Bombay Leaks Desk
मौजूदा बीजेपी सरकार के आने के बाद वक्फ़ बोर्ड का मामला फिर एक बार गरमाया है क्योंकि मौजूदा सरकार ने मुसलमानों से इस बात का वादा किया था कि कांग्रेस सरकार के समय जो भी वक्फ़ के घपले हुए हैं उन्हें वह उजागर करेगी और वक्फ़ माफियाओं पर कार्रवाई करेगी। हालांकि बीते 4 सालो में वक्फ़ बोर्ड के मामलों को लेकर मौजूदा सरकार और उनके अधीन उनके मंत्रियों और उनके खासम खास लोगों का जो रवय्या रहा वह बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है। यह इशारा है उस राज्य के तबके के लिए जिनके साथ वक्फ़ बोर्ड के नाम पर राजनीती खेलने की कोशिश की जा रही है। ठीक उसी तरह यूपी में भी वक्फ़ की हजारों करोड़ों की प्राप्रर्टी को अवैध तरीके से बेचा गया और और अपने स्वार्थ के लिए उसका इस्तेमाल किया गया। महाराष्ट्र में इस समय सब से ज्यादा जो मामला गरमाया है वह है करोड़ों की जगह जहां अंबानी का महेल एंटीलिया बना हुआ है। एंटीलिया को लेकर और पूरे देश के 7 लाख ऐकड़ वक्फ़ की ज़मीन जो कि सचर कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार और जो मुंतखब/अमानतदार/ग्रांट्स रूप से मुस्लिम नेताओं और वक्फ़ बोर्ड के सदस्यों और मुतवल्लियों ने जो छुपाए रखे हैं उन्हें बेनकाब करने के बाद Bombay Leaks ने सेंट्रल वक्फ़ काउंसिल के पूर्व और विरोधी सदस्य डा. सय्यद एजाज़ अब्बास से मिलकर वक्फ के मामलों को लेकर काफ़ी बातें की पेश है उस बात चीत के कुछ कुछ अंश।
वक्फ़ की जायदाद का किराया वसूल न करने का मसला क्या है ?
सब को मालूम है कि देश में 7 लाख एकड़ वक्फ़ की ज़मीन है इसमें से 6 लाख एकड़ ज़मीनों पर धार्मिक के साथ साथ व्यापारिक काम भी हो रहा है। 2014 का वक्फ़ किराया कानून लागू होने से 6 लाख एकड़ ज़मीन का बाजारू किराया आजाना चाहिए था जो कि अभी तक नहीं आ रहा है। पहले भी बाजारू भाव से ही किराए ब्लैक मार्केट में लिया जा रहा था और यह पैसा ( ब्लैकमनी ) मुतवल्ली टेबल के नीचे से लेते हैं और वह उसका हिस्सा वक्फ़ बोर्ड के सदस्य को देते हैं वह चेयरमैन को देते हैं और चेयरमैन अपने राजनीतिक आकाओं को देता है। यहां मैं दो आकड़े पेश करना चाहूंगा। 6 लाख एकड़ जमीन का सालाना बाजारू भाव के हिसाब से किराया 36 हजार करोड़ रूपए किराया आना चाहिए। लेकिन देश के लगभग 32 वक्फ़ बोर्ड और उसके लगभग 300 वक्फ़ सदस्य मिलकर के 36 हजार करोड़ रूपए वक्फ़ की जायदाद से ले कर रसीदों पर मात्र कुछ आने ही दिखाते हैं इसलिए यह चारा घोटाले जैसे बड़ा घोटाला है।
वक्फ़ के मामले में मौजूदा सरकार और पहले की सरकार का क्या रोल है ?
इसमें मौजूदा सरकार का ही रोल है क्योंकि 2014 मे कांग्रेस ने जाते जाते यह कानूनी बनाया था और मौजूदा सरकार के समय यह लागू किया गया। इस सरकार की गैर जिम्मेदारी साबित होती है जब उन्होंने वक्फ़ अतिक्रमण बिल पर मुख्तार नक्वी से पलीता लगवा दिया और कांग्रेसी वक्फ़ माफियाओं ने भाजपाई वक्फ़ माफियाओं के साथ गठबंधन कर लिया और चोर चोर मौसेरा भाई बन बैठ इसलिए इसके जिम्मेदार आज की सरकार है और इसके मंत्री ।
उत्तर प्रदेश और दूसरे वक्फ़ बोर्ड के बारे में आपके क्या विचार हैं ?
सेक्शन 96 ( 2 ) वक्फ़ ऐक्ट में सेंट्रल गवर्मेंट माहवारी स्टेट रिपोर्ट वक्फ़ बोर्ड की मंगाया करेगा जो कि सेंट्रल वक्फ़ काउंसिल के चेयरमैन मुख्तार अब्बास नक़वी नहीं मंगा रहे हैं और इसकी वजह से कोई कार्रवाई भी नहीं हो रही है हमने तीन दिवसी उत्तर प्रदेश के दौर में सुन्नी और शिया वक्फ़ बोर्ड की 500 पेज की रिपोर्ट मुख्तार नकवी को 150 घंटे के अदंर सौंपी थी उसके बावजूद न तो आज तक दूसरी रिपोर्ट बनी और न पुरना रिपोर्ट पर कोई ऐक्शन हो रहा है। 2017 में रिपोर्ट देने के बाद मुझे उत्तर प्रदेश से हटा कर चंदीगढ़ का प्रभारी बनाया गया था मैंने वहां की भी रिपोर्ट भेजी लेकिन कोई ऐक्शन नही हुआ। उत्तर प्रदेश में सरकार खुद सुन्नी वक्फ़ के घोटालों में शामिल है शिया वक्फ़ बोर्ड की कारस्तानियां जग जाहिर हैं सरकार के दलालों का आना जाना है।
बाबरी मस्जिद के बारे में आपका क्या कहना है क्योंकि वहां भी शिया वक्फ़ बोर्ड का भी गैर कानूनी दखल है ?
शिया वक्फ़ बोर्ड का वहां कोई दखल नहीं है क्योंकि 1946 में शिया वक्फ़ बोर्ड के चेयरमैन मौलाना कल्बे हुसैन साहब ने मेरे पर दादा सय्यद सिब्तेहुसैन के कहने पर यह पूरी ज़मीन जहां पर बाबरी मस्जिद है यह सुन्नी वक्फ़ बोर्ड को दिए जाने पर किसी तरह की कोई आपत्ती नहीं जताई थी और यह मामला सिटी सिविल कोर्ट के जस्टिस सुलतान के सामने ही 1946 में खतम हो गया था उस समय हशमत अंसारी साहब मुअज्जिन थे और उसी कमेटी में भी थे और बाबरी मस्जिद के बाहर चबूतरे पर निर्मुहे अखाडा का सीता जी का रसोई घर जहां पूजा अर्चना की जाती थी उसके बाद 1948 में कुछ लोगों ने बाबारी मस्जिद के अंदर मुर्तियां रख दी और उस पर विवाद करने वालों पर मामला दर्ज किया गया और मस्जिद की तालाबंदी 1948 में हो गई जिसको 1986 में कांग्रेस सरकार ने खुलवा दिया था उसके बाद इलाहाबाद में आरएसएस के नेता रज्जू भइय्या के नए नवेले दामाद मुख्तार अब्बास नकवी जैसे नेताओं ने वक्फ़ बाबरी मस्जिद को हटाने की एक योजना कार्यबद्ध किया जिसका नाम कारसेवा रखा और 1990 से राजनीती चमकाने के लिए यह सब वक्फ़ बाबरी मस्जिद के पीछे पड़ गए।
मुख्तार अब्बास नकवी के करीबी थे आप अब ऐसी कड़वाहट क्यों ?
मुख्तार नकवी मेरे दोस्त हैं और मैं उनको वक्फ़ घोटाले से बचाना चाहता हूं इसलिए समय समय पर उन्हें पत्र लिख कर आगाह करते रहता हूं क्योंकि मैं अपने दोस्त को किसी मुसीबत में फसते नहीं देख सकता। हुआ यह कि जब मैंने एंटीलिया बागे करीम यतीमखाना को वक्फ़ करार देने की पैरवी की तो मुख्तार नकवी साहब का फोन आना शुरु होगया और कहा कि जैनबिया इमामबाड़ा इमामबाड़ा नहीं है वह रिज़वी बिल्डर की पुश्तैनी ज़मीन है और एंटीलिया भी अंबानी की पुश्तैनी जमीन है। ऐसी बातों से मैं समझ गया कि मुख्तार अब्बास नकवी के इर्द गिर्द वक्फ़ माफया सक्रीय हैं और फिर भी इन्होंने इन दोनों मामलों के बार में अपना जो पक्ष रखा यह सेंट्रल वक्फ़ काउंसिल के पक्ष के विप्रीत है क्योंकि उन्होंने इन सारी प्रापर्टियों को वक्फ़ की जागीर बताया है तो इस झूट की वजह से मुख्तार नकवी के साथ मेरा अलग होना जरूरी है क्योंकि यह मामला मेरे घर का या मेरी जायदाद का नहीं बल्कि यह देश भर के गरीब , अनाथ , विधवा के अधिकारों का है जिसे मैं बर्दाश्त नही कर सकता इसलिए इस रिश्ते में दरारर पैदा होना लाज़मी है।
मुख्तार नकवी अंबानी के करीबी समझे जाते हैं तो ऐसे में एंटीलिया को लेकर उनकी भूमिका कैसे साफ़ होगी ?
एंटीलिया वक्फ़ है यह 2017 में राज्य सरकार के अधिकारी संदेश तड़वी के हलफनामे की रिपोर्ट से साबित हो जाता है 2005 में जब एंटीलिया बन रहा था तब महाराष्ट्र वक्फ़ बोर्ड के पूर्व सदस्यों ने फर्जी तरीके से कहा कि यह वक्फ़ नहीं है और उस वक्त मुख्तार नकवी ने और मुंबई आने जाने वाले कई लोग जो सेंट्रल वक्फ़ काउंसिल के सदस्य थे इन लोगों ने कुछ खास कार्रवाई नहीं की मुख्ताक नकवी ने उल्टा अपने लड़के अरशद नकवी को अंबानी के यहां नौकरी पर रख दिया। मुख्तार नकवी समेत तमाम मुस्लिम नेता जानते हैं कि ऐंटिया वक्फ़ है सोचते हैं समझते हैं लेकिन कभी भी प्रेस कांफ्रेंस में इस मुद्दे पर और मुकेश अंबानी पर बोलने से नई नवेली दुलहन की तरह शर्मा जाते हैं। इस शर्माने के पीछे उनके पुराने किरदार की गंध आती है इस केस को अलग से सुनवाई के लिए रखा गया है जिसपर कसी भी समय सीबीआई जांच हो सकती है।
वक्फ के मामलों को लेकेर जब आपने मुहिम छेड़ी तब क्या किसी तरह की धमकी दी गई ?
मुख्तार नकवी ने जैनबिया और इलाहाबाद के गुलाम हैदर इमामबाड़े के बारे में बोला था कि आपके ऊपर ऐंक्शन हो सकता है आप इस मामले से अपने आप को अलग कर लीजिए। इस तरह की यह धमकी थी उसके बाद से मैंने खुद यह फैसला लिया कि बीजेपी आरएसएस कांग्रेस या कोई पार्टी के सामने दब के काम नहीं करूंगा इसलिए जो कानूना का दाएरा है उसमें रह कर काम किया इसके लिए उनकी धमकी बेवकूफाना है जिसमें उन्होंने मुझपर ऐक्शन की बात कही।
अशीश शेलार आज कल वक्फ़ बचाव मुहिम में शामिल हैं ?
मुंबई के कई एमएलए हैं हमारी जितनी भी रिपोर्ट जैनबिया इमामबाड़े, एंटीलिया की जो भी है उसकी एक कापी उनको भी भेजी जाती है जैसा कि राहुल गाँधी, अरविंद केजरिवाल समेत सब को भेजते रहते हैं। अभी देखने को यह मिला है अख्तर हसन रिजवी यूपी शिया बोर्ड के सदस्य हैं पिछले पांच साल से उन्ही के घर में उनकी ही बनाई बिल्डिंग में अशीश शेलार रहते हैं और जैनबिया इमामबाड़े के केस में सीआईडी जांच अखतर हसन रिज़वी के ऊपर चल रही है और इमामबाड़े को तोड़ने को लेकर लगी रोक केस नंबर 14/2017 में वक्फ़ ट्र्युनल में विचाराधीन है और ऐंटीलिय का मामला वक्फ़ ट्र्युनल और मुबंई हाईकोर्ट में विचाराधीन है ऐंटीलिया के मालिक नीता अंबानी और मुकेश अंबानी मुंबई इंडियन क्रिकेट टीम के मालिक हैं और अशीश शेलार एमसीए के अध्यक्ष हैं इसमें कोई दो बात नहीं है कि कानूनी तौर पर रिश्तेदारी हैं लेकिन ऐसा देखने में आया है कि कई पार्टियां जिसमें बीजेपी के कई कद्दावर नेता आए हैं जिसका आयोजन किसी न किसी वक्फ़ माफिया ने किया है शेलार मार्केट रेट से भाड़ा लेने के लिए अगर रिकवरी प्रोसीजर चालू कराते हैं या दरगाह हाजी अली वक्फ़ बोर्ड में लाते हैं या नासिक की दूधारी मस्जिद की 55 एकड़ की जमीन के बारे में कुछ करते हैं या चितलांगे इंस्टिट्यूुट में सीआईडी जांच सीबीआई से कराते हैं या शतरंजीपुरा की जमीन जिसे औने पौने भाव में बेचा गया उसको लेकर किसी तरह की गंभीरता दिखाते हैं या ऐसा उन्होंने कभी किया हो तभी तो उन पर भरोसा किया जा सकता है नहीं तो हर मुहल्ले में एक दर्जन ड्रामेबाज गुंडे वक्फ की बात करते नजर आते हैं मैं समझता हूं कि वक्फ में आरएसएस या मौजूदा सरकार की दखल एक खतरे की घंटी है और इस ड्रामे के पीछे कुछ मोलवी डायरेक्टर की सोच को समाज आने वाले दो चार महीनों में बेनकाब करेगा और समाज को चाहिए कि आरएसएस के माफियाओं को वक्फ बोर्ड की मुहिम में न लाऐं नहीं तो उत्तर प्रदेश में वसीम रिजवी जैसे कारस्तानी की बदौलत महाराष्ट्र में भी वैसे ही हालाता हो जाऐंगे इसके लिए मोलवियों को आत्ममंथन की जरूरत है।
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