानिक शाहा, दीपक देशपांडे, अनिल कुमार गायकवाड, प्रवीणा चमनकर, प्रसन्ना चमनकर, इरम तनवीर शेख और गीता जोशी हैं।आम आदमी पार्टी की नेता अंजलि दमानिया की शिकायत के बाद राज्य एसीबी ने भुजबल और उनके परिवार के खिलाफ जांच शुरू की थी।दामानियां का आरोप थी कि भुजबल नें इस मामले में अपने ओहदे का गलत इस्तेमाल करते हुए जिन कंपनियों को ठेका दिया था वह सब इनकी या इनके रिश्तेदारों की थीं।
इस मामले में मुबंई हाईकोर्ट नें भी कहा था कि भ्रष्टाचार का मामला होने पर एसीबी FIR दर्ज कर सकती है।दिल्ली में नये महाराष्ट्र सदन के निर्माण मे 100 करोड रूपए का खर्च हुआ था।उस समय महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी सरकार थी।
जांच के बाद भुजबल के ठिकानों पर छापे
ACB की ओर से मुंबई में भुजबल के छह ठिकानों-वरली, माझगांव, चर्चगेट, सागर मंदिर शिवाजी पार्क, सार्इं कुंज दादर, सॉलिटेयर सांताक्रुज और ठाणे में लाजवंती बंगले, बेलापुर में मारुति पैराडाइज पर छापे मारे गए। नाशिक में ब्यूरो ने दो ठिकानों- चंद्राई बंगले, भुजबल पैलेस, येवला और मनमाड़ में बंगले और कार्यालयों, लोणावला में हैलीपेड वाले 65 एकड़ के बंगले व संगमवाड़ी के ग्राफिकॉन आर्केड में छापे मारे।ACB ने कुल 15 जगहों पर तलाशी ली इन छापों में ACB को सुबूत के तौर पर काफी कुछ मिला लेकिन यह अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया।
सरकारी अधिकारियों के घरों पर भी ACB की छापेमारी
ACB ने मामला दर्ज करने के अगले ही दिन लोक निर्माण विभाग के नौ सरकारी अधिकारियों और इंजीनियरों के घरों पर भी छापेमारी की थी, जिसमें आय से अधिक संपत्ति का पता चला था।इसी तरह से कुल 17 सरकारी अधिकारियों पर महाराष्ट्र सदन घोटाले और कलीना लाइब्रेरी घोटाले में कार्रवाई की गई।मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भुजबल के खिलाफ हुई कार्रवाई को निष्पक्ष बताया था।फडणवीस ने इसे नियमों के मुताबिक की गई कार्रवाई बताते हुए कहा है कि यह बदले की कार्रवाई नहीं है।सरकार ने शुरू से ही स्पष्ट कर दिया था कि वह नियमों के मुताबिक काम करेगी। ब्यूरो अदालत की निगरानी में काम कर रहा है और सरकार का उस पर किसी तरह का दबाव नहीं है।जबकि भुजबल कार्रवाई को लेकर खुद को आज तक निर्दोष बातते हैं।छगन भुजबल के खिलाफ ACB के बाद अब ED यानी प्रवर्तन निदेशालय ने ECR (enforcement case iinformation report) दर्ज कर जांच शुरू कर दी।कानून के मुताबिक ईडी किसी के खिलाफ ECR तभी फ़ाइल कर सकती है जब उसके खिलाफ किसी और जांच एजेंसी ने FIR दर्ज किया हो।छगन भुजबल के खिलाफ ACB अभी तक 2 मामले दर्ज कर चुकी ।हाल ही में महाराष्ट्र ACB ने छगन भुजबल के घरों पर छापे मारकर कुल 31 अचल संपत्ति का खुलासा किया है।
प्रवर्तन निदेशालय ने भुजबल के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग यानी काले पैसे को सफ़ेद करने के आरोपों की जांच शुरू कर दी है। बीजेपी सांसद और मामले में याचिका दायर करने वाले किरीट सोमैया का कहना था कि ‘इसमें सस्ते शेयर महंगे दामो में खरीदने का आरोप है। विदेशों में पैसे लगाने का आरोप है।शक है कि ये पैसे किक बैक के तौर पर मिले हैं।हालांकि अधिकतर प्रापर्टी को लेकर भुजबल ने यह कहा कि यह उनके पुर्खों की है।
जांच के बाद चार्जशीट के लिए सेंक्शन रिपोर्ट की अपील
ACB की जांच पूरी होने के बाद जब चार्जशीट दाखिल करने की बारी आई तो उस दौरान तत्कालीन ACB प्रमुख प्रवीण दिक्षित ने कहा क हम चार्जीशीट जल्द से जल्द दाखिल कर कोर्ट की कार्रवाई शूरू करेंगे।लेकिन उसी दौरान प्रवीण दिक्षित का प्रमोशन होगया दिक्षित राज्य का डीजी पुलिस बनाऐ गए।और फिर उनकी जगह विजय कांबले की इंट्री हुई।और फिर जैसे इस कार्रवाई पर विणाम लग गया।हालांकि एडिशनल डीजी संजय बर्वे ने कहा कि हम चार्जशीट फाइल करेंगे लेकिन समय नहीं बता पाऐंगे।
एसीबी डीजी विजय कांबले और एडिशनल डीजी संजय बर्वे की चार्जशीट फाइल करने को लेकरअंदरूनी जंग
विजय काबंले के आने के बाद एडिशनल डीजी संजय बर्वे ने भुजबल के खिलाफ चार्ज दाखिल करने की कोशिश तेज की लेकिन विजय कांबले की ओर से लगातार मना किया गया जबकि इसी चार्जशीट को लेकर प्रवीण दिक्षित ने जी तोड कोशिश की थी की उनके जाने से पहले ही फाइल करदी जाए लेकिन प्रमोशन के बाद उनकी ख्वाहिश पूरी नहीं होसकी इसी लिए बर्वे ने लगातार कोशिश की लेकिन इस कोशिश को लेकर विजय कांबले ने जल्दबाजी ना करने की हिदायत दे दी।और इस चार्जशीट दाखिल ना करने के वजह से राज्य के सीएम ने ACB को आडे हाथ लेने की भी बात कही।जिसको लेकर ACB के वरिष्ठ अधिकारियों की मीटिंग भी हुई कि आखिर राज्य के सीएम को इस मामले में क्या जवाब दिया जाएगा।हालांकि कई मामलों में भुजबल और अजीत पवार के खिलाफ कार्रवाई को लेकर राज्य सरकार से ACB ने जब इजाजत मांगी तो पहले जो लोग पिछली सरकार के दौरना चिल्ला रहे थे वही लोग कार्रवाई को लेकर इजाजत देने में आजतक आना कानी कर रहे हैं।उनमें नासिक की जगह भी शामिल है।दर असल सरकार सत्ताधारी फक्ष को इस बात का बखूबी अंदाजा है कि अगर वह इजाजत देते हैं तो BJP के भी कई नेताओं की पोल खुलेगी जिन्होंने सरकारी जगहों का इस्तेमाल अपने स्वार्थ के लिए किया है।फिलहाल लोगों की निगाहें इस बात पर टिकी हुई हैं कि अब भुजबल को लेकर अगर राज्य सरकार ने इजाजत दे दी है तो क्या ACB के नए डीजी विजय कांबले अपने विभाग को चार्जशीठ दाखिल करने और केस चलाने की इजाजत देते हैं या और इंतेजार करने का आदेश देते हैं।
क्या कहते हैं डीजी प्रवीण दिक्षित
इस पूरे मामले में राज्य के डीजी प्रवीण दिक्षित की सब से अहम भूमिका रही उन्होंने ना सिर्फ कार्रवाई की पहल तेजी से की बल्कि अपने कार्यकाल में उन्होंने ACB की शकल सूरत और काम करने के तरीके को ही बदल दिया।भुजबल मामले में भी प्रवीण दिक्षित की भूमिका को भुलाया नहीं जासकता।उन्होंने छोटे से छोटे और बडे से बडे भुजबल जैसे मामलों को हैंडल करने के लिए अपने अधिकारियों के सीधे सीधे संपर्क मे रहे।यही वजह रही कि उनके रहते ACB के अधिकारी किसी के भी खिलाफ कार्रवाई करने में हिचकिचाते नहीं थे।लेकिन उनके जाने के बाद जिस तरह से नए डीजी का रवय्या भुजबल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने लिए था वह बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है।
BOMBAY LEAKS से बात करते हुए प्रवीण दिक्षित ने कहा कि अब जब सरकार से इसकी इजाजत मिल गई तो बस समय ज्यादा नहीं लगना चाहिए क्योंकि चार्जशीट को अपडेट करने का काम ही बाकी रह जाता है और उसके लिए ज्यादा समय नहीं लगता।अब लोगों की निगाहें ACB पर टिकी हुई हैं कि आखिर कब दाखिल करेगी ACB चार्जशीट।
Post View : 39