शाहिद अंसारी
मुंबई: अब जेल मे कैद कैदियों को मुफ़्त में नहीं मिलेगी सूचना के अधिकार अधिनियम के तहेत सूचनाऐं राज्य सरकार के ज़रिए जारी किए गए फरमान में कहा गया है कि जेल मे कैद कैदियों को मुफ्त में जानकारियां नहीं मिलेंगी जानकारियां नहीं मिलेंगी।अक्सर कैदियों की ओर से खुद को जेल में गरीबी रेखा के नीचे घोषित कर जानकारियां मुफ्त में मांगी जाती है जिसको लेकर राज्य सरकार ने इस मामले मे कड़ा रुख अपनाते हुए सरकुलर जारी किया है।
उप सचिव राजेंद्र जाधव ने अपने सरकुलर में कहा कि सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के किसी भी कानून में जेल के अंदर मौजूद कैदियों को मुफ्त में सूचना देने के लिए मना किया जाधव ने कहा कि जेल में मौजूद उन कैदियों को ही सूचना मुफ्त में मुहय्या कराई जाएगी जो जेल में जाने से पहले ही गरीबी रेखा से नीचे माने जाते है जिनकी महीने की कमाई 591 रूपए 75 पैसे है और उनके पास पीले रंग का कार्ड है।राज्य सरकार के इस सरकुलर की कॉपी हमारे पास मौजूद है।
जेल मे मौजूद कैदियों की कमाई को लेकर जेल के क़ैदी खुद को गरीबी रेखा से नीचे का मानते हुए सूचनाऐं मुफ्त मे मांगते हैं लेकिन राज्य सरकार के इस आदेश में कहा गया है कि वह जेल में रहकर खुद को गरीबी रेखा से नीचे घोषित नहीं करसकते क्योंकि जेल जाने से पहले अगर वह गरीबी रेखा के नीचे नहीं थे तो जेल के अंदर कैसे होसकते हैं।
न्याय विभाग और गृह विभाग इस बात को लेकर चर्चा कर रहै हैं कि जेल मे मौजूद कैदियों को क्या गरीबी रेखा से नीचे मानकर उन्हें मुफ्त मे सूचनाऐं प्रदान किया जाए या नहीं।उसके साथ साथ अंडर ट्रायल और दोषियों को जिनको जेल मे एक साल बीत गया है और वह पहले से ही गरीबी रेखा के नीचे हैं तो उनको एक साल के बाद जेल में जो मज़दूरी दी जाएगी वह बढ़ा के दी जाएगी।
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