मुंबई:लखन भैय्या मामले में राज्य सरकार ने उन सारे पुलिस कर्मियों की सजा 6 महीने के लिए स्थागित करदी है।उनके नाम कैदी नंबर सी-6089-दिलीप सीताराम पालांडे, कैदी नंबर सी-6094-नितिन गोरखनाथ सरतापे, कैदी नंबर सी-6095 गनेश अंकुश हारपुडे, कैदी नंबर सी-6086-आनंद बालाजी पाताडे, कैदी नंबर सी-6085-प्रकाश गनपत कदम, कैदी नंबर सी-6097-देवीदास गंगाराम सकपाल, कैदी नंबर सी-6087-पांडुरंग गनपत कोकम, कैदी नंबर सी-6083-रत्नाकर गौतम कांबले,कैदी नंबर सी-6096-संदीप हेमराज सरदार, कैदी नंबर सी-6082-तानाजी भाऊसाहेब देसाई, कैदी नंबर सी-6088 विनायक बालासाहेब शिंदे है।
राज्य सरकार ने इसके साथ साथ जो आदेश जारी किए वह यह हैं कि कोर्ट की ओर से लखन भैय्या फर्जी इंकाउंटर मामले में जो गवाह बनाए गए हैं उन गवाहों से या लखन भैय्या परिवार से किसी तरह से कोई संपर्क नहीं करना या उन परिवार वालों पर किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाना उसके साथ साथ बाहर आने के बाद अपना बरताव बेहतर रखना होगा ऐसा किसी भी तरह का कोई भी गैर कानूनी काम नही करना इसके साथ साथ दोषियों को किसी भी तरह के लाएसेंसी हथियार भी इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है अगर किसी के पास है तो वह उसे पुलिस थाने मे जमा करे और अपने पास्पोर्ट भी जमा करे।इस दौरान किसी को अगर धर्म परिवर्तन करना हो या नाम बदलना हो तो उसे राज्य सरकार से इजाजत लेनी पडेगी साथ में अपने कागजात स्थानी पुलिस थाने में जमां करने होंगे।दोषी पुलिस वाले इस 6 महीने के दौरान किसी भी कोर्ट मे नहीं जा सकते।चूंकि इस मामले की सुनवाई मुंबई हाईकोर्ट में चल रही है अगर इस दौरान हाईकोर्ट का फैसला इन सब के खिलाफ आता है तो यह आदेश रद्द होजाएगा।
राज्य सरकार की तरफ जारी किए गए स्थागित पत्र में लिखा है कि अगर दोषियों ने इन शर्तों का उल्लघन किया तो उनके स्थागित का यह आदेश तुरंत रद्द होजाएगा।
साल 2006 में हुए इस फर्जी एनकांउटर मामले में अदालत ने 21 लोगों को दोषी ठहराया था।जबकि एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को बरी कर दिया गया।उल्लेखनीय है कि 11 नवंबर 2006 की शाम को पुलिस ने दावा किया था कि अंधेरी के नाना नानी पार्क के पास उन्होंने खूंखार गुंडे (राम नारायण गुप्ता ऊर्फ लखन भैया) को मुठभेड़ में मार गिराया।लेकिन दूसरे दिन ही लखन के भाई राम प्रसाद गुप्ता ने प्रेस के सामने दावा किया कि उनका भाई मुठभेड़ में नहीं मरा है बल्कि उसे नवी मुंबई से अगवाकर पहले मुंबई ले जाया गया बाद में हत्या कर एनकाउंटर की फर्जी कहानी गढ़ी गई।
सुबूत के तौर पर राम प्रसाद गुप्ता ने वे फैक्स और टेलीग्राम दिखाए जो उन्होंने दोपहर में लखन के अगवा होने के तुरंत बाद पुलिस आयुक्त को भेजे थे। उसमें उन्होंने फर्जी एनकाउंटर का अंदेशा भी जताया था। लखन के परिजनों की आवाज अनसुनी रह जाती अगर उनका भाई वकील नहीं होता। राम प्रसाद ने अदालत का दरवाजा खटखटाया मामले की जांच हुई। जांच में पुलिस की कहानी गलत साबित हुई लिहाजा हाईकोर्ट नें डीसीपी की अगुवाई में एसआईटी बनाकर जांच का आदेश दिया था।
एसआईटी ने पुलिसवालों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू की और तत्कालीन एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा, सीनियर पीआई प्रदीप सूर्यवंशी सहित कुल 14 पुलिसवालों को गिरफ्तार कर लिया गया। जांच मे पता चला लखन भैया की हत्या एक सुपारी कीलिंग थी जो लखन के ही पार्टनर जनार्दन भानगे ने दी थी।
कहानी में एक और पेच तब आया जब मामले का अहम गवाह अनिल भेडा गवाही से ठीक पहले अचानक गायब हो गया। महीने बाद उसकी लाश जली हालत में वाडा के एक फार्म हाउस में मिली। दरअसल 11 नवंबर को जब लखन को नवी मुंबई से अगवा किया गया था तब उस समय अनिल भेडा भी मौजूद था। पुलिस ने उसे महीनों तक बंदी बनाकर पहले अंधेरी फिर कोल्हापुर में छिपा रखा था।
अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन के सहयोगी राम नरायण गुप्ता उर्फ लखन भैया फर्जी मुठभेड़ मामले में मुंबई की सेशन कोर्ट ने 13 पुलिसकर्मियों समेत 21 लोगों को दोषी करार दिया था।
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