मुंबई : मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया के प्रमोशन के बाद मुंबई पुलिस कमिश्नर की पोस्ट में फेर बदल कर अहमद जावेद की नियुक्ति होना ऐसा पहली बार हुआ है हालांकि राकेश मारिया को प्रमोशन देने को लेकर यह कयास लगाया जारहा है कि शीना हत्या कांड को लेकर जिस तरह से मारिया ने दिलचश्पी दिखाई उससे राज्य सरकार को मारिया के बारे में सोचना पडा लेकिन हकीकत बिल्कुल इसके उलटी है।
दर असल जब अहमद जावेद की नियुक्ति होनी थी उस समय सीपी राकेश मारिया ने बाजी मारली थी क्योंकि राकेश मारिया को मुंबई सीपी बनाने की जिद शरद पवार की थी।हलांकि इस योग्य अहमद जावेद थे लेकिन उन्हें साइड कर मारिया के हाथों मुंबई सीपी की बागडोर सौंप दी गई।
अहमद जावेद की जिंदगी का सब से दुखी दिन था क्योंकि वह इस योग्य होते हुए भी मुंबई पुलिस कमिश्नर की कुर्सी तक पहुंचने के बाद भी पुलिस कमिश्नर नहीं बन सके क्योंकि यहां काबलियत से ज्यादा स्यासी दखल को अहमियत दी जारही थी।शरद पवार ने अपने स्यासी दांव पेंच से मारिया को फिट करदिया।जहां एक तरफ कांग्रेस सरकार अहमद जावेद को सीपी बनाए जाने के पक्ष में थी वहीं एनसीपी पूरी तरह से अहमद जावेद के खिलाफ थी यही वजह थी की कांग्रेस ने सत्यापाल सिंह को डीजी ना बनाते हुए मुंबई पुलिस कमिश्नर की ही कुर्सी पर बिठाना मुनासिब समझा क्योंकि कांग्रेस अहमद जावेद के पक्ष में थी और एनसीपी राकेश मारिया को कमिशनर बनाने के पक्ष में थी।जिसमे शरद पवार कामयाब हुए और मारिया को मुबंई पुलिस कमिश्नर बना दिया गया।और अहमद जावेद को डीजी बना दिया गया।
अहमद जावेद के पास समय था केवल चार महीने का और अगर इसी प्रक्रिया से अहमद जावेद का प्रमोशन होता तो महाराष्ट्र डीजी पुलिस की रेस में थे प्रवीण दिक्षित, राकेश मारिया और मीरा बोरवनकर।क्योंकि संजीव दयाल और अरुप पटनायक रिटाएर होजाते तो डीजी नंबर दो की पोजीशन में अहमद जावेद थे।और अहमद जावेद को ऐंटी करप्शन ब्युरो दिया जाता।
चूंकि अहमद जावेद को एनसीपी ने उस वक्त दुखी किया है जब वह मुंबई पुलिस कमिश्नर की कुर्सी तक पहुंच गए थे लेकिन शरद पवार के आगे किसी की ना चली।अहमद जावेद एनसीपी की इस करतूत को कैसे भुला सकते थे जो एनसीपी ने उनके साथ किया है।और सबसे खास बात कि इस वक्त महाराष्ट्र ऐंटी करप्शन ब्युरो मे जो सबसे अहम और बडे मामले हैं वह एनसीपी के नेताओं के खिलाफ हैं जिनमे छगन भुजबल,अजीत पवार,सुनील तटकरे सबसे ज्यादा चर्चे मे हैं।अहमद जावेद ऐंटी कृप्शन में डीजी के ओहदे पर जाते तो वह इन सारे मामलों को जो कि एनसीपी के नेताओं के खिलाफ हैं उनका कच्चा चिट्ठा निकालते और फिर महाराष्ट्र में एनसीपी का नामो निशान नहीं रहता क्योंकि अहमद जावेद के ऐंटी करप्शन मे आने के बाद एनसीपी को मोहलत नहीं मिलती कि वह संभल सकें।
हाल ही मे शरद पवार और महाराष्ट्र मुंख्यमंत्री की एक घंटे की मीटिंग में इन सारे मामलों को लेकर चर्चा हुई कि अहमद जावेद को किसी भी तरह से ऐंटी करप्शन डीजी की पोस्ट से दूर रखा जाए।क्योंकि यहां एनसीपी के असतित्व का सवाल था।इसलिए पवार ने फिर एक बार अहमद जावेद के साथ राजनीति खेली और एनसीपी की डूबती हुई नाव को बचाने के लिए फौरन यह सारे फैसले लिए और अहमद जावेद को मुंबई पुलिस कमिश्नर बना दिया गया।
अब इस बात की उम्मीद जताई जारही है कि अब ऐंटी करप्शन ब्युरो के डीजी सतीष माथुर या विजय कांबले होसकते हैं जिसके बाद शायद यह कार्रवाई जो प्रवीन दिक्षित ने ऐंटी करप्शन ब्युरो में एनसीपी के नेताओं के खिलाफ की उस कार्रवाई पर पानी फिर जाए।क्योंकि प्रवीण दिक्षित के बाद अगर महाराष्ट्र मे एनसीपी के काले कारनामों की फहरिस्त बाहर निकलते तो वह थे अहमद जावेद जिन्हें मुंबई सीपी की पोस्ट पर बिठा कर डीजी ऐंटी करप्शन ब्युरो से दूर रखा गया और राज्य सरकार ने एक तबके की जमकर वाहवाही लूटी वहीं एनसीपी नें अपने आपको डूबने से बचा लिया।
Post View : 7