शाहिद अंसारी
मुंबई:अगर आप अनपढ़ और जाहिल हैं तो आपको घबराने की ज़रूरत नहीं महाराष्ट्र उर्दू साहित्य अकैडमी के दरवाज़े आपके लिए खुले हैं आपको यहां सदस्यता मिल सकती है ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि आरटीआई से हुए एक खुलासे में इस बात का पता चला है कि यहां की सदस्यता पाने के लिए पढ़ा लिखा होना ज़रूरी नहीं है।आरटीआई से जानकारी मांगी गई थी कि इसकी सदस्यता के लिए आवेदक की शैक्षणिक योग्यता के लिए क्या नियम और शर्तें हैं जवाब में यह पता चला कि इसकी सदस्यता के लिए किसी तरह की कोई शर्तें सरकार ने नहीं बनाई।सदस्यों की इस फ़हरिस्त में पहले नंबर की सदस्य कमरुन्निसा सईद हैं जानकारी में यह बात पता चली है कि वह चौथी पास हैं।
महाराष्ट्र उर्दू साहित्य अकैडमी में शैक्षणिक योग्यता से ज़्यादा चाटुकारिता को अहमयित दी गई है और चाटुकारिता के इस अखाड़े में उन चाटुकारों को सदस्य बनाया गया है जिसने सरकार की जम कर चाटुकारिता की है।अकैडमी में सदस्य बनने के लिए किसी तरह की पढ़ाई या शैक्षणिक योग्यता की ज़रूरत नहीं है ऐसा खुलासा खुद उर्दू साहित्य अकैदमी ने किया है।
कौन कौन होता है सदस्य
अल्पसंख्यक विकास के मंत्री इस कमेटी के अध्यक्ष होते हैं जबकि राज्य मंत्री उसके उपाध्यक्ष होते हैं और प्रधान सचिव,उप सचिव भी इसके सदस्य होते हैं।उसके अलावा 11 गैर सरकारी लोग इसके सदस्य होते हैं।
गैर सरकारी सदस्य कौन हैं
21 जनवरी 2015 को जिन गैर सरकारी सदस्यों को नियुक्त किया गया है उनमें जलगांव के रहने वाले रऊफ़ खान हैं जिनकी हाल ही में हार्ट अटैक से मौत होगई है,कमरुन्निसा सईद मुबंई की रहने वाली हैं और यह उर्दू टाइम्स अखबार के मालिक सईद अहमद की पत्नी हैं,रफीक शेख,एजाज़ फातिमी पाटणकर,बीड़ की रहने वाले काज़ी हफीजुद्दीन,जलगांव के ही शेख हनीफ़, जलगांव के रहने वाले असलम तन्वीर कवी,गडचिरोली के रहने वाले अब्दुल मजीद,यवतमहल के रहने वाले मसूद एजाज़, बुलडाना के रहने वाले अज़ीम राही,सोलापुर के रहने वाले फारूक सय्यद हैं।
कौन कितना पढ़ा है
दरअसल उर्दू साहित्य अकैडमी का अद्देश्य ही यही है कि इस विभाग के ज़रिए उर्दू को लेकर विकास के कार्य किए जाऐं राज्य भर में जगह जगह उर्दू के विकास को लेकर जागरुकता अभियान चलाया जाए लोगों में उर्दू भाषा और उर्दू भाषियों को उर्दू की शिक्षा को लेकर उनमें जम जागृति फैलाई जाए।लेकिन चौंका देने वाली बात यह है कि इनमें कुछ ऐसे लोग हैं जो ज़्यादा पढ़े लिखे नही हैं लेकिन जैकपॉट और पक्षपात करते हुए उन्हें उर्दू साहित्य अकैडमी में बतौर सदस्य नियुक्त किया गया है जानकारी में इस बात का पता चला है कि उर्दू टाइम्स के मालिक सईद अहदम की पत्नी कमरुन्निसा सईद चौथी पास हैं वह सदस्यों की फहरिस्त में पहले नंबर पर हैं।अब जब पहले नंबर का यह हाल है तो बाकी कौन कितना पढ़ा है इस बारे में क्या कहा जासकता है। उर्दू साहित्य अकैडमी के जन सूचना अधिकारी फा.पठान ने कहा कि सदस्यों की नियुक्ती के लिए किसी तरह की नियम और शर्तें नहीं बनाई गई हैं उनमें शिक्षा भी शामिल है उसके लिए भी किसी तरह की कोई शर्त नहीं है।
कमरुन्निसा सईद मात्र चौथी पास हैं और इस बात को लेकर उर्दू भाषियों मे काफी नाराज़गी भी पाई जा रही है क्योंकि ऐसे बहुत से लोग हैं जो इस अकैडमी के योग्य हैं लेकिन पावर और जैकपाट और चाटुकारिता कर ऐसे ऐसे लोग इस अकैडमी के सदस्य बन गे हैं जो कि उर्दू के लिए उतने ही हानिकारक हैं जितना समुंद्र की स्तर पर तैरता हुआ तेल।क्योंकि इन सदस्यों को उर्दू के विकास या उद्धार की फिकर से कहीं ज्यादा अपना कद और अपना कालर टाइट कर उर्दू अकैडमी की आड़ से खुद को चमकाने से फुरसत नहीं है।
मुबंई विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के प्रोफेसर डाक्टर साहेब अली ने कहा कि “ यह बहुत ही हैरान कर देने वाली बात है कि राज्य सरकार का जवाब कि उर्दू साहित्य अकैडमी की सदस्यता के लिए किसी तरह की शैक्षणिक योग्या की ज़रूरत नहीं है और इसके लिए किसी तरह के नियम और कानून नहीं है ऐसी अहम जगह अगर कोई पढ़ा लिखा नहीं तो वह विकास कैसे करेगा विकास के लिए कम से कम उस भाषा का जानकारी और और पढ़ा लिखा सदस्य होना ज़रूरी है।सरकार को चाहिए पहले ऐसे लोगों को इस सदस्यता में शामिल किया जाना चाहिए जो लंबे समय से उर्द की सेवा कर रहे हैं अगर सरकार को ऐसा कोई नही मिलता तो उन्हें ऐसे लोगों को अहमियात देनी चाहिए और उर्दू की सेवा करने वाले उर्दू के जानकार पढ़े लिखे लोग बहुत हैं वह अलग बात है कि सरकार ने उन्हें अहमियत न देकर पावर पहुंच और असर-व-रुसूख रखने वालो को जगह दी है । ”
आठवीं पास कांग्रेस एमएलए और पूर्व मंत्री आरिफ नसीम खान ने कहा कि “ यह बहुत ही चौंका देने वाली बात है इस तरह के नियम में बदलाव लाना चाहिए और नियम बनाना चाहिए और जो सदस्या हैं उनके लिए शिक्षणिक योग्यता अनिवार्य करना चाहिए और उर्दू की जानकारी का होना ज़रूरी है क्योंकि अगर अनपढ़ लोग सदस्य रहेंगे तो उर्दू का विकास कैसे होगा। ”
RTI से मिली जानकारी जिसमें सदस्य के लिए कोई नियम और शर्त नहीं है
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