शाहिद अंसारी
मुंबई : 3 साल पहले लालबाग़ के राजा के बंदोबस्त में भाईखला पुलिस थाने की महिला पुलिस कर्मी तैनात थी।भीड़ भाड़ में और बीच बचाव करने में महिला पुलिस कर्मी को लालबाग़ मंडल के एक कार्यकर्ता ने थप्पड़ रसीद कर दिया।ताज्जुब इस बात का की उस महिला पुलिस कर्मी की पुलिस ने शिकायत दर्ज नहीं की जब इस मामले की सीसीटीवी वेडिओ मैंने लीक की तो उस दौरान तत्कालीन एडिशनल सीपी प्रवीण सालुंखे ने पुलिस वालों को खरी खोटी सुनाई और फिर सिर्फ मामला ही दर्ज नहीं हुआ बल्कि आरोपी को पुलिस ने 2 घंटे में गिरफ्तार भी कर लिया।मेरे साथ साथ सारी मीडिया ने इस सीसीटीवी को बार बार स्क्रीन पर दिखाया ताकि आरोपी की शिनाख्त हो सके और महिला पुलिस पर हाथ उठाने वाले की शिनाख्त हो सके क्योंकि मामला था पुलिस की एक महिला की इज़्ज़त का जिसे मीडिया और वरिष्ठ पुलिस अधिकारीयों की मदद से बेनकाब किया गया।
कुछ ऐसा ही मामला था 25 सितम्बर की रात का जब एक महिला को कई पुलिस कर्मियों ने जम कर पीटा और वहां पर मौजूद दुसरे पुलिस कर्मी तमाशाई बने रहे क्योंकि मुंबई पुलिस की वर्दी पहने महिला पुलिस कर्मी के रूप में महिलायें कानून को ठेंगा दिखाते हुए एक महिला पर लात जूतों की बारिश कर रही थीं।ताज्जुब इस बात का की इतना सब होने के बाद भी मामले की कोई छानबीन नहीं हुई और ना ही हमेशा की तरह मुंबई पुलिस अपनी कमियों को छुपाते हुए इस मामले को ऐसा दरगुज़र कर गयी जैसर कुछ हुआ ही ना हो।लेकिन जब इस मामले की वेडिओ सामने आई तो जनता को मुम्बई पुलिस में काम करने वाली महिलाओं की जो असलियत सामने आई उसे द्वख कर किसी के भी रोंगटे खड़े होंजायेंगे।
पहले और इस मामले में मामला एक ही जैसा है फर्क सिर्फ इतना है की पहले कभी मुंबई पुलिस की एक महिला पुलिसकर्मी पीड़ित थी जिसका आरोपी मीडिया की बदौलत गिरफ्तार हुआ कियोंकि स्थानी पुलिस ठाणे के सीनयर पीआई को लालबाग़ के राजा मंडल से मलाई खाने को मिलती है।इसलिए महिला पुलिसकर्मी की शिकायत नही दर्ज की थी।लेकिन मीडिया में चले सीसीटीवी की बदौलत पुलिस को FIR लेनी पड़ी और आरोपी को 2 घंटों में गिरफ़्तार भी करना पड़ा।
लेकिन 25 सितम्बर की घटना में पुलिस की जो भूमिका है वह शर्मशार कर देने वाली वेडिओ आईने की तरह साफ़ है एक महिला को कई महिला पुलिस कर्मी बड़े हो वहशियाना तरिके से पीट रही हैं।इसे देखने के बाद भी अबतक मुंबई पुलिस जाँच के नाम का लॉलीपॉप दे रही है।क्योंकि यहाँ एक नहीं कई महिला पुलिसकर्मी आरोपियों की सफ में खड़ी हैं।अगर इस मामले की ईमानदारी से जाँच हुई तो यह महिलाऐं यकीनन सस्पेंड होंगी।लेकिन वहीँ मुंबई पुलिस की इस नज़रिये पर भी सवालिया निशान लगता है की आखिर मामला एक ही जैसा है तो कार्रवाई का प्रावधान अलग क्यों है।
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