Bombay Leaks Desk
मुंबई:आज़ाद मैदान दंगों के आरोपी स्वंय घोषित तथाकथित धर्मधुरंधर मुईन अशरफ़ उर्फ बाबा बंगाली ने खुद की छवि बनाने के लिए अब सोशल साइट का सहारा लेना शुरू किया।पहले ड्रग्स के खिलाफ़ मुहिम चलाने के नाम पर सोशल मीडिया पर वाहवाही लूटी,फिर ईद-ए-मिलादुन्नबी पर युवाओं से डीजे न बजाने की अपील के नाम पर वाहवाही लूटी हालांकि एक भी मुहिम आज तक कामयाब नहीं हो पाई। आलम यह रहा कि इस बार डीजे न बजाने के लिए युवकों ने कहा कि जब तक अंजुमन की ज़मीन से नाजायज़ कबज़ा नहीं हटेगा तब तक लोग डीजे बजाना बंद नहीं करेंगे। हैरान करने वाली बात यह कि मुईन अशरफ़ उर्फ बाबा बंगाली के पंटर उनकी फोटो चारों तरफ घुमा देते हैं।जिन मामलों को लेकर वह आवाज़ उठाते हैं वह मामले ज्यों का त्यों बने रहते हैं लेकिन पंटरों के ज़रिए फोटो घुमाने से उनका लक्ष्य ज़रूर पूरा हो जाता है।
पत्रकार शाहिद अंसारी पर झूटा मामला दर्ज करवाने के बाद जिस तरह से इनकी थू थू हुई और उसके बाद सारी दुनिया को पता चल गया कि इन सब की आड़ लेकर भूमाफिया की दुकान चलाई जा रही है तो उसके बाद से इनके पंटर लग गए इनकी छवि सुधारने में और इस बार सोशल साइट फंडे का भरपूर उपयोग किया गया है।
फेसबुक पर मुस्लिम इत्तेहाद नाम का एक ग्रुप बनाया गया है उस ग्रुप मे देश भर के उलमा-ए-क्राम की फोटो लगी है ताज्जुब इस बात का देश भर की साफ़ सुथरी छवि रखने वाले उलमा-ए-क्राम की फोटो में मुईन अशरफ की भी फोटो की घुसपैठ की गई है। देखने वाला एक नज़र में यही समझेगा जैसे देश के उलमा वैसे ही 38 साल के आरोपी मुईन अशरफ उर्फ बाबा बंगाली भी होंगे लेकिन यह महेज़ धोखा है सच्चाई इसके उलटी है।इनमें किसी भी उलमा पर कभी किसी तरह के आरोप या लक्षण किसी ने आज तक नहीं लगाए इनमें से किसी ने किसी की ज़मीन नहीं हड़पी इनमें से किसी पर किसी भी तरह के दंगों में शामिल होने का आरोप नहीं लगा बल्कि समाज मे इन्हें इज़्ज़त की निगाह से देखा जाता है।
लेकिन एक फोटो जो आपको हैरान कर देगी और आपको यह सोचने पर मजबूर कर देगी कि आखिर मुईन अशरफ़ उर्फ बाबा बंगाली खुद की छवि ठीक करने के चक्कर में इन उलमाओँ की फोटे के साथ अपनी फोटो लगवाकर आखिर क्या साबित करना चाहते हैं ? कि वह खुद दूध के धुले हैं तो क्या जनता यह भूल चुकी है कि आज़ाद मैदान दंगों में किन मुस्लिम युवकों को बली का बकरा बना कर मुईन अशरफ आज़ाद घुम रहे हैं। मुईन अशरफ़ उर्फ़ बाबा बंगाली खुद से ही खुद को घोषित कर के धर्मधुरंधर होने का दावा कर खुद तो खुल्लमखुल्ला घूम रहे हैं और वह नौजवान जेल की सलाखों के पीछे हैं उनकों कोई पूछने वाला नहीं है जिनपर दंगों मे शामिल रहने का आरोप लगा है।चौंका देने बात तो यह है कि यह सब करने के बाद बाबा बंगाली सरे आम झूटे मामले दर्ज करवाने के लिए पुलिस वालों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।हमने इस बारे में मौलाना अरशद मदनी के पीए फ़ज़लुर्रहमान से फेसबुक पर बने इस ग्रुप और फोटे के बारे में बात की उनसे सवाल किया कि क्या इस तरह से देश के साफ़ सुथरी छवि रखने वाले मौलाना अरशद मदनी क्या आज़ाद मैदान दंगों के आरोपी मुईन अशरफ़ उर्फ बाब बांगाली के साथ लगी फोटो से सहमत हैं जिसमें एक्ता की अपील की आड़ से बाबा बंगाली अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।फ़ज़लुर्रहमान ने कहा कि सब से पहली बात मौलाना सोशल साइट से बहुत दूर हैं मौलाना के मोबाइल में व्हाट्सप तक नहीं है उनका मेल आईडी है जो कि पत्र व्यवहार के लिए मैं ऑपरेट करता हूं रही बात उनकी फोटो की तो फोटो गूगल पर बहुत सी मौजूद हैं कोई कहीं भी उसे उपयोग करता है तो इसका यह मतलब नहीं कि मौलाना मदनी की इससे सहमति हो। अब इसके बाद यह साफ हो गया है कि बाबा बंगाली छवि बेहतर बनाने के लिए जिस तरह से फेसबुक पेज बना कर एक्ता और अखंडता का प्रचार कर रहे हैं वह महेज़ दिखावा है बल्कि सच्चाई यह है कि इस पाखंड का सहारा लेकर वह जनता की नज़र में अपनी इमेज बानने की कोशिश कर रहे हैं और देश के उलमा-क्राम जो कभी किसी अपराधिक गतिविधि मे शामिल नहीं रहे उनकी फोटो का इस्तेमाल कर जनता को गुमराह करने की कोशशि कर रहे हैं।
बंगाली बाबा की फोटोबाज़ी
आज़ाद मैदान दंगों के आरोपी मुईन अशरफ़ उर्फ बाबा बंगाली फोटो बाज़ी में माहिर हैं यह किसी भी बड़ी हस्ती को अपने दरबार में बुलाने के लिए जी तोड़ कोशिश करते हैं क्योंकि वहां आने के बाद शाल उढ़ाकर फोटो खींचने की प्रक्रिया पूरी की जाती है आने वाला शख्स इसी धोखे मे रहता है कि यह बहुत बड़े तोड़ु-ए-नागपाड़ा होंगे लेकिन उसके जाने के बाद उसकी फोटो के सहारे से फिर लोगों के खिलाफ़ झूटे मामले और गैर कानूनी काम करने के लिए उसी फोटो का इस्तेमाल कर पुलिस प्रशासन सब पर धौंस जमाई जाती है।और ऐसी ही धौंस जमाने के लिए जब मुईन अशरफ़ उर्फ बाबा बंगाली ने अंजुमन इस्लाम की ज़मीन पर नाजाएज़ कबज़ा किया तो दो लोग इनकी फोटो एलबम ले जाकर वक्फ़ बोर्ड की सीइओ नसीम पटेल को दिखा कर इनके असर-व-रुसूख की कवायद पढ़ रहे थे ताकि वह डर कर गलत फैसला दे दें और ज़मीन पर इनका कबज़ा होजाए।
सत्यापाल सिंह के साथ फोटो फ्रेमिंग
दर असल पत्रकार शाहिद अंसारी पर झूटा मामला दर्ज करवाने के बाद मुईन मियां उर्फ बाबा बंगाली के साथ पुलिस अधिकारियों ने फोटो खिंचानी बंद कर दी है।क्योंकि सब को पता चल चुका था कि बाबा बंगाली फोटो खिंचा कर उसका गलत इस्तेमाल बहुत ही बेहतर तरीके से करते हैं।क्योंकि इस बार मुईन अशरफ़ ने नाजाएज काम के लिए उन्होंने सच्चे पत्रकार पर झूटा मामला दर्ज करवाया था और इसके लिए 2 उर्दू अखबारों ने सुपारी ली थी लेकिन इनकी दाल नहीं गली।क्योंकि कोर्ट ने धार्मिक भावनाओं के तहेत मामला दर्ज करने पर एतराज़ जताया और कहा कि शाहिद अंसारी की ख़बर पर कहीं भी धार्मिक भावना को आहत करने जैसी बात ही नहीं है और इस पर मामला ही नहीं दर्ज होसकता।
सत्यापाल सिंह मुंबई आने के बाद उन्होंने मुईन अशरफ उर्फ बाबा बंगाली के दरबार में मिलने गए।फिर उसके बाद इनके पंटरों ने फोटो खींच ली और फिर उस फोटो के दम पर सब जगह यह शोर कर दिया कि अब सत्यापाल सिंह उनके समर्थन में उतर चुके हैं अब मुईन अशरफ़ उर्फ बाबा बंगाली की पावर में इज़ाफा होगया है।इस झूट का भी पर्दा तब फाश हुआ जब इस बारे में सत्यापाल सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें इद्रीस निज़ामी (कव्वाली बॉय) ने इनके पास चलने की विनती की तो वह चले गए।बाकी वह कौन सी ज़मीन पर कबज़ा किए उसके बारे में उन्हें पता नहीं था अगर पता होता तो नहीं जाते।ताज्जुब इस बात कि सत्यापाल सिंह की फोटो को मुईन मियां के एक पंटर अकरम खान तड़ीपारी ने तो रात 12 बजे ज़हीर काज़ी के व्हाट्सप पर भी भेज दी ताकि जहीर काज़ी उस फोटो को देख कर डर जाऐं।इतनी छोटी सी सोच तो छोटे मोटे भूमाफिया भी नहीं रखते।सबसे पहली बात अंजुमन की जिस जगह पर मुईन अशरफ़ उर्फ बाबा बंगाली ऐंड कंपनी ने कबज़ा जमाया है जिसपर वक्फ़ बोर्ड का स्टे है वह जगह ज़हीर काज़ी की जागीर नही है बल्कि वह जगह अंजुमन इस्लाम की है कौम की जगह है।ज़हीर काज़ी उस संस्था के चेयरमैन हैं इसलिए उनकी जिम्मेदारी है कि वह इसके लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाऐं और भू माफिया को बाहर भगाऐं जो कि वह कर रहे हैं साथ में पूरी अंजुमन इस्लाम भू माफिया के ख़िलाफ़ इस लड़ाई में उनके साथ है।
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