शाहिद अंसारी
थाने : शहापुर में ओपन प्लाट बेचने के नाम पर 300 लोगों के साथ 300 करोड़ से भी ज्यादा की ठगी करने वाली कंपनी दिशा मार्कटिंग और कृष्णा कंस्ट्रोवेल कंपनियों के खिलाफ़ शहापुर की स्थानी अदालत ने जांच के आदेश दिए हैं यह जांच स्थानी पुलिस थाने शहापुर को 2 जनवरी को सौपनी होगी जिसके बाद कोर्ट यह फैसला लेगी की ओपन प्लाट बेचने के नाम पर 300 लोगों के साथ ठगी करने वाली दोनों कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए या कोर्ट के ही आदेश पर कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी। कोर्ट के इस आदेश के बाद पन प्लाट खरीदने वाले तकरीबन 15 लोगों ने शहापुर पुलिस थाने पहुंच कर संबंधित कंपनियों के खिलाफ़ अपना बयान दर्ज करवाया है। खरीदार विजय जोशी ने बताया कि
कोर्ट ने जांच का आदेश एक महीने पहले दिया है लेकिन स्थानी पुलिस का शुरु से हमारे साथ जो रवय्या रहा है वह बहुत ही घटिया था। पुलिस ने हमारी किसी तरह की कोई मदद नही की जिसके बाद हमें कोर्ट की दहलीज़ पर दस्तक देनी पड़ी हमें उम्मीद है कि हमें यहां न्याय मिलेगा और चीटर कंपनियो के खिलाफ़ मामला दर्ज होगा और उनपर सख्त कार्रवाई होगी।
शहापुर इलाके में अगर आप बंगले का सपना देख कोई ज़मीन या ओपन प्लाट खरीदने का मन बना रहे हों तो पहले होशियार रहें क्योंकि हम जो खबर लिखने जा रहे हैं उससे आपके सपने चूर चूर हो सकते हैं क्योंकि लाखों रूपए खर्च कर बंगले का सपना देखते हैं लेकिन प्लाटिंग बेचने का काम करने वाली कंपनियां आपको कब चूना लगा दें इसका कोई भरोसा नहीं क्योंकि 300 लोग इस धोखाधड़ी का शिकार हो चुके हैं।
मुंबई से तकरीबन 90 किलोमीटर दूर शहापुर इलाके की जहां 300 लोगों ने बंगले का सपना देख करोड़ों रूपए लगा दिए लेकिन अब वह खून के आंसू रो रहे हैं।कुछ ही दिन पहले दो कंपनी जो कि प्लाटिंग का काम करती हैं जिनमें दिशा मार्कटिंग और कृष्णा कंस्ट्रोवेल नाम की कंपनियों ने वेलनेस सिटी नाम के प्रोजेक्ट को लेकर 2011 में लोगों को सब्ज़ बाग दिखाए जिसके बाद 300 लोगों ने शाहपुर में ओपन प्लाटिंग की खरीदारी की। इस खरीदारी के साथ संबंधित कंपनी ने कई बुनियादी स्विधाओं को देने का वादा किया जिनमें बुनियादी ज़रूरतों के साथ साथ प्लाट को बिजली,पानी रोड,रिसार्ट देने की बात की गई थी। आलम यह रहा कि आज तक लोग उन स्विधाओं से वंचित रहे।
संबंधित कंपनी ने 2013 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का वादा किया था लेकिन यह मात्र लॉलीपॉप था लोगों के सपने पर पानी तब फिरा जब लोग बोल बोल कर थक गए क्योंकि किसी को पता ही नहीं था कि उनका प्लाट कौन सा है जिसे उन्होंने खरीदा है। इस बात को देख खरीदारों ने 10 जनवरी 2016 में दिशा मार्कटिंग और कृष्णा कंस्ट्रोवेल कंपनी के साथ इस बात को लेकर मीटिंग की। कंपनी ने इस बात का रोना रोया कि उनके पास पैसों का किल्लत है और दी गई सारी ज़रूरतों को वह पूरी करेंगे उन्होंने यह लिखित रूप से स्वीकार किया। कंपनी ने ग्राहकों से लिखित रूप से इस बात का वादा किया था कि वह 1 अप्रेल 2016 के बाद उनके पास पैसे आने वाले हैं जिसके बाद वह किए गए वादे को पूरा करेगें और 15 अगस्त 2016 तक पूरा काम खतम कर देंगें।इस वादे के बाद लोगों की फिर एक बार उम्मीद जाग गई लेकिन यह मात्र एक लॉलीपॉप था जिसका अंदाज़ा खरीदारों को था ही नहीं। मीटिंग के बाद भी किसी तरह का काम पूरा नहीं हुआ और इस दौरान संबंधित कंपनी के पास 8 करोड़ रूपए आए जिसे उन्होंने दूसरे प्रोजेक्ट मे लगा दिया और जिन लोगों को आस थी उन्हें फिर बेवकूफ बना दिया।इस दौरान 14 मई 2016 को लोगों ने स्थानी पुलिस थाने शाहपुर थाने में दस्तत दी कई लोगो के पुलिस थाने में बयान दर्ज किए गए इनमें खरीदार एडोक्ट भावेश परमार भी थे उन्होंने कहा कि
जिस तरह से हमारे साथ साथ 300 लोगों के साथ धोखाधड़ी और हमारे भरोसे को ठेस पहुंचाया गया इस बात को लेकर हमने सीनियर पीआई संजय धुमाल से संपर्क किया लेकिन उन्होंने किसी तरह की सहायता नहीं की। हमने कई बार पुलिस थाने के सीनियर पीआई को इस बात को बताया पहले तो उन्होंने बहुत जोश दिखाया कि मामला दर्ज किया जाएगा बाद में जोश ऐसा ठंडा हो गया इसलिए हमने इस मामले में संबंधित एस.पी थाने ग्रामीण महेश पाटिल से शिकायत कर ममाले से आवगत कराया था ताकि 300 लोगों से धोखाधड़ा करने वाली कंपनियों पर जल्द ही शिकंजा कसेगा।हमने कोर्ट का सहारा लिया है अब यह अपनी रिपोर्ट 2 जनवरी को कोर्ट में जमां करेंगे या नहीं।
दरअसल शहापुर पुलिस थाने के अंतर्गत संबंधित कंपनी के कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं इसलिए शाहपुर पुलिस थाने में इस कंपनी के खिलाफ़ जब तक वरिष्ठ अधिकारियों का डंडा नहीं पड़ता तब तक इस कंपनी के खिलाफ़ किसी तरह के मामले दर्ज करने में पुलिस आना कानी करती है आलम यह है कि इसी कंपनी पर मौजूद कई और लोगों के बंगले हैं जहां घर तोड़कर चोरी की गई है जिसके बाद स्थानी पुलिस थाने नें मामला भी दर्ज किया। सम्बंधित कंपनी इस तरह की लापरवाही इस लिए कर रही है कि लोगों ने जो पैसे दिए इसके लिए वह चुप चाप बैठे रहें और इसी प्लाट को कंपनी किसी दूसरे लक्ष्य के लिए उपयोग कर ले।लेकिन 300 लोगों ने भी यह ठान लिया है कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा वह लड़ाई जारी रखेंगे।
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