शाहिद अंसारी
मुंबई:मुंबई के भोईवाड़ा पुलिस थाने में 6 महीने पहले धोका धड़ी की दर्ज हुई FIR में जांच के नाम पर जमकर खानापुरी कर रही यह धोका धड़ी ब्रिटेन में रहने वाले 87 वर्षीय अहमद इस्माइल सल्लू के साथ हुई थी।जब उनके ही एक केयर टेकर ने उनसे धोकाधड़ी करते हुए उनकी जगह बेच दी थी।मामले को 6 महीने बीत जाने के बाद मुंबई पुलिस ने इसमे जांच के नाम पर जमकर खानापुरी की है इसकी जांच करने वाले इंस्पेक्टर धनंजय लिगाडे ने BOMBAY LEAKS को बताया कि उन्होंने 6 महीने में अबतक उनके कागज़ात को फिंगर प्रिंट्स के लिए भेजा और इस मामले में अबतक चार्जशीट तक दाखिल नहीं की गई।लिगाडे के अनुसार अगले 15 दिनों के भीतर वह चार्जशीट दाखिल करदेंगे।लेकिन सवाल यह उठता है कि एक NRI के साथ धोका धडी करने वालों पर कानून का शिंकजा क्यों नहीं कसा।इस पूरे मामले में BOMBAY LEAKS की पड़ताल मे काफ़ी अहम जानकारियां सामने आई हैं।आखिर ऐसी क्या वजह रही कि एक NRI की शिकायत के बाद इस जांच को मुंबई पुलिस ने अबतक आगे नहीं बढ़ाया।
मामले दर्ज करने के लिए जोनल डीसीपी अशोक दुधे ने स्थानी पुलिस थाने को हिदायत दी थी जिसके बाद स्थानी पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए मुख्य आरोपी मूसा मनियार को गिरफ़्तार तो कर लिया।लेकिन दूसरे आरोपी को यह मोहलत दे दी कि वह खुद के लिए अग्रिम ज़मानत की अर्ज़ी कोर्ट में दे और वही हुआ दूसरे आरोपी ने चार महीनों के अंदर अग्रिम ज़मानत पर रेहा होगया चार महीनों तक पुलिस ने उसे गिरफ़्तार नही किया इस गिरफ़्तारी ना करने के लिए पुलिस ने मोटी रक़म भी वसूल की।
पीड़ित का दावा है कि उनके के काग़जात जो फर्ज़ी और धोके से दस्तेखत कराए गए और अंगूठे का प्रिंट्स ली गई है वह भी मुख्य आरोपी के पास काम करने वाली किसी महिला के जरिए बनाया गया है।पुलिस ने अबतक उस महिला का ना तो बयान दर्ज किया है और ना ही किसी तरह से पूछताछ की जबकि पुलिस को इस बारे मे पूरी जानकारी है।
चूंकि पीडित की यह प्रापर्टी उनके पिता के नाम पर थी इसे उनके नाम पर आरोपी मूसा मनियार ने काफी पहले ही ट्रांस्फर कर दिया था।इस बात की जानकारी पीड़ित को नहीं थी।इसी दौरान मुख्य आरोपी ने पीड़ित को बहका कर ओल्ड कस्टम हाउस ले गया और वहां पर यह बोल कर काग़ज़ात पर दस्तखत कराया कि यह प्रापर्टी पीड़ित के पिता की है जो अब पीड़ित के नाम पर ट्रांस्फर हो रही।जबकि सच्चाई यह थी कि यह दस्तेखत मुख्य आरोपी ने धोका देकर उनसे करवाई और प्रापर्टी को दूसरे आरोपी को बेच दिया।यह प्रापर्टी पहले से ही पीड़ित के नाम पर आरोपी ने करा रखी थी दूसरी बार इसी प्राप्रर्टी को आरोपी ने दूसरे को बेच दिया था और इस बात की जानकारी उनको थी ही नही।आरोपी ने अग्रीमेंट में काग़ज़ात में फेर बदल भी करदिया।अब ऐसे में यह साफ होगया है कि ओल्ड कस्टम हाउस के भी कर्मचारी इस धोकाधड़ी में शामिल हैं जिनसे अबतक पुलिस ने पूछताछ ही नहीं की क्योंकि बिना उनकी मिली भगत से किसी भी यह काम संभव नहीं है।पुलिस उनसे पूछताछ ना कर के उनको बचाने की कोशिश कररही है।
बुजुर्ग ब्रिटिश नागरिक (NRI)से ठगी के आरोप में भोईवाडा पुलिस ने मुसा मनियार को गुजरात से गिरफ्तार किया था।मामले में पुलिस को एक और आरोपी की तलाश थी।दोनों ने पावर ऑफ अटार्नी का दुरुपयोग करते हुए NRI की 8 करोड़ रुपए की संपत्ति किसी और को बेच दी थी। NRI को भारत आने के बाद इसकी जानकारी हुई जिसके बाद उन्होंने दोनों आरोपियों के खिलाफ़ भोईवाड़ा पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराई थी।आरोपी मूसा मनियार का साथी मुहम्मद अख्तर पावते फरार हो गया था।मामले की शिकायत करने वाले 87 वर्षीय अहमद इस्माइल सल्लू ब्रिटेन में लंबे समय से रहते हैं और मुंबई के दादर इलाके में उनकी कई संपत्तियां हैं ब्रिटेन जाने से पहले उन्होंने मनियार के नाम पावर ऑफ अटार्नी बना दी थी बाद उसकी नियत में खोट आगया और उसने उनको चूना लगा दिया।
इस मामले की जांच कर रहे इंस्पेक्टर धनंजय लिगाडे ने बताया कि आरोपी ने संपत्ति के कुछ फर्जी कागज़ात बनाए और पावर ऑफ अटार्नी का दुरुपयोग कर 8 करोड़ की संपत्ति बेच दी।सल्लू ब्रिटेन से वापस आए तो उन्हें फर्जीवाड़े का पता चला।इसके बाद उन्होंने दोनों आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी।जिसके बाद मूसा मनियार को गिरफ्तार कर लिया गया था जबकि दूसरे आरोपी को पुलिस ने गिरफ़्तार ही नहीं किया था।
87 वर्षी पीडित ब्रिटिश नागरिक अहमद इस्माइल सल्लू ने BOMBAY LEAKS से बात करते हुए कहा कि मामला दर्ज कराए 6 महीने होगए लेकिन पुलिस अभी भी इस मामले में हाथ पर हाथ रखे बैठी है।6 महीनों में केवल फिंगर प्रिंट्स का बहाना बताकर पुलिस आरोपियों को मौका दे रही है ताकि उनपर कानून का शिकंजा ढीला पड़ जाए और वह बच जाऐँ।पीड़ित ने कहा कि मैं बीमार रहता हूं मुंबई पुलिस और आरोपी उनकी उम्र देख उनका मरने का इंतेजार कर रहे ताकि उनके मरने के बाद वह मेरी प्रापर्टी हड़प कर जाऐं।उन्होंने कहा कि वह इस मामले में जल्द ही ब्रिटेन में मौजूद भारती दूतावास से संपर्क कर मुंबई पुलिस की इस सुस्त कार्रवाई को लेकर पत्र लिखेंगे।
इस पूरे मामले में पुलिस के जरिए हो रही जांच यह सोचने पर मजबूर करती है कि पुलिस ने जोनल डीसीपी के आदेश के बाद FIR तो दर्ज करली है लेकिन उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई ना करते हुए आरोपियों की अंदर ही अंदर से मदद भी कर रही है ताकि पीड़ित की प्रापर्टी को आरोपी हड़प कर जाऐं और पुलिस को भी मलाई खाने मिलेगी।
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