शाहिद अंसारी
नासिक : कोर्ट रूम में आम नागिरकों को नियम और कानून का हवाला दे कर मुबाइल फोन इस्तेमाल करने पर रोकने वाले कोर्ट कर्मचारियों को लेकर नासिक कोर्ट के न्यायधीश सूर्यकांत शिंदे ( प्रमुख जज ) ने फ़रमान जारी करते हुए कोर्ट कर्मचारियों के ज़रिए ड्युटी के दौरान मुबाइल फोन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है।यह फरमान केवल नासिक ज़िले की अदालतों के लिए जारी किया गया है।
फ़रमान के अनुसार उन्होंने लिखा है कि जब भी कोर्ट कार्रवाई शूरू होती है उस दौरान कोर्ट कर्मचारी नीचे बैठ कर व्हाट्सप और फेसबुक पर चोटिंग करते रहते हैं हालांकि उस दौरान वह सब को मुबाइल बंद करने के लिए कहते हैं।इस तरह से जब आम आदमी नियम का पालन करता है तो कोर्ट कर्मचारी आखिर क्यों उसका पालन नहीं करते।कोर्ट कर्मचारियों का यह माहौल देख कर आम नागरिकों के बीच में गलत संदेश जाता है जब नियम सब के लिए बराबर है तो कोर्ट कर्मचारियों को भी इस पर अमल करना चाहिए।
उन्होंने कोर्ट के अधिकारियों को आदेश दिया है कि ऐसे कर्मचारियों का कोर्ट कार्रवाई के दौरान मुबाइल चेक किया जाए और अगर यह पता चलता है कि कोर्ट की कार्रवाई के दौरान उन्होंने फोन पर फेसबुक , व्हाट्सप का इस्तेमाल किया है या उसके माध्यम से चेटिंग की है तो उनकी रिपोर्ट भेजी जाए जिसके बाद उनके खिलाफ़ कार्रवाई की जाएगी।
भले ही यह फरमान नासिक ज़िले की अदालतों के लिए है काश यही इसी तरह के फ़रमान राज्य की हर अदालतों के लिए हो हो सकता है कि हर अदालत के कर्मचारी कार्रवााई के डर से इस कानून का पालन करते।हालांकि इस से पहले मुंबई पुलिस ने भी अपने पुलिस कर्मचारियों के लिए भी इसी प्रकार का फ़रमान जारी किया था लेकिन वह रद्दी की टोकरी की नज़र हो गया इसलिए कोर्ट के साथ साथ पुलिस विभाग को भी इस पर सोचने और इसे फिर से लागू करने पर विचार करना चाहिए।
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