मुंबई:महाराष्ट्र फिंगर प्रिंट्स ब्युरो के पूरे महाराष्ट्र में चार सेंटर बनाऐ गए हैं मुंबई,पूणे,औरंगाबाग और नागपुर हैं।और इसका मुख्यालय पूणे है इस विभाग का पूरे 100 साल का इतिहास रहा है कि किसी भी केस में फिंगर प्रिंट्स ब्युरो सबसे महत्व रखता है।हर मामले मे छोटे से छोटे और बडे से बडे मामलों में बतौर सुबूत जुटानें मे इस विभाग की सबसे अधिक भूमिका होती है और अधिकतर मामलों में जो पुलिस को कामयाबी मिलती है वह इसी विभाग की बदौलत मिलती है।लेकिन अफसोस की बात यह है इस विभाग की हालत आज बहुत ही खस्ता होगई है BOMBAY LEAKS की छानबीन में कुछ ऐसी सच्चाईयां सामने आई हैं जिसे बयान करने के बाद आपको हैरानी होगी कि आखिर महाराष्ट्र पुलिस के सबसे महत्तवपूर्ण विभाग अपाहिज कैसे हो गया।
साल 2004 में इस विभाग के आधुनिकरण के बारे मे विचार किया गया और इस विभाग की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इस विभाग को कंप्युट्राइज्ड करने के लिए फैक्टस-5 सिस्टम खरीदे गए और यह फैसला लिया गया और पूरे महाराष्ट्र का एक डाटाबेस तय्यार किया गया। राज्य भर में कुल 41 जगहों पर इसका उपयोग किया जाने लगा। इस योजना के तहेत 360000 गुनाहगारों का कच्चा चिट्ठा तय्यार कर उसे सुरक्षित रखा गया है।इसकी वजह से गुनहगारों के बारे में पूरी जानकारी रखी जा रही है।महाराष्ट्र के गुनहगारों का डाटाबेस फिंगर प्रिंट्स का रिकार्ड पूणे के महाराष्ट्र फिंगर प्रिंट्स ब्युरो के मुख्य सरवर में स्टोर करके रखे गए और 41 जगहों को उस सरवर से जोडकर आनलाइन किया गया इसके लिए 4 ब्युरो बनाए गए जबकि 200 से ज्यादा अधिकारियों को इसे मेनटेन करने के लिए तैनात किया गया।लेकिन सारी प्रक्रिया ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाई क्योंकि उसकी देखभाल ना किए जाने की वजह से साल 2012 से ही फैक्टस-5 सिस्टम पूरी तरह से बंद होगया है।
फैक्टस-5 सिस्टम के एक्टिव ना होने की वजह से कंप्युट्राइज्ड डाटाबेस का काम ठप होगया।महाराष्ट्र फिंगर प्रिंट्स ब्युरो का पुराने तर्ज पर और पुराने सिस्टम से चलना शुरू होगया।डाटाबेस का काम रोजाना बढते जारहा है पूरे महाराष्ट्र भर में इसकी संख्या 6 लाख के आसपास है और पुराने तर्ज पर काम करने में इस विभाग को बडी दिक्कतों का सामना करना पडता है।उसकी वजह से काम पर बुरा असर पड रहा है।महाराष्ट्र फिंगर प्रिंट्स ब्युरो के लिए पिछले कई सालों से कोशिश जारी है लेकिन यह कोशिश अबतक पूरी नहीं होसकी। इतने महत्तवपूर्ण विभाग का जिसका गुनाह या किसी भी केस मे एक अहम रोल होता है उसकी यह हालत है।इस विभाग के लिए सरकार और वरिष्ठ अधिकारियों के पास समय नहीं है कि वह इसके बारे मे गंभीरता से सोचें इस वजह से पूरे विभाग की हालत खस्ता होगई है। फैक्टस-5 सिस्टम बंद होने की वजह से विभाग आधुनिक होने के बजाए और 15 साल पीछे चला गया।
वरिष्ठ अधिकारियों की वजह से यहां के अधिकरियों और कर्मचारियों को अक्सर ताने सुनने मिलते हैं।यह कहते हुए कि आप लोगों से कुछ काम नहीं होता इस विभाग को बंद करना चाहिए।इसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों का इस विभाग के लिए नजरिया नाकारात्मक होगया हैं।इस विभाग पर कोई ध्यान नहीं देता और उनकी मांग और जरूरतों को कोई पूरा भी नहीं कर रहा है।
फिंगर प्रिंट्स विभाग के अधिकारियों के लिए मंत्रालय कर्मचारियों के जैसे नियम और कानून बनाए गए हैं।लेकिन जिला स्तर पर उनके खुद के मतलब के हिसाब से नियम बदल जाते हैं।इन अधिकारियों को यूनिफार्म नहीं है इन्हें साल भर में 8 दिन की सीएल होती है।साल भर में 30 दिन अलग से छुट्टी होती है लेकिन परिवार को इसका बिलकुल भी लाभ नहीं मिल पाता और जिला स्तर पर 24 घंटे काम भी करना पडता है।सराकारी और सार्वजानिक त्योहारों पर छुट्टिया रहती हैं लेकिन उसका लाभ इस विभाग के कर्मचारी नहीं उठा पाते उनको साप्ताहिक छुट्टी भी नहीं मिल पाती और छुट्टी के बदले मे पैसे भी नहीं मिलते।जबकि मंत्रालीन कर्मचारी कहकर अभी फिलहाल 128 पदों को मंजूरी दी गई है इसमें 70 खाली हैं।उसमें बाकी जो लोग हैं वह 70 लोगों का भी काम खुद करते हैं।एक अधिकारी 2 जिलों के काम करते हैं और इसके लिए अधिकारियों मे नाराजगी है और मांसिक तनाव भी है।लगभग 113 सर्चर की साल 2012 में नियुक्ति हुई है लेकिन वास्तविकता में 3 साल पहले ही वह पद भरने थे लेकिन वह भरती हुई ही नहीं। शासन की मान्याता के लिए साल 2015 में नवंबर के महीने में दिल्ली मे 70 लोग परीक्षा पास कर के उनकी जल्द से जल्द भर्ती की।जबकि यह प्रक्रिया पहले ही करनी चाहिए नियुक्ति के बाद क्यों अब यह प्रक्रिया के बाद नए सरचर की भर्ती होने के बाद उनको एक साल की ट्रेनिंग देकर उनको काम पर लगने के लिए 2 साल कम से कम लगेगा और वह 2 साल में खाली रहे पदों का लोड उनपर आऐगा और यह जानबूझ कर अधिकारी ऐसा करते हैं।
BOMBAY LEAKS की छानबीन में इस बात का पता चला कि इस विभाग में वरिष्ठ अधिकारियों की तरफ से यहां के कर्मचारियों के साथ बहुत ही बुरा बरताव होता है।जिसकी वजह से यहां कि कर्मचारी मानसिक रूप से काफी परेशान हैं। जबकि कुछ ऐसे कर्मचारी हैं जो वरिष्ठ अधिकारियों कें संपर्क में रहकर अपना काम निकालते हैं और दूसरे लोग पिस जाते हैं यही वजह है कि VRS लेने वालों की तादाद में काफी इजाफा हुआ है।
इस विभाग मे कुल 293 कर्मचारी हैं जबकि 100 लोगों की जगहें खाली पडी हैं अगर समय रहते ही इन रिक्त पदों की भर्ती होती तो जो लोग अभी इस विभाग मे काम कररहे हैं उनका प्रमोशन के साथ रिटाएर भी हो जाते।लेकिन यहां वरिष्ठ अधिकारी अपने हित और अपने स्वार्थ और बदले की भावना के अनुसार लोगों की नियुक्ति कर देते हैं।जिसकी वजह से यहां कामकाज अपने मनमानी तरीके से किया जारहा है कुल मिलाकर 10 फीसद कर्मचारी अपना काम पूरी ईमानदारी से करते हैं जबकि बाकी यहां कामचोरी करते हैं।
मुबंई जैसे शहर में आधे महाराष्ट्र भर का काम है बावजूद इसके यहां कई सारे पद खाली हैं जबकि कई जगहें ऐसी हैं जहां काम के मुताबिक लोगों की जरूरतें कम हैं उन लोगों को यहा भरा जासकता है।एक अधिकारी दो दो जिलों का काम करते हैं जबकि कई जगहों पर आलम यह है कि अधिकारी महीने में 8 से 10 दिन ही हाजिर होते हैं।
इस बारे में महाराष्ट्र फिंगर प्रिंट्स ब्युरो के एडिशनल डीजी संजय कुमार ने BOMBAY LEAKS से बातचीत में कहा कि हमने इन सारी कमियों और दिक्कतों को लेकर राज्य सरकार को अपना प्रस्ताव भेजा है लेकिन राज्य सरकार की ओर से अबतक इसपर केवल विचार ही किया जारहा है बावजूद इसके यह विभाग पुरने तरीके से काम कर रहा है और विभाग में खाली जगहों की भर्ती के लिए तो केवल यही विभाग ऐसा नहीं है जहां लोगों की तादाद कम है बल्कि राज्य में और भी कई ऐसे विभाग हैं जहां लोगों की तादाद कम होने के बाद भी काम चल जाता हैं।ऐसे मे सवाल यह उठता है कि क्या राज्य के इस सबसे संवेदनशील विभाग में खाली जगहों को ना भरने का खमियाजा दूसरे कर्मचारियों को क्यों भुगतना पडता है काम के प्रेशर की वजह से वह कई कर्मचारी मानसिक उत्पीडन का शिकार होरहे हैं।जबकि राज्य सरकार क साल 2012 के बाद से ही विभाग की स्तिथि को लेकर प्रस्ताव भेजा गया लेकिन राज्य सरकार नें फिंगर प्रिंट्स ब्युरो की जरूरतों को पूरा करने के बजाए उस प्रस्ताव को रद्दी की टोकरी में फेक दिया।यही वजह है की साल 2012 में जब फैक्टस-5 खराब होगया तो उसके बाद से ही यह विभाग आधुनिकरण होने के बजाए 15 साल पीछे चला गया और बैसाखी के सहारे किसी तरह से चल रहा है।
Post View : 22