शाहिद अंसारी
मुंबई : अपने वोट बैंक के लिए हज़ारों परिवारों की फिकर जताने वाले कंग्रेस विधायक आरिफ़ नसीम खान की जनहित याचिका मुंबई हाईकोर्ट ने इसलिए खारिज दी की वह किसी एक परिवार के बारे में कोर्ट के सामने स्पष्टीकरण देने में नाकाम साबित हुए। तांसा पाइप लाइन पर बसे लोगों के बने झोपड़ों पर तोड़क कार्रवाई के खिलाफ़ आरिफ़ नसीम खान की ओर से मुंबई हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी। खान तोड़क कार्रवई को लेकर याचिका इसलिए दाखिल की थी की तांसा पाइप लाइन का खासा हिस्सा उनके चुनाव क्षेत्र चांदीवली में है और वहां पर 300 से ज़्यादा झोपड़े हैं जिनमें वोटरों की संख्या काफी ज्यादा है।
हालांकि आरिफ़ नसीम खान और उनके साथ दो अन्य लोगों की ओर से दाखिल की गई जनहित याचिका के अनुसार उन्होंने सरकार से गुहार लगाई थी कि तांसा पाइप लाइन पर बसे झोपड़ों को लेकर जो कार्रवाई की जा रही है उससे 200 परिवार को तुरंत नुकसान पहुंच रहा है और आगे चल कर 2600 परिवारों को उसका नुकसान होगा। जिनमें 8500 स्कूल जाने वाले बच्चे हैं उनकी पढ़ाई का नुकसान होगा।
कोर्ट में इस मामले को लेकर आरिफ़ नसीम खान ने जिन परिवारों को लेकर चिंता जताई है उनका स्पष्टीकरण कोर्ट के सामने देने में वह असफल रहे। इसके बाद कोर्ट ने इस पर कहा कि यह जनहित याचिका बिना किसी ग्राउंड के और बिना किसी तथ्य के दाखिल की गई है इसलिए इसे खारिज कर दिया गया।
नसीम खान ने जनहित याचिका खारिज होने से पहले कोर्ट के सामने जनहित याचिका में संशोधन करने की गुहार लगाई थी जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें 4 दिसंबर 2017 तक का समय दिया था। 4 दिसंबर की सुनवाई में उन्होंने कोर्ट को बताया कि इसी मामले से जुड़ी जनहित याचिका ( 68/2017 ) में 9.11.2017 को जो आदेश हुआ था उसको मान्य करते हुए हम इस याचिका को वापस लेते हैं। 2017 में दाखिल की गई जिसमें याचिकाकर्ता का मकसद था कि पुनर्वसन के लिए माहूल में जो बिल्डिंगें दी गई हैं वहां पर Brimstowad स्कीम के तहेत अगर अलार्टमेंट होता है तो तांसा पाइप लाइन पर बसे जो लोग हैं उनका नुकसान होगा।
मुंबई में अवैध निर्माण को हटाने को लेकर जनहित याचिका दाखिल करने वाले शौकत अली बेडगिरी ने कहा कि
बीएमसी की ओर से जो तोड़क कार्रवाई की जा रही है वह दुरुस्त है इसका स्वागत किया जाना चाहिए कुछ नेता अपने वोट बैंक की राजनीती खेलने के चक्कर में इस मुद्दे को राजनीती के तवे पर सेकते हैं। इन लोगों को अवैध रूप से यहां बसाने का काम वहीं लोग करते हैं जो उन्हें हटाए जाने को लेकर बीएमसी का विरोध करते हैं।
2006 में तांसा पाइप लाइन पर बसे गैर कानूनी झोपड़ों को लेकर जनहित याचिका दाखिल की गई थी उसका फाइनल ऑर्डर 2009 में आया जिसमें यह कहा गया था कि पाइप लाइन के दोनों तरफ़ बसे झोपड़ों को बीएमसी द्वारा हटाया जाए। जिसके बाद बीएमसी ने इन सारे झोपड़ों को लेकर सर्वे किया और16409 झोपड़े रिकार्ड किए गए। जिसमें से 8783 झोपड़े बीएमसी ने 22 सितंबर 2017 तक तोड़ चुकी है और 8290 झोपड़ावासियों के लिए पुनर्वसन का काम चालू है जिसमें 4643 लोगों को अबतक बसाया जा चुका है।
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