शाहिद अंसारी
मुंबई : मुबंई पुलिस कमिश्नर के आहदे पर रहते हुए राकेश मारिया ने मुंबई के समता नगर इलाके में एक बिल्डर के लिए अदिवासियों की जमीन पर कब्जा करने के लिए बिल्डर के सामने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई।इस फटकार खाने वालों में तत्कालीन सीनियर पीआई समता नगर रवींद्र पाटिल समेत उनके वरिष्ठ आईपीस अधिकारी थे।सीपी का गुस्सा था कि दिनेश ट्रेडर्स के मालिक और बिल्डर किशोर शाह जो कि समता नगर इलाके में अदिवासियों के 50 घरों पर आधारित जगह पर अपना गैर कानूनी कब्जा जमाना चाहता था मौजूदा दौर में इस जगह कीमत पांच सौ कोरड के आसपास है।बिल्डर ने इस जगह पर अपना कब्जा बताते हुए अपना बोर्ड लगाना चाहा जिसके बाद स्थानी अदिवासियों ने इसे निकाल कर बाहर फेक दिया।जिसके बाद बिल्डर नें स्थानी पुलिस थाने समता नगर मे इसकी शिकायत दर्ज कराई।पुलिस ने मामले की छानबीन की तो पता चला कि यह जगह पर अदिवासियों की है जो कि 1967 से रह रहे हैं।इनमे से एक अदिवासी सें एक शख्स को एक जगह 99 साल की लीज पर लिया।1984 में लीज पर देने वाले अदिवासी की मौत होगई।लीज पर होने के बाद भी दिनेश ट्रेडर्स के ने इस जगह को लीज पर ले लिया और इस पर अपना मालिकाना हक जताने लगा दिनेश ट्रेडर्स के मालिक बिल्डर विमल शाह है।
इस लीज के बाद 1989 में अदिवासी संग्ठन ने राज्य सरकार को यह आवेदन दिया कि दिनेश ट्रेडर्स के लोगों ने उनको गुमराह कर के अदिवासियों की जगह खरीद ली।अदिवासियों ने इस बात को लेकर कानूनी प्रक्रिया जारी रखी राज्य सरकार ने जांच का आदेश दे दिया।यह जांच तहसीलदार को सौंपी गई आखिर अदिवासी प्रमाणपत्र दिखाने में असफल रहे फिर भी जांच में यह पाया गया कि जिस जगह पर वह हैं वह दिनेश ट्रेडर्स की नहीं है।इसी दौरान दिनेश ट्रेडर्स ने मौके का फिर फायदा उठाते हुए कोर्ट में अपील की उस दौरान कोर्ट ने यह आदेश दिया कि स्टेटस को मेंनटेंन किया जाए।कुछ दिनो बाद कोर्ट का यह आदेश भी हट गया और बिल्डर नें इसे छुपा कर रखा।2005 में अदिवासियों ने अपना अदिवासी प्रमाणपत्र लाए और अदिवासियों ने किसी दूसरे बिल्डर से मिलकर इस जगह को डेवलप करने के की कोशिश की और जगह का घेराव करने के के लिए चारों तरफ पतरे लगा दिए।अचानक पुलिस को काल आया कि इस जगह पर कोई पतरा लगा रहा पुलिस ने छानबीन की तो पता चला कि अदिवासियों ने अपनी ही जगह पर यह प्रक्रिया की इसलिए पुलिस ने किसी भी तरह की दखल नही दी।अचानक दिनेश ट्रेडर्स ने इसी जगह को लेकर पुलिस को शिकायत की यह जगह उनकी है और इसपर अदिवासियों ने कब्जा किया है।डीसीप प्रवीन पाटिल ने इस मामले की जांच समता नगर सीनियर पीआई रवींद्र पाटिल को सौंपी।पुलिस ने मामले की छानबीन कर अपनी रिपोर्ट में बताया कि यह सिविल मामला है और यह जगह अदिवासियों की है।इस रिपोर्ट से वरिष्ठ अधिकारी सहमत थे लेकिन राकेश मारिया सहमत नहीं थे। क्योंकि इस रिपोर्ट में यह जाहिर किया गया कि हजारों करोंडों की जगह पर अदिवासियों को खदेडकर बिल्डर जगह को हथियाने की कोशिश की और वह।
मारिया के गुस्से का शिकार सीनियर पीआई रवींद्र पाटिल
इसके बाद दिनेश ट्रेडर्स के मालिक विमल शाह ने पिछले साल 26 जुलाई को मुंबई सीपी राकेश मारिया की शरण मे जा पहुंचा।राकेश मारिया ने तुरंत बिल्डर के आदेश का पालन करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को जमकर फिटकार लगाई।इस फटकार खाने वाले तत्कालीन सीनियर पीआई समता नगर जांच अधिकारी समेत वरिष्ठ आईपीस अधिकारी भी मौजूद थे।सीनियर पीआई पाटिल को 15 दिन के लिए कंट्रोल अटैच करदिया गया।राकेश मारिया की भडास यहीं पूरी नहीं हुई उन्होंने बिल्डर की तरफ दारी करते हुए सीनियर पीआई के खिलाफ जांच बिठादी।और इस जांच की जिम्मेदारी मारिया ने अपनी कठपुतली क्राइम ब्रांच को सौंपी और उलटा अदिवासियों के खिलाफ ही FIR दर्ज करने का आदेश दे दिया।साल 2015 में अप्रेल महीने मे फिर सीनियर पीआई रवींद्र पाटिल को सीपी राकेश मारिया नें बुलाकर जमकर खरी खोटी सुनाई।क्योंकि जबरन FIR दाखिल करने के बाद भी बिल्डर अदिवासियों की जगह पर गैर कानूनी कब्जा करने मे नाकाम रहा राकेश मारिया चाहते थे कि पुलिस अदिवासियों से उनके आशियाने को छीनकर बिल्जिडर के हवाले करे ऐसा ना करने पर इसका खमियाजा सीनियर पीआई को इस शकल में भुगतना पडा।मुंबई पुलिस की बदली का समय आचुका था।राकेश मारिया खुद इस ट्राँस्फर टीम के हिस्सा थे।राकेश मारिया नें सीनियर पीआई को बिल्डर को खुश ना करने की वजह से दूसरा कारण बताकर नागपुर भेज दिया।ताज्जुब इस बात का कि तबादले के बाद तकरीबन 15 दिनों तक हर थाने के सीनियर पीआई उसी जगह पर रहे लेकिन तबादले के तुरंत बाद ही सीनियर पीआई रवींद्र पाटिल को नागपुर भेज दिया गया।पाटिल की 25 साल की सर्विंस में इस मामले नें उन्हें खून के आंसू रुला दिया।क्योंकि यहां कमिश्नर खुद एक बिल्डर पर मेहरबान थे इसलिए मारिया ने अपने ही अधिकारियों को बिल्डर के सामने जमकर जलील किया।मारिया नें सीनियर पीआई से लेकर उस इलाके से संबंधित सारे वरिष्ठ अधिकारियों को अपनी चेंबर में बुलाया और बिल्डर के सामने आरोपियों के जैसे खडा किया और जमकर फटकार लगाई।मारिया ने यहां तक कहा कि मैं तुम सब को सस्पेंड करदूंगा।ताज्जुब इस बात का कि इस मामले मे जहां राकेश मारिया नें सीनियर पीआई और सारे वरिष्ठ अधिकारियों को अपने चेंबर मे तलब किया वहीं इस मामले मे मारिया ने किसी भी अधिकारी को लिखित रूप से यह काम करने का आदेश नहीं दिया।ताकि खुद पर किसी तरह के आरोप से खुद बच सकें।और जरूरत पडी तो दूसरे पुलिस अधिकारियों की बली चढा दें।चूंकि यह मामला हजारों करोडो की जगह का है और यह जगह अदिवासियों की है।
सीनियर वकील आभा सिंह ने कहा कि किसी भी अदिवासी की जगह कोई बिल्डर कैसे खरीद सकता है या दावा करसकता है यह खुद एक अपराध है।ऐसे मौके पर खुद पूर्व कमिश्नर अगर पुलिस वालों को बिल्डर की तरफदारी करने के लिए दबाव बनाते हैं तो यह शर्म की बात है।अदिवासी ऐक्ट 1974 के अनुसार ना ही अदिवासियों की जगह खरीदी जासकती है और ना ही बेची जासकती है और अगर इस तरह से कोई भी करता है तो उसके खिलाफ पुलिस कार्रावाई का प्रावधान है।पुलिस का इस मामले में कोई दखल नहीं होना चाहिए पुलिस इन जगहों पर उसी समय दखल देसकती है जब न जगहों पर किसी तरह का माहौल खराब होरहा हो पुलिस को सिर्फ माहौल को बेहतर बनाने के लिए दखल देने की जरूरत है।
इस बारे में जब राकेश मरिया से बात की गई तो पहले तो मरिया ने कुछ भी कहने से इनकार किया लेकिन जब मामला बताया गया तो उन्होंने कहा यह सच्चाई नहीं है ।
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