शाहिद अंसारी
मुंबई: आज़ाद मैदान दंगा के 5 साल पूरे हो जाने के बाद भी मुख्य नामज़द आरोपी श्री मुईन अशरफ़ उर्फ़ बंगाली बाबा समेत किसी के खिलाफ़ अब तक ठोस कार्रवाई न होने को लेकर मुंबई पुलिस हवलदार सुनील भगवंतराव टोके मुंबई हाई कोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दाखिल करेंगे और पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग करेंगे।टोके मुंबई के वरली पुलिस इलाके मे रहते हैं उनका बक्कल नंबर 24004 है।
Bombay Leaks से बात करते हुए टोके ने कहा कि Bombay Leaks में प्रकाशित और आईबीएन लोकमत में प्रसारित ख़बर जिसमें बताया गया है कि आज़ाद मैदान दंगों का आरोपी श्री मुईन अशरफ़ उर्फ़ बाबा बंगाली 5 साल बाद भी आज़ाद घूम रहा है यह बात सुन कर उन्हें बहुत तकलीफ़ हुई क्योंकि 50 से ज्यादा पुलिस वालों को जहां दंगाइयों ने पीटा और सरकारी सम्पत्ति का नुकसान हुआ है जिसकी आज तक बरपाई नहीं की गई और आज भी मुख्य आरोपी आजाद घूम रहें हैं यह बहुत ही अफसोस की बात है कि इस मामले में तत्कालीन सरकार से वोट बैंक की साठगांठ कर बंगाली बाबा समेत वह सारे आरोपी आजाद घूम रहे हैं। इसलिए मैं जल्द ही मुंबई हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कोर्ट से इस मामले की गुहार लगाऊंगा कि आज़ाद मैदान दंगे की सीबीआई से जांच कराई जाए और बंगाली बाबा समेत उन सारे आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ़ कार्रवाई की जाए।टोके ने कहा कि जब पंचकुला के राम रहीम बलात्कारी बाबा पर 15 साल बाद कार्रवाई हो सकती है तो बंगाली बाबा के खिलाफ़ 5 साल क्यों कार्रवाई नहीं हुई ?वाई नहीं हुई जब पंचकुला के राम रहीम बलात्कारी बाबा पर 15 साल बाद कार्रवाई हो सकती है तो बंगाली बाबा के खिलाफ़ 5 साल क्यों कार्रवाई नहीं हुई ?
ध्यान रहे कि आजाद मैदान दंगों का आरोपी तथाकथित स्वंय घोषित धर्मधुरंधर तोड़ु-ए-नागपाड़ा श्री मुईन अशरफ़ उर्फ़ बाबा बंगाली ने यह माहौल बनाया था कि उसका नाम दंगों की लिस्ट से उसने अपनी पावर और असर-व-रुसूख से गायब करवा दिया है लेकिन 11 अगस्त को Bombay Leaks ने इस झूट से पर्दा उठा दिया और चार्जशीट की कापी प्रकाशित कर यह साबित किया कि बंगाली का नाम आज भी मुख्य आरोपियों की पहरिस्त मे आरोपी नंबर 7 की जगह है जिसे बंगाली पिछले 5 साल से हटाने में नाकाम साबित हुआ।
11 अगस्त साल 2012 को मुंबई के आज़ाद मैदान दंगे को अंज़ाम दिया गया इस दंगे को अंजाम देने के लिए धर्म के तथाकथित ठेकेदार और तथाकथित मुस्लिम नेताओं ने ठेकेदारी ली थी।जिसके बाद समाज के ठेकेदारों की अपील के बाद मुस्लिम युवकों को बरमा और म्यांमार की फोटो वीडियो दिखा कर जम कर उत्पाद करने के लिए उकसाया गया और उन्होंने इन ठेकेदारों की नापाक मंशा को अंजाम देने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।मामले में मुबंई के तत्कालीन आज़ाद मैदान सीनियर पीआई दीपक ढोले की शिकायत पर आईपीसी की धारा के तहेत हत्या, दंगा भड़काने , सरकारी संपत्ती को नुकसान पहुंचाने,महिला पुलिसकर्मियों के साथ छेड़छाड़ करने के साथ साथ 20 से ज्यादा धाराओं के तहेत 4017 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी।इन 4017 लोगों में 17 लोगों के खिलाफ़ नामज़द FIR दर्ज की गई थी।मामले की गंभीरता को देख जांच के लिए मुंबई क्राइम ब्रांच को नियुक्त किया गया।इस पूरी घटना को लेकर 1000 से भी ज्यादा लोगों की गवाही रिकार्ड की गई इनमें मुंबई पुलिस के अदना से आला पुलिसकर्मियों और वरिष्ठ अधिकारियों के बयान कलमबंद किए गए।
क्राइम ब्रांच की जांच के चार महीने बाद ही इस मामले में 3384 पृष्ठों का आरोप पत्र दाखिल किया गया जिसमें 57 लोगों को आरोपी बनाया गया था।गैर सरकारी संगठन मदीना-तुल-इल्म के महासचिव रजा को हत्या, साजिश, दंगा भड़काने, सार्वजनिक एवं निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने तथा अवैध रूप से सभा आयोजित करने का आरोपी बनाया गया ।इस मामले में चार्जशीट दाखिल होने तक 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया।इनमें से चार आरोपियों को महिला पुलिसकर्मियों के साथ छेड़छाड़ का आरोपी बनाया गया।आज़ाद मैदान में भीड़ को इकट्ठा करने के लिए मुंबई और आस पास के इलाकों में जुमा के दिन मस्जिदों में एलान किया गया था ताकि ज्यादा से ज्यादा भीड़ इकट्ठा की जासके और इस भीड़ का अदाज़ा मुंबई पुलिस को बिल्कुल भी नहीं था यहां तक कि पुलिस को यह तक नहीं पता चल सका कि इस रैली की फंडिग कहां से हुई थी।भड़की हिंसा में दो लोग मारे गए थे और 65 से अधिक घायल हो गए थे।इसमें 2.72 करोड़ रुपये की सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ था।पुलिस ने आजाद मैदान हिंसा के करीब चार महीने बाद इस मामले में रैली के आयोजक मौलाना अहमद रजा को गिरफ्तार किया था।मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उन्होंने जब मामले की जांच की तो कई लोगों से यह पता चला कि बंगाली बाबा ने भी एलान किया था कि आजाद मैदान में भारी संख्या में पहुंचे।
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