शाहिद अंसारी
मुबंई : महाराष्ट्र सरकार के अंतर्गत काम करने वाला विभाग भाषा नें महाराष्ट्र ऐंटी करप्शन ब्युरो को पत्र लिखकर आगाह किया है कि इस विभाग की हर लिखावट मराठी में होनी चाहिए।भाषा की भाषा संचालिका डांक्टर मंजुशा कुलकर्णी नें कहा कि हम राज्य भर के उन सारे विभागों की जांच कररहे हैं और हमारे संज्ञान मे आने के बाद हम मराठी में उनकी लिखावट को लेकर उनको पत्र लिख रहे हैं। डांक्टर मंजुशा कुलकर्णी नें कहा कि मराठी भाषा को राज्य भाषा का दर्जा 1960 में ही दे दिया गया था लेकिन हर विभाग में इसका पालन नहीं किया जाता हाल ही में पिछले अधिवेशन में इसपर चर्चा की गई जिसके बाद इस बात पर जोर दिया गया कि जो भी विभाग हैं उन्हें पत्र लिख कर आगाह किया जाए।
इस पत्र के बाद महाराष्ट्र ऐंटी करप्शन ब्युरो नें भी अमल करते हुए उन सारी लिखावट में तब्दीली करनी शुरू करदी उनमें बिल्डिंग के बोर्ड से लेकर लेटर हेड और रबर स्टैंप तक शामिल हैं।
इसी तर्ज पर भाषा नें मुंबई विश्वविद्यालय के कुलगुरू को भी कहा है कि वह अपना बोर्ड इंग्लिश भाषा से हटाकर मराठी में लिखें ताकि राज्य भाषा के लिए जो कानून बनाया गया है उसपर अमल किया जासके।इसके साथ साथ भाषा ने महाराष्ट्र PWD और कामगार आयुक्तालय को भी पत्र लिखकर आगाह किया है कि वह अपने यहां मराठी भाषा के लिए बनाए गए कानून पर अमल करें।ताकि 1960 मे मराठी राज्य भाषा का जो नियम बनाया गया है उसका उल्लघन ना हो और हर राज्य की तरह महाराष्ट्र में भी राज्य भाषा का उपयोग ज्यादा से ज्यादा हो। भाषा की संचालिका डांक्टर मंजुशा कुलकर्णी नें जंता से अपील की है कि अगर किसी की नजर में इस तरह से की विभाग दिखाई दे जहां मराठी का उपयोग ना हो तो वह इसकी जानकीरी भाषा विभाग को दें।
Bombay Leaks से बात करते हुए भाषा की संचालिका डांक्टर मंजुशा कुलकर्णी ने कहा कि हम पूरे राज्य में सर्वे कररहे हैं और जो जो विभाग हमारी संज्ञान मे आते हैं हम उसे पत्र लिखकर आगाह कररहे हैं।और उन्हें राज्य भाषा मराठी का उपयोग करने के लिए कह रहे हैं।
लेकिन लंबे समय से मराठी के साथ साथ इंग्लिश के भी इस्तेमाल के बाद किसी भी विभाग की हर एक लिखावट को मराठी मे लिखने में तकरीबन एक करोड के आस पास का खर्च होगा अगर ऐंटी करप्शन की ही बात की जाए तो मुंबई स्तिथ मुख्यालय से लेकर राज्य भर की शाखाओं की हर लिखावट को मराठी मे लिखने मे तकरीबन एक कोरड का खर्च होगा।अब चूंकि राज्य सरकार का ही आदेश है तो इस पर राज्य सरकार को ही खर्च कपना पडेगा।और दूसरी सबसे बजी दिक्कत की अगर महाराष्ट्र ऐंटी करप्शन ब्युरो का पत्र किसी दूसरे राज्य को जाता है तो उस राज्य के अधिकारी मराठी मे लिखा पत्र कैसे पढेंगे।
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