शाहिद अंसारी
मुंबई: पनवेल स्थित कालसेकर कॉलेज में बैचलर ऑफ़ आर्किटैक्चर का कोर्स करने वाले उन क्षात्रों की उम्मीद पर उस वक्त पानी फिर गया जब मुंबई विश्वद्यालय ने उन्हें फेल कर दिया।उम्मीद पर पानी इस लिए फिर गया कि जूरी सदस्यों के ज़रिए उन्हें यह सूचना दी गई थी कि वह पास हो गए हैं लेकिन मुंबई विश्वविद्यालय की ओर से जब रेज़ल्ट आया तो वह तीनों लोग फेल हो गए जिन्हें जूरी सदस्यों ने पास होने की बधाई दी थी।
दरअसल इसके पीछे जूरी सदस्यों से बहुत बड़ी चूक हुई है जिसकी वजह से तीनों छात्र फेल हो गए हैं।28 अप्रैल 2017 को जूरी सदस्यों के ज़रिए इन तीनों छात्रों को जिनके नाम बॉम्बेवाला मुहम्मद हसन मुहम्मद यूसुफ़ सलमा है जिन्हें 50 में से 32 नंबर दिए गए और पावस्कर रमीज़ इम्तियाज़ मकसूदा को 50 में 30 नंबर मिले जबकि सय्यद नवरीन जहीर आरिफ़ा को 50 में 25 नंबर मिले।इतने नंबर मिलने के बाद सोचने वाली बात यह है कि आखिर इन छात्रों को मुंबई विश्वविद्यालय ने किस आधार पर फेल किया।यह कारण जान कर आप को हैरानी जरूर होगी लेकिन सच्चाई जानना बेदह जरूरी है।
जानकारी में यह बात पता चली कि जूरी सदस्यों ने तीनों छात्रों को 50 में से जो नंबर दिए वह बेहतर नंबर दिए लेकिन मुंबई विश्वविद्यालय की ओर से यह नंबर 100 में देने थे तो अब जाहिर सी बात है कि 100 में यह सारे नंबर फेल की श्रेणी में आते हैं क्योंकि 100 नंबर में से पास होने के लिए कम से कम 34 नंबर पाना अनिवार्य है जिसकी वजह से तीनों छात्र पास होते हुए भी फेल हो गए।छात्रों ने इस मामले को देख जूरी सदस्यों से संपर्क किया जिसके बाद उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की और मुंबई विश्वविद्यालय को यह पत्र भेजा कि उन्होंने अधिकतम नंबर 50 समझ कर इन छात्रों को यह नंबर दिए उन्हें इस बात की जानकारी ही नही थी कि इस विषय में अधिकतम नंबर 100 है इसलिए जूरी ने जिसे अधिकतम नंबर 50 समझ कर छात्रों के बेहतर नंबर दे कर पास किए वह पास होते हुए भी फेल होगए।
कालसेकर कॉलेज और जूरी सदस्यों ने मुंबई विश्वद्यालय को यह पत्र लिख कर आगाह किया कि छात्रों को जो नंबर दिए गए वह उनकी गलती से अधिकतम नंबर 100 की जगह 50 समझ कर दिया गया है लेकिन मुंबई विश्वद्यालय जूरी सदस्यों की इस गलती को सुधारने के बजाए आना कानी कर रही है।
इस बारे में कालसेकर कॉलेज की आर्किटैक्चर डिपार्टमेंट की प्रमुख सपना से बात की तो उन्होंने कहा कि यह ख़बर लिखने के जैसा नहीं है और इस पर वह किसी तरह की टिप्पणी नहीं करेंगी।
हमने इस बात को लेकर जूरी सदस्य प्रोफेसर अनिल नंन्देड़कर से बात की और पूरे मामले की वजह जाननी चाही जिसके जवाब मे उन्होंने कहा कि चूंकि यह विषय नया था और नंबर को लेकर गलतफहमी पैदा हो गई जिसकी वजह से मुंबई विश्वविद्यालय छात्रों को फेल कर दिया लेकिन इस मामले को लेकर वह लगातार कोशिश कर रहे हैं और जो गलती हुई है उसे जल्द ही सुधारा जाएगा कल वह मुंबई विश्वविद्यालय खुद जाऐंगे और जिन छात्रों को फेल किया गया है उन्हें 100 नंबर के हिसाब से नंबर दिए जाऐंगे।
इस बारे में एक पीड़ित छात्र के पिता यूसुफ़ बॉम्बेवाला ने बात करते हुए बताया हमारे बच्चे योग्य होते हुए भी फेल घोषित कर दिए गए जिसकी वजह से उनमें मायूसी पाई गई है क्योंकि उनके फेल होने की वजह से और उस गलती को सुधारने में जो जूरी सदस्यों के ज़रिए हुई है उसमें काफी समय लग रहा है हालांकि हमने मुंबई विश्वविद्यालय में भी इस गलती को सुधारने के लिए चक्कर काटे लेकिन उनका रवय्या बेहतर नहीं था।
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