मुंबई:माडल रेप केस मे DIG सुनील पारस्कर को आज मुबंई सेशन कोर्ट ने सारे मामलों से बरी कर दिया पारस्कर पर माडल ने आरोप लगाया था कि उसके साथ पारस्कर ने रेप किया जिसके बाद तत्कालीन मुबंई सीपी राकेश मारिया के आदेश के बाद मामले मे FIR दर्ज की गई और महाराष्ट्र डीजी ने पारस्कर को सस्पेंड करदिया।पारस्कर के खिलाफ मुंबई के विभिन्न पुलिस थानों में IPC की धारा 376,376 C,354 D तहेत मामला दर्ज कराया गया था।
महाराष्ट्र मे पहली बार किसी आईपीएस अधिकारी के खिलाफ दो महीनों के दौरान तीन संगीन मामले दर्ज किए गए इनमें रेप,धमकी,छेडछाड जैसे संगीन आरोप थे।लेकिन उस से भी बडी बात यह कि साल भर भी यह केस कोर्ट में नहीं चल सका और सुनील पारस्कर को इन सारे मामलो से बरी कर दिया गया।
माडल के जरिए 24 जूलाई 2014 को मालवानी पुलिस थाने में रेप की शिकायत दर्ज की गई उसके बाद 19 अगस्त 2014 को ही चेंबुर पुलिस थाने मेे धमकी की दूसरी शिकायत दर्ज कराई गई तीसरी FIR 20 सितंबर को चारकोप पुलिस थाने में पारस्कर के ही चारकोप स्तिथ घर के किराएदार ने कराई जो कि सोसाएटी में झगडा करता था जिसे सोसाएटी ने घर खाली करने की नोटिस भी दे दी थी।उस गुस्से में उसने पुलिस थाने में खुद को आईपीएस अधिकारी बताते हुए पारस्कर के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी जबकि वह बेरोज़गार था।तीनों मामले अलग अलग कोर्ट मे चल रहे थे लेकिन तीनों की वकील चित्रा सालुंखे ही थीं।पारस्कर के इस किरायेदार की जब छानबीन हुई तो पता चला की इससे पहले भी जहाँ किराये पर रहता था वहा उसका बरताव सही नहीं था सब से खास बात यह की उसने FIR खुद दर्ज नहीं करवाई बल्कि अपनी पत्नी से दर्ज करवा कर हमदर्दी बटोरने की कोशिश की चूंकि महिला का मामला देखते हुए पुलिस ने अपनी जान छुड़ाने के लिए FIR दर्ज करली।पारस्कर के खिलाफ दो और FIR इस लिए दर्ज कराई गयी थी की उनकी Anticipatory bail कैंसल हो जाये।
BOMBAY LEAKS से बात करते हुए सुनील पारस्कर ने कहा कि कोर्ट से बरी किए जाने के बाद अब वह राज्य सरकार से अपील करेंगे कि वह उन्हें विभाग में आने की इजाजत दें।क्योंकि उनके खिलाफ मुंबई पुलिस ने धडाधड जो FIR दर्ज की थी और संगीन आरोप लगाए थे वह कोर्ट में झूटे साबित हुए।हालांकि इसी साल 2016 के जनवरी महीने में पारस्कर का प्रमोशन भी है।पारस्कर का प्रमोशन पिछले साल ही होने वाला था लेकिन धडाधड हुई FIR होने की वजह से उन्हें सस्पेंड करदिया गया।इस साल की प्रमोशन लिस्ट मे पारस्कर का नाम है।अब सबकी निगाहें राज्य सरकार पर टिकी हुई हैं कि कोर्ट का फैसला आने के बाद आखिर पारस्कर की कब होगी विभाग में वापसी।
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