शाहिद अंसारी
नागपुर : वक्फ़ माफियाओं के ज़रिए वक्फ़ की प्रापर्टी हड़पने के लिए पार्टी बदली जा रही है लेकिन इरादे वही हैं यह खुलासा तब हुआ जब नागपुर में वक्फ़ बोर्ड की 100 करोड़ रूपए की जगह का घपले का मामला सामने आया। नागपुर में 100 करोड़ की वक्फ़ की ज़मीन के घपले के मामले में वक्फ़ काउंसिल के सदस्य इंजीनियर हमीद के द्वारा आपत्ती दिखाते हुए सीबीआई जांच के लिए देश के प्रधानमंत्री से मार्च 2017 में यह गुहार लगाई थी कि मामले को लेकर गंभीरता से जांच करते हुए दोषी वक्फ़ माफियाओं के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करें।
इंजीनियर हामिद की यह आपत्ती वक्फ़ माफियाओं के लिए एक चुनौती और खतरे की घंटे कम नहीं थी। उसकी वजह यह थी की सुन्नी मुस्लिम समाज की 20 लाख की जनसंख्या वाले शहर नागपुर में सो रही थी। सुन्नी जामा बड़ी मस्जिद शतरंजीपुरा की 15 एकर की ज़मीन जिसे प्लाटिंग कर के वक्फ़ बोर्ड के सदस्य आसिफ़ कुरैशी के जानने वालों को बेच दिया गया।
वक्फ़ की ज़मीन बेचने का यह स्कैम 2012 से शुरू हुआ और उस वक्त प्रबंधन कमेटी शतरंजीपुरा ने पब्लिक नोटिस दियाजिसमें कहा कि वक्फ़ की 15 एकर ज़मीन की खरीद-व- फरोख्त न की जाए। इसी के ठीक बाद 23 सितंबर 2013 को भारत सरकार ने वक्फ़ ऐक्ट में बदलाव करते हुए यह नियम लागू किया की भी वक्फ की किसी भी संपत्ति को खरीदने और बेचने को ले कर रोक लगा दी थी। इसकी भनक जैसे ही नागपुर के वक्फ़ माफियों को लगी उन्होंने महाराष्ट्र वक्फ़ बोर्ड में नंबर 3 व 4 को एजेंडे में शामिल कर के 3 अक्तूबर 2013 को मीटिगं बुला ली। यह एजेंडे शतरंजीपुरा की वक्फ़ की जगह को बेचने के लिए एक साज़िश के रूप में थी। दस्तावेज देखने से पता चला कि इस शतरंजीपुरा जमीन को गैर तानूनी तरीके से नियमित करने के एजेंडे को वक्फ़ बोर्ड के सदस्य आसिफ़ कुरैशी ने प्रस्तावित किया था। प्रस्ताव में यह था कि 100 करोड़ रूपए की 15 एकर की ज़मीन को औने पौने दाम पर लोगों को एलार्ट कर दिया जाए और इस नापाक मंशा को अंजाम भी दिया गया।
इस पर वक्फ़ बोर्ड में मौजूद अज़ीजुद्दीन ने फर्ज़ी सर्वे रिपोर्ट ही नहीं बल्कि उन्होंने उक्त 3 अक्तूबर 2013 के एजेंडे को सीइओ की हैसियत से साइन भी किया और यह पोल तब खुली जब 1 नवंबर 2013 को नए सीइओ जस्टिस सय्य्द एजाज़ ने कार्यभार संभाला। उसी समय मुतवल्लियों ने एक्स पार्टी स्टे ले लिया और खरीद – व – फरोख्त पर रोक लगा दी ।लेकिन दुर्भाग्य की बात की महाराष्ट्र वक्फ़ बोर्ड ने आज तक इस मामले में अपना जवाब तक दाखिल नहीं किया।
मुतवल्ली शारिक ने अपनी ईमानदारी और दिलेरी दिखाते हुए वक्फ़ माफियाओं के खिलाफ़ मजबूत से मज़बूत केस बनाया है।वक्फ़ काउंसिल नई दिल्ली के सदस्य हामिद इंजीनियर ने मामले में जैसे ही सीबीआई जांच की मांग करते हुए मामले की तह तक पहुंचे तब पता चाला कि इसमें महाराष्ट्र के ही वक्फ़ माफियाओं का हाथ है। उनकी ऐसी ही रिपोर्ट पर आसिफ कुरैशी के द्वारा उनके ऊपर 10 करोड़ो रूपए का मानहानी का केस दाखिल किया गया है और 20 अगस्त 2017 को नोटिस की एक कापी राज्य के मुख्यमंत्री देंवेद्र फ़डणविस को भेजी है।
1 सितंबर 2017 को ही राज्य के मुख्यमंत्री ने खालिद कुरैशी और आसिफ़ कुरैशी को माहाराष्ट्र वक्फ़ बोर्ड का सदस्य बना दिया। हालांकि आसिफ़ कुरैशी महाराष्ट्र कांग्रेस सेल के लीगल सेल के अध्यक्ष हैं। लेकिन वक्त और हालात को देख उन्होंने बीजेपी का दाम थाम कर वक्फ़ बोर्ड की सदस्यता हासिल करने में कामयाबी हासिल की है। इस तरह से मात्र पार्टी बदली है लेकिन वक्फ़ की प्रापर्टी की लूट घसूट कर उसे हड़पने वाले वही लोग हैं जो कांग्रेस के शासनकाल में थे।
हामिद इंजीनियर के पास इस केस को लेकर लड़ने के अलावा कोई और रास्ता नही है इसलिए उन्होंने आसिफ़ कुरैशी को 80 कोरड़ की नोटिस देते हुए 5000 रूपए का हर्जाना भी मांगा है।हालांकि वक्फ़ ऐंटीलिया ( बाग ए करीम यतीम खाना ) को लेकर चर्चे में आए सेंट्रल वक्फ़ काउंसिल के सदस्य डा. सय्यद एजाज ने कहा कि पिछले 10 सालों में जब से वक्फ़ बोर्ड के सदस्यों ने जिम्मेदारी से काम नही किया है तब से लेकर अब तक 113 केस वक्फ़ के सामने आए हैं इसलिए हम शतरंजीपुरा के साथ साथ सभी केसों में सीबीआई जांच की मांग कर चुके हैं। बाजारू भाव से कम कीमत में हुई कोई भी डील वक्फ़ में करना यह अल्लाह के साथ नाइंसाफ़ी है और यह सीधे सीधे उससे जंग करने के जैसा है इसलिए सीबीआई जांच के अलावा भी जो भी कदम उठाना पड़ेगा हम उसके लिए पूरी जिंदगी भर लड़ेंगे। इसी लिए मैंने दो बार वक्फ़ काउंसिल के पद से भी इस्तीफा दिया है जो कि नामंजूर कर दिया गया है और महाराष्ट्र सरकार के वक्फ़ बोर्ड के सदस्य के ऑफऱ को ठुकरा दिया क्योंकि हमें सभी वक्फ़ स्कैम और माफियाओं को बेनकाब करना है जिन्हों मुलमानों को गरीबों को और गरीब बना दिया है और खुद अमीर होते चले गए।
चूंकि आसिफ़ कुरैशी पहले कांग्रेस में थे उसके बाद उन्होंने पार्टी बदली बीजेपी सरकार सत्ता में आने के बाद उन्होंने मात्र पार्टी बदली इरादा वही है जो पहले था। कांग्रेस ने मुसलमानों को लॉलीपॉप देते हुए वक्फ़ बोर्ड की जगहों का घपला वैसे ही किया जैसे ऐंटेलिया को हड़प लिया गया। लेकिन वक्फ़ माफियाओं को यह नहीं भूलना चाहिए कि गरीबों और अनाथों की जगहों को जिसने भी हड़पा है उसे कोर्ट में हिसाब देना होगा।
हमने इस बारे में आसिफ़ कुरैशी से जब बात की तो उन्होंने कहा कि 1991 में शतरंजीपुरा मस्जिद के ट्र्स्टियों ने 288 प्लाट बनाए और उनके साथ अग्रिमेंट हुआ है। हमने चैरिटी मे भी आवेदन किया लेकिन वहां रुकने के बाद मामला वक्फ़ बोर्ड के समक्ष आया और उसे वक्फ़ बोर्ड ने रेगुलराइज़ किया। और किसी के कहने से या आरोप लगाने से कोई बात सही नहीं हो जाती ।
शतरंजीपुरा में मौजूद वक़्फ़ की जगह जिस पर बंगले बने हुए हैं।
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